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ऑपरेशन सिंदूर 2 की आहट से LoC पर बेचैनी, अभी तैयार नहीं है बंकर

सुरेश एस डुग्गर
गुरुवार, 6 नवंबर 2025 (10:58 IST)
Operation Sindoor 2 : ऑपरेशन सिंदूर 2 की आहट होने लगी है। जम्मू कश्मीर में एलओसी से सटे इलाकों में रहने वालों की चिंता यह है कि सिंदूर एक के दौरान पाक गोलाबारी से हुई तबाही उनकी यादें ताजा कर रही हैं।
 
दरअसल ऑपरेशन सिंदूर के छह महीने बाद भी, उत्तरी कश्मीर के बारामुल्‍ला जिले के उड़ी इलाके में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास रहने वाले निवासियों का कहना है कि उनकी जिंदगी में कोई बदलाव नहीं आया है, क्योंकि बंकरों की लंबे समय से चली आ रही मांग अनसुनी हो रही है।
 
ऑपरेशन से पहले, ग्रामीणों ने सीमा पार से गोलाबारी के दौरान अपनी सुरक्षा के लिए बंकरों के निर्माण की बार-बार अपील की थी। आधे साल बाद भी, मांग जस की तस बनी हुई है।
 
एलओसी से सटे चरुंडा गांव के पूर्व सरपंच लाल दीन खटाना बताते थे कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद से एक भी बंकर नहीं बनाया गया है। उन्होंने बताया कि पिछले कुछ महीनों में सरकार ने कोई नया बंकर नहीं बनाया है। हमारे यहां जो भी बंकर हैं, वे लगभग चार साल पहले बनाए गए थे।
 
एक अन्य स्थानीय निवासी लाल हुसैन कोहली के बकौल, यह इलाका सीमा पार से गोलीबारी के लिए बेहद संवेदनशील बना हुआ है और यहां तत्काल कार्यात्मक बंकरों की आवश्यकता है। वे कहते थे कि यहां लगभग आठ सामुदायिक बंकर हैं, लेकिन वे सभी जीर्ण-शीर्ण अवस्था में हैं और उपयोग के लायक नहीं हैं।
 
इसी तरह से गरकोट गांव के बशीर अहमद भट ने भी इसी तरह की चिंताएं व्यक्त कीं। वे कहते थे कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद बंकर निर्माण के लिए कोई सरकारी सहायता नहीं मिली है। अगर सीमा पार से फिर से गोलाबारी हुई, तो हम कहां जाएंगे?
 
भट कहते थे कि सरकारी मदद के अभाव में, कई ग्रामीणों ने अपने सीमित संसाधनों का उपयोग करके खुद ही अस्थायी बंकर बनाने शुरू कर दिए हैं। उन्होंने बताया कि हम गरीब लोग हैं, लेकिन हमारे पास कोई विकल्प नहीं है। हमें अपने परिवारों की रक्षा करनी है।
 
उड़ी के मोथल गांव के निवासी मंजूर अहमद ने तो चौंकाने वाला रहस्‍योदघाटन किया कि उनके गांव में तो एक भी बंकर नहीं बना है। सीमावर्ती एक अन्य बस्ती, सिलिकोटे गांव के इरशाद अहमद बकोल, यहाँ कोई नया बंकर नहीं बना है। हमारी जान को खतरा बना हुआ है। वे कहते थे कि पुराने बंकर भी जर्जर हो गए हैं और गोलाबारी के दौरान निवासियों को सुरक्षित रूप से रहने की अनुमति नहीं देते हैं।
 
जानकारी के लिए वर्ष 2020 में, सरकार ने नागरिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उड़ी में कई सामुदायिक बंकरों के निर्माण का प्रस्ताव रखा था। कुछ पूरे हो गए, जबकि कई विभिन्न चुनौतियों के कारण अधूरे रह गए हैं।
 
पिछले महीने, जम्मू कश्मीर सरकार ने विधानसभा को सूचित किया कि उड़ी के सीमावर्ती गांवों में स्वीकृत 202 व्यक्तिगत बंकरों और ऊपरी सुरक्षा खाइयों में से 40 का निर्माण पूरा हो चुका है, जबकि शेष 162 का निर्माण अगले चार सप्‍ताह  में पूरा होने की उम्मीद है।
 
यहां यह बताना जरूरी है कि इसी साल मई में, बारामुल्‍ला के उपायुक्त (डीसी) ने भी उड़ी सेक्टर में 202 ऊपरी सुरक्षा खाइयों के निर्माण को मंजूरी दी थी। हालांकि, कई निवासियों ने इन खाइयों को पैसे की बर्बादी बताया है। 
कमलकोट गांव के निवासी तारिक हाशिम बताते थे कि वे उथली भूमिगत खाइयां खोद रहे हैं और उन्हें लकड़ी के तख्तों और मिट्टी से ढक रहे हैं। भारी गोलाबारी के दौरान ऐसी संरचनाएं असुरक्षित और बेकार होती हैं। हमें उचित कंक्रीट के बंकरों की जरूरत है।
edited by : Nrapendra Gupta 

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