पाक उच्चायोग का अधिकारी निकला जासूस, भारत से निकाला

Webdunia
गुरुवार, 27 अक्टूबर 2016 (10:19 IST)
पाकिस्तानी उच्चायोग के एक अधिकारी के जासूसी के लिए रक्षा दस्तावेजों के साथ पकड़े जाने के बाद भारत ने उसे अवांछित व्यक्ति करार देकर देश छोड़ने के लिए कह दिया है।
दिल्ली पुलिस ने बुधवार को यहां चिड़ियाघर के पास एक छापा मारकर पाकिस्तानी उच्चायोग में पदस्थ अधिकारी महमूद अख्तर और दो अन्य भारतीय नागरिकों मौलाना रमजान और सुभाष जांगिड़ को पकड़ा और उनके पास से सीमा एवं नियंत्रण रेखा पर सेना एवं सीमा सुरक्षा बल की तैनाती से जुड़े संवेदनशील दस्तावेज और मानचित्र बरामद किए।
 
विदेश सचिव एस जयशंकर ने गुरुवार को सुबह यहां साउथ ब्लॉक में पाकिस्तानी उच्चायुक्त अब्दुल बासित को बुलाया और महमूद को जासूसी के आरोप में अवांछित करार देकर देश से बाहर जाने का फरमान सुनाया। सूत्रों के मुताबिक यह मुलाकात दस मिनट चली।
 
दिल्ली पुलिस ने बताया कि तीनों को चिड़ियाघर के पास से गुप्त सूचना के आधार पर गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने बताया कि महमूद अख्तर वीजा विभाग में तैनात था और वह पाकिस्तानी सेना के 40 बलूच रेजीमेंट में हवलदार है, जिसे कुछ वर्ष पहले पाकिस्तान खुफिया एजेंसी आईएसआई में नियुक्त किया गया था। 
 
ये लोग करीब डेढ साल से आईएसआई के लिए जासूसी कर रहे थे और दिल्ली पुलिस छह माह से उस पर नजर रखे हुए थी। बुधवार रात गिरफ्तार किए अख्तर ने अपनी पहचान गलत बताई थी और उसके पास से फर्जी आधार कार्ड भी मिला है। वह सीमा और नियंत्रण रेखा पर सीमा सुरक्षा बल और सेना की तैनाती के बारे में जानकारी देता था।
 
पुलिस ने बताया कि ये पाकिस्तान के लिए जासूसी करते थे और इन्हें इसके बदले पैसा मिलता था। अख्तर को ढाई साल पहले पाकिस्तान उच्चायोग में नियुक्ति दी गई थी और वह महीने एक बार पाकिस्तान का दौरा करता था।
 
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा कि विदेश सचिव ने पाकिस्तानी उच्चायुक्त को बुलाकर उन्हें सूचित किया कि पाकिस्तानी उच्चायोग का हिरासत में लिया गया कर्मचारी जासूसी गतिविधियों में लिप्तता के मद्देनज़र अवांछित घोषित किया गया है। 
 
सूत्रों के अनुसार पुलिस से पूछताछ में अख्तर ने पहले अपना नाम महबूब राजपूत बताया था, लेकिन बाद में गहन पूछताछ करने पर उसने अपनी असलियत जाहिर कर दी। पुलिस ने राजनयिक छूट होने के मद्देनजर उसे औपचारिक रूप से गिरफ्तार नहीं करके पाकिस्तानी उच्चायोग के हवाले कर दिया और सरकार ने उसे वियना संधि के प्रावधानों के अनुसार अवांछित घोषित करके देश छोड़ने के लिए कह दिया। 
 
भारत और पाकिस्तान के बीच राजनयिकों को पकड़ने और उन्हें जासूसी के आरोप में निष्कासित करने का सिलसिला नब्बे के दशक में आम रहा है। (वार्ता)
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