Maharashtra politics : शरद पवार ने थपथपाई PM मोदी की पीठ, मंच से बोले- शिवाजी महाराज ने कभी किसी की 'जमीन' नहीं छीनी

Webdunia
मंगलवार, 1 अगस्त 2023 (21:09 IST)
Maharashtra politics update : महाराष्ट्र (Maharashtra) की राजनीति में मंगलवार को एक और नया दृश्य प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) ने मंगलवार को यहां लोकमान्य तिलक राष्ट्रीय पुरस्कार समारोह में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के प्रमुख शरद पवार के साथ मंच साझा किया। मौका था लोकमान्य तिलक (Sharad Pawar) पुरस्कार समारोह का। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लोकमान्य तिलक पुरस्कार (Lokmanya Tilak Award) से सम्मानित किया गया।
 
अजित पवार से बनाई दूरी : समारोह शुरू होने से पहले दोनों नेताओं को हंसते हुए एक-दूसरे से बातचीत करते हुए देखा गया। शरद पवार ने मोदी की पीठ थपथपाई। उस समय वहां शरद पवार के भतीजे और महाराष्ट्र के उपमुख्यमत्री अजित पवार एवं अन्य नेता भी मौजूद थे। 
 
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शरद पवार से हाथ मिलाया, जबकि अजित पवार वहां से थोड़ी दूर चले गए।
 
चाचा से की थी बगावत : शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) में विभाजन के बाद मोदी और उनके (शरद पवार) के बीच यह पहली मुलाकात थी। पिछले महीने अजित पवार राकांपा में बगावत कर भाजपा और शिवसेना के गठबंधन वाली महाराष्ट्र सरकार में शामिल हो गए थे।
 
पीएम मोदी को क्यों मिला पुरस्कार : प्रधानमंत्री मोदी को लोकमान्य तिलक पुरस्कार से सम्मानित करने के लिए आयोजित कार्यक्रम में पवार शामिल हुए। प्रधानमंत्री को उनके ‘सर्वोच्च नेतृत्व’ और ‘नागरिकों में देशभक्ति की भावना जगाने’ के लिए इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
 
दे डाला राजनीतिक बयान : समारोह में अपने संबोधन में शरद पवार ने मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि 'शिवाजी महाराज ने कभी किसी की जमीन नहीं छीनी।' 
 
इस बयान को शिवसेना और राकांपा में कथित रूप से विभाजन कराने को लेकर भाजपा पर पवार द्वारा निशाना साधे जाने के रूप में देखा जा रहा है।
 
इंडिया ने की थी पवार से अपील : इस समारोह से पहले पवार ने मोदी के साथ मंच साझा न करने के विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडिया’ के अनुरोध को स्वीकार नहीं किया था।
 
विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडिया’ के सदस्यों का मानना है कि ऐसे वक्त में जब भाजपा के खिलाफ एकजुट होकर एक मोर्चा बनाया जा रहा है, तो पवार का इस कार्यक्रम में शामिल होना विपक्ष के लिए अच्छा नहीं होगा।
 
पवार ने उन सांसदों से मुलाकात नहीं की थी, जो उन्हें इस समारोह में शामिल न होने के लिए मनाना चाहते थे।
 
लोकमान्य तिलक की विरासत का सम्मान करने के लिए 1983 में तिलक स्मारक मंदिर ट्रस्ट द्वारा इस पुरस्कार की शुरुआत की गई थी। यह पुरस्कार हर साल एक अगस्त को लोकमान्य तिलक की पुण्यतिथि पर दिया जाता है। भाषा  Edited By : Sudhir Sharma 

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