हिंद महासागर की जीनोम मैपिंग कर रहे हैं वैज्ञानिक

Webdunia
गुरुवार, 18 मार्च 2021 (13:01 IST)
नई दिल्ली,  पृथ्वी का 70 प्रतिशत भाग जल से घिरा है, और धरती पर पाए जाने वाले जीव-जंतुओं के संसार में 90 प्रतिशत समुद्री जीव शामिल हैं। लेकिन, रहस्य से भरे महासागरों के बारे में मनुष्य सिर्फ पांच प्रतिशत अब तक जान पाया है, और 95 प्रतिशत समुद्र एक अबूझ पहेली बना हुआ है।

समुद्र अपने गर्भ में दुर्लभ जीव-जंतुओं, बैक्टीरिया, और वनस्पतियों का संसार समेटे हुए है। समुद्र में छिपे इन रहस्यों को उजागर करने के लिए वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की गोवा स्थित प्रयोगशाला राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान (एनआईओ) ने हिंद महासागर में पाए जाने वाले सूक्ष्मजीवों की जीनोम मैपिंग के लिए एक अभियान शुरू किया है, जो समुद्री रहस्यों की परतें खोलने में मददगार हो सकता है।

इस अभियान के अंतर्गत हिंद महासागर के विभिन्न हिस्सों में आणविक स्तर पर समुद्र के पारिस्थितिक तंत्र की आंतरिक कार्यप्रणाली को समझने की कोशिश की जाएगी। जीनोम के निष्कर्षों के साथ शोधकर्ता समुद्री सूक्ष्मजीवों पर जलवायु परिवर्तन, बढ़ते प्रदूषण, और पोषक तत्वों की कमी के प्रभाव का आकलन करने का प्रयास करेंगे। इस दौरान हिंद महासागर के विभिन्न क्षेत्रों से लगभग 5000 मीटर की गहराई से नमूने एकत्र किए जाएंगे।

विशाखापट्टनम पोर्ट से 14 मार्च को शुरू हुए इस अभियान के अंतर्गत लगभग 10 हजार समुद्री मील की दूरी तय की जाएगी। इस दौरान 90 दिनों तक हिंद महासागर के रहस्यों को उजागर करने के लिए बड़ी मात्रा में नमूनों को इकट्ठा किया जाएगा। सीएसआईआर-एनआईओ के वैज्ञानिकों की टीम रिसर्च वेसल ‘सिंधु साधना’ पर सवार होकर हिंद महासागर के रहस्यों की पड़ताल करने निकली है। एनआईओ के 23 वैज्ञानिकों का दल इस अभियान पर गया है, जिसमें छह महिला वैज्ञानिक भी शामिल हैं।

सीएसआईआर-एनआईओ के निदेशक सुनील कुमार सिंह ने बताया है कि हिंद महासागर के पारिस्थितिकी तंत्र की गतिशीलता को समझने के लिए आधुनिक आणविक बायोमेडिकल तकनीकों, जीनोम सीक्वेसिंग और जैव सूचना विज्ञान का उपयोग किया जाएगा। इस जीनोम मैपिंग के माध्यम से बदलती जलवायु दशाओं को ध्यान में रखते हुए महासागर में उपस्थित सूक्ष्मजीवों की जैव-रासायनिक प्रतिक्रिया का अध्ययन भी किया जाएगा।

वैज्ञानिकों का कहना है कि यह जीनोम सीक्वेंसिंग समुद्री जीवों के आरएनए एवं डीएनए में परिवर्तन, और महासागरीय सूक्ष्मजीवों की मौजूदा स्थिति के लिए जिम्मेदार प्रभावी कारकों की पहचान करने में मददगार हो सकती है। इस अध्ययन में वैज्ञानिक समुद्र के विभिन्न हिस्सों में विशिष्ट खनिजों की प्रचुरता और कमी को समझने की कोशिश भी करेंगे, जिसका उपयोग महासागरीय पारिस्थितिकी प्रणालियों में सुधार से जुड़ी रणनीतियों में किया जा सकता है। (इंडि‍या साइंस वायर )

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