Nirbhaya Case : दोषी मुकेश की याचिका पर सुनवाई पूरी, जारी हो चुका है डेथ वारंट

Webdunia
मंगलवार, 28 जनवरी 2020 (16:48 IST)
नई दिल्ली। निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले में दोषी मुकेश कुमार की दया याचिका खारिज करने के राष्ट्रपति के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई पूरी कर ली। न्यायालय इस याचिका पर बुधवार को अपनी व्यवस्था देगा।
 
दिल्ली में 2012 में हुए इस जघन्य अपराध के लिए आरोपियों को अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी। इन दोषियों में से एक मुकेश की दया याचिका राष्ट्रपति ने 17 जनवरी को खारिज कर दी थी, जिसके खिलाफ इस दोषी ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर कर रखी है।
 
न्यायमूर्ति आर. भानुमति, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना की पीठ ने इस याचिका पर मुकेश कुमार सिंह की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अंजना प्रकाश और केन्द्र की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता की दलीलें सुनने के बाद कहा कि इस पर निर्णय बुधवार को सुनाया जाएगा। 
 
केन्द्र ने मुकेश कुमार सिंह की याचिका खारिज करने का अनुरोध करते हुए पीठ से कहा कि इस तरह के जघन्य अपराध करने वाले के साथ जेल में दुर्व्यवहार दया का आधार नहीं हो सकता है।
 
सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने इस आरोप का गलत बताया कि दोषी मुकेश कुमार सिंह को जेल में एकांत में रखा जा रहा है। उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय ने इस दोषी की दया याचिका के साथ सारा रिकॉर्ड राष्ट्रपति के पास भेजा था।
 
मेहता ने कहा कि इस तरह के मामलों में न्यायिक समीक्षा का शीर्ष अदालत का अधिकार बहुत ही सीमित है और दोषी की दया याचिका पर फैसले में विलंब का अमानुषिक असर पड़ सकता था।
 
सॉलिसीटर जनरल ने पीठ से कहा कि राष्ट्रपति को दया के बारे में खुद को आश्वस्त करना होता है और प्रत्येक प्रक्रिया को नहीं देखना होता। इससे पहले, दोषी मुकेश कुमार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अंजना प्रकाश ने दावा किया कि उसकी दया याचिका पर विचार के समय राष्ट्रपति के समक्ष सारे तथ्य नहीं रखे गए।
 
इस पर पीठ ने मुकेश के वकील से सवाल किया कि वह यह दावा कैसे कर सकती हैं कि राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका पर विचार के समय सारे तथ्य नहीं रखे गए थे। आप यह कैसे कह सकती हैं कि राष्ट्रपति ने सही तरीके से विचार नहीं किया?
 
दोषी के वकील ने जब यह कहा कि राष्ट्रपति के समक्ष सारे तथ्य नहीं रखे गए थे तो सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा कि राष्ट्रपति के समक्ष सारा रिकॉर्ड, साक्ष्य और फैसला पेश किया गया था।
 
मुकेश कुमार सिंह ने आरोप लगाया है कि राष्ट्रपति द्वारा उसकी दया याचिका अस्वीकार करने में प्रक्रियागत खामियां हैं और उसके मामले में विचार करते समय उसे एकांत में रखने सहित कतिपय परिस्थितियों और प्रक्रियागत खामियों को नजरअंदाज किया गया।
 
मुकेश कुमार सिंह दया याचिका खारिज होने के बाद ही अदालत ने चारों मुजरिमों- मुकेश, पवन गुप्ता, विनय कुमार शर्मा और अक्षय कुमार, को एक फरवरी को सुबह 6 बजे मृत्यु होने तक फांसी पर लटकाने के लिए डेथ वारंट जारी किए थे। इससे पहले अदालत ने चारों दोषियों को 22 जनवरी को फांसी देने के लिए वारंट जारी किए थे। 
 
23 वर्षीय निर्भया से दक्षिण दिल्ली में चलती बस में 16-17 दिसंबर, 2012 की रात 6 व्यक्तियों ने सामूहिक बलात्कार के बाद उसे बुरी तरह जख्मी हालत में सड़क पर फेंक दिया था। निर्भया का बाद में 29 दिसंबर को सिंगापुर के एक अस्पताल में निधन हो गया था।

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