नई दिल्ली। एयर इंडिया की एक उड़ान में शराब के नशे में धुत एक पुरुष यात्री द्वारा एक महिला सहयात्री पर कथित तौर पर पेशाब किए जाने की घटना के बाद कानूनी और विमानन विशेषज्ञों ने अभद्र व्यवहार करने वाले यात्रियों से निपटने के लिए सख्त नियमों की तत्काल आवश्यकता का सुझाव दिया है।
विशेषज्ञों ने कहा कि हाल के दिनों में उड़ानों में अनुचित आचरण की घटनाएं बढ़ी हैं, क्योंकि एयरलाइन कंपनी अपने व्यावसायिक हितों के कारण ऐसी घटनाओं पर पर्दा डालने की कोशिश करती हैं। पुलिस के अनुसार पुरुष यात्री शंकर मिश्रा ने पिछले साल 26 नवंबर को न्यूयॉर्क से दिल्ली आ रही एयर इंडिया की उड़ान की बिजनेस क्लास में एक बुजुर्ग महिला सहयात्री पर कथित तौर पर पेशाब कर दिया था।
महिला द्वारा एयर इंडिया को दी गई शिकायत के आधार पर दिल्ली पुलिस ने 4 जनवरी को आरोपी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी और गत शनिवार को उसे बेंगलुरु से गिरफ्तार कर लिया था। विशेषज्ञों ने कहा कि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए अभद्र व्यवहार करने वाले यात्रियों से निपटने के वास्ते 2017 की नागर विमानन आवश्यकताओं (सीएआर) में संशोधन किया जाना चाहिए।
नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने 2017 में तत्कालीन शिवसेना सांसद रवीन्द्र गायकवाड़ द्वारा एयर इंडिया के एक कर्मचारी के साथ मारपीट किए जाने के बाद नियम बनाए थे। इन नियमों के तहत उड़ान में किसी यात्री द्वारा किया गया अभद्र व्यवहार दंडनीय अपराध है। उच्चतम न्यायालय के वकील उज्ज्वल आनंद शर्मा ने कहा कि सीएआर, 2017 के तहत उड़ान में यात्रियों के अभद्र व्यवहार के सभी मामलों में प्राथमिकी दर्ज करना अनिवार्य किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि इसे (सीएआर, 2017) में संशोधन करने की जरूरत है और उड़ान में अभद्र व्यवहार के सभी मामलों में प्राथमिकी दर्ज करना अनिवार्य कर दिया जाना चाहिए, चाहे अपराध की गंभीरता किसी भी स्तर की हो। शर्मा ने दिल्ली उच्च न्यायालय में कथित अभद्र व्यवहार मामले में स्टैंड-अप कॉमेडियन कुणाल कामरा का प्रतिनिधित्व किया था।
लॉमेन एंड व्हाइट लॉ फर्म में भागीदार शर्मा ने कहा कि विमान के उतरने के बाद स्थानीय पुलिस को सूचित करने के लिए इसे एसओपी (मानक संचालन प्रक्रिया) का हिस्सा बनाया जाना चाहिए। साथ ही, मेरा मानना है कि एक एयरलाइन की आंतरिक समिति के बजाय डीजीसीए के तहत एक स्वतंत्र समिति होनी चाहिए जिसे अभद्र व्यवहार के हर मामले के बारे में सूचित किया जाना चाहिए। इससे एयरलाइन कंपनियों को मामले को दबाने के आरोपों से बचने में भी मदद मिलेगी।
सीएआर, 2017 के अनुसार किसी उड़ान में किसी यात्री के अभद्र व्यवहार के बारे में विमान के अपने गंतव्य हवाई अड्डे पर उतरने पर इसके कप्तान और चालक दल को एयरलाइन को सूचित करना होगा। एयरलाइन अपनी आंतरिक समिति के समक्ष मामला पेश करेगी जिसमें एक सेवानिवृत्त जिला सत्र न्यायाधीश और 2 स्वतंत्र सदस्य शामिल होते हैं।
नियमों में कहा गया है कि आंतरिक समिति का फैसला लंबित रहने पर संबंधित एयरलाइन अभद्र व्यवहार करने वाले यात्रियों को उड़ान से प्रतिबंधित कर सकती है, लेकिन इसकी अवधि 30 दिन की अवधि से अधिक नहीं हो सकती। इनके अनुसार आंतरिक समिति लिखित में कारण बताकर 30 दिन में अंतिम निर्णय देगी। आंतरिक समिति का निर्णय संबंधित एयरलाइन के लिए बाध्यकारी होगा। यदि आंतरिक समिति 30 दिन में निर्णय लेने में विफल रहती है, तो संबंधित यात्री उड़ान भरने के लिए स्वतंत्र होगा।
सीएआर, 2017 अपराधों को 3 श्रेणियों में वर्गीकृत करता है और एक बार जब आंतरिक समिति अपराध का स्तर तय कर लेती है तथा यात्री पर प्रतिबंध लगा देती है तो निर्णय डीजीसीए/अन्य एयरलाइन को सूचित किया जाना चाहिए और व्यक्ति का नाम उड़ान निषिद्ध करने की सूची में डाल दिया जाना चाहिए।
ऐसे यात्री को श्रेणी-1 के अपराध के मामले में कम से कम 3 महीने और श्रेणी-3 के अपराध के लिए अधिकतम 2 साल के लिए प्रतिबंधित किया जा सकता है। संबंधित नियम के तहत किसी यात्री के आक्रामक व्यवहार के केवल ऐसे चरम मामलों में प्राथमिकी दर्ज करने की आवश्यकता होती है जिसके कारण विमान को आपातकालीन स्थिति में उतारना पड़ सकता है।
फौजदारी मामलों के वकील एवं एक्टस लीगल एसोसिएट्स एंड एडवोकेट्स के संस्थापक निशांत कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि अभद्र व्यवहार करने वाले किसी यात्री को जांच लंबित रहने तक किसी भी एयरलाइन के विमान में उड़ान भरने से रोक दिया जाना चाहिए।
दिल्ली उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता मोहित चंद माथुर ने ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति से बचने के लिए मौजूदा कानूनी प्रावधानों के समय पर कार्यान्वयन की आवश्यकता को रेखांकित किया। विमानन पेशेवरों ने भी उड़ानों में अभद्रता की घटनाओं को रोकने के लिए अभद्र व्यवहार करने वाले यात्रियों के खिलाफ कड़ी सजा की आवश्यकता पर बल दिया।
चेन्नई हवाई अड्डे के निदेशक शरद कुमार ने कहा कि ऐसे अपराधियों के खिलाफ सख्त नियम लागू करना सरकार और उद्योग की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि चालक दल के सदस्यों को ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए बेहतर ढंग से प्रशिक्षित किया जाना चाहिए।
उद्योग विशेषज्ञ आर रामकुमार ने कहा कि पुरुष यात्री (जिसने एयर इंडिया की उड़ान में अपनी सहयात्री पर पेशाब किया था) को हवाई अड्डों पर प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। उसे कम से कम 1 साल के लिए किसी भी हवाई अड्डा परिसर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।(भाषा)