सिंधु जल संधि पर रोक से खुश हुए निशिकांत दुबे, कहा बिना पानी मरेंगे पाकिस्तानी

वेबदुनिया न्यूज डेस्क
गुरुवार, 24 अप्रैल 2025 (11:01 IST)
Nishikant Dubey on sindhu water treaty decision : गोंडा से भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने सिंधु जल संधि पर रोक के मोदी सरकार के फैसले की जमकर सराहना की। उन्होंने कहा कि मोदी जी ने दाना पानी बंद कर दिया। बिना पानी के पाकिस्तानी मरेंगे, यह है 56 इंच का सीना। ALSO READ: Pahalgam Terror Attack : सिंधु जल संधि खत्म होने से कैसे बर्बाद हो जाएगा पाकिस्तान?
 
निशिकांत दुबे ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर अपनी पोस्ट में कहा, सांप को पानी पिलाने वाले समझौते के नायक नेहरु जी जिन्होंने 1960 में नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने के चक्कर में सिंधु, रावी, व्यास, चिनाब, सतलुज का हमारा पानी पिलाकर हिंदुस्तानी का ख़ून बहाया, आज मोदी जी दाना पानी बंद कर दिया। बिना पानी के पाकिस्तानी मरेंगे, यह है 56 इंच का सीना। हुक्का, पानी, दाना पानी बंद, हम सनातनी भाजपा के कार्यकर्ता हैं, तड़पा तड़पा के मारेंगे। 
 
 
संधि में लिंक नहरों, बैराजों और ट्यूबवेलों के लिए धन जुटाने और निर्माण के लिए भी प्रावधान शामिल किए थे। खास तौर से सिंधु नदी पर तारबेला बांध और झेलम नदी पर मंगला बांध पर। इनसे पाकिस्तान को उतनी ही मात्रा में पानी लेने में मदद मिली जो उसे पहले उन नदियों से मिलती थी जो संधि के बाद भारत के हिस्से में आ गई थीं।ALSO READ: Pahalgam Terror Attack : सिंधु जल संधि खत्म होने से कैसे बर्बाद हो जाएगा पाकिस्तान?
 
क्यों हुआ था सिंधु नदी समझौता : यह नौबत इसलिए आई क्योंकि 1947 के भारत-पाकिस्तान विभाजन  के बाद दोनों देशों के बीच पानी पर विवाद हो गया था। 1 अप्रैल 1948 से भारत ने, अपने इलाके से होकर पाकिस्तान जाने वाली नदियों का पानी रोकना शुरू कर दिया। तब 4 मई 1948 को विवाद निपटाने के लिए एक इंटर-डोमिनियन समझौता हुआ जिसके तहत भारत को सालाना भुगतान के बदले में बेसिन के पाकिस्तानी हिस्सों को पानी उपलब्ध कराना था। हालांकि यह रास्ता स्थाई नहीं था, बस एक ऐसा तरीका था जहां से विवाद निपटाने का काम शुरू होकर और आगे जाना था।
 
फिर आखिरकार 1951 में टेनेसी वैली अथॉरिटी और अमेरिकी परमाणु ऊर्जा आयोग दोनों के पूर्व प्रमुख डेविड लिलिएनथल ने अपने लेखन के लिए इस क्षेत्र का दौरा किया। तब उन्होंने सुझाव दिया कि भारत और पाकिस्तान को नदियों पर एक तंत्र का साथ में विकास और फिर उसका प्रबंधन देखना चाहिए। उन्होंने इसके लिए एक समझौते का सुझाव दिया। 
 
1954 में वर्ल्ड बैंक ने दोनों देशों को एक प्रस्तावित समझौता थमाया। इस पर छह साल तक कई दौर की बातचीत के बाद भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति मोहम्मद अय्यूब खान ने 1960 में इस समझौते पर हस्ताक्षर किए। इसके साथ ही सिंधु नदी जल संधि प्रभाव में आई। 
 
एक अन्य ट्वीट में उन्होंने लिखा, 'अशहदु अल्लाह इल्लाह इल्लल्लाहु वह दहु ला शरी-क लहू व अशदुहु अन्न मुहम्मदन अब्दुहु व रसूलुहु' आजकल कलमा सीख रहा हूं, पता नहीं कब जरुरत पड़े।
edited by : Nrapendra Gupta 

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