हैदराबाद। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को 11वीं सदी के वैष्णव संत श्री रामानुजाचार्य की स्मृति में यहां 216 फुट ऊंची 'स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी' प्रतिमा का अनावरण कर इसे राष्ट्र को समर्पित किया। रामानुजाचार्य ने राष्ट्रीयता, लिंग, नस्ल, जाति या पंथ की परवाह किए बिना हर इंसान की भावना के साथ लोगों के उत्थान के लिए अथक प्रयास किया था।
श्री रामानुजाचार्य की समानता के संदेश की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार इसी भावना वाले सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयासके मंत्र के साथ देश के नए भविष्य की नींव रख रही है।
उन्होंने कहा कि विकास हो, सबका हो, बिना भेदभाव हो। सामाजिक न्याय सबको मिले, बिना भेदभाव मिले। जिन्हें सदियों तक प्रताड़ित किया गया, वह पूरी गरिमा के साथ विकास के भागीदार बनें, इसके लिए आज का बदलता हुआ भारत एकजुट प्रयास कर रहा है।
इस परिसर में वैदिक डिजिटल पुस्तकालय और अनुसंधान केंद्र, प्राचीन भारतीय ग्रंथ, एक थिएटर, एक शैक्षिक दीर्घा हैं, जो संत रामानुजाचार्य के कई कार्यों की याद दिलाते हैं।Koo App
उन्होंने परिसर में बने 108 दिव्य देशम (सजावटी रूप से नक्काशीदार मंदिर) की परिक्रमा भी की। यह दिव्य देशम स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी के चारों ओर बने हुए हैं।
उन्होंने श्री रामानुजाचार्य को भारत की एकता और अखंडता की प्रेरणा करार देते हुए कहा कि उनका जन्म भले ही देश के दक्षिणी हिस्से में हुआ हो लेकिन उनका प्रभाव पूरे भारत पर है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज देश में एक ओर सरदार वल्लभ भाई पटेल की स्टैच्यू ऑफ यूनिटी एकता की शपथ दोहरा रही है तो रामानुजाचार्य की स्टैच्यू ऑफ इक्वेलिटी समानता का संदेश दे रही है। उन्होंने कहा कि यही एक राष्ट्र के रूप में भारत की विशेषता है।
प्रधानमंत्री ने त्रिदंडी चिन्ना जीयर स्वामी के आश्रम का भी दौरा किया। श्री रामानुजाचार्य की प्रतिमा इसी आश्रम में स्थापित की गई है। प्रधानमंत्री ने आश्रम परिसर स्थित एक यज्ञशाला में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूजा अर्चना भी की।
उन्होंने परिसर में बने 108 दिव्य देशम (सजावटी रूप से नक्काशीदार मंदिर) की परिक्रमा भी की। यह दिव्य देशम स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी के चारों ओर बने हुए हैं।
स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी का उद्घाटन, रामानुजाचार्य की वर्तमान में जारी 1000 वीं जयंती समारोह यानी 12 दिवसीय श्री रामानुज सहस्राब्दि समारोह का हिस्सा है। कार्यक्रम के दौरान संत रामानुजाचार्य की जीवन यात्रा और शिक्षा पर थ्रीडी प्रजेंटेशन मैपिंग का भी प्रदर्शन किया गया।
यह प्रतिमा 'पंचधातु' से बनी है जिसमें सोना, चांदी, तांबा, पीतल और जस्ता का एक संयोजन है और यह दुनिया में बैठी अवस्था में सबसे ऊंची धातु की प्रतिमाओं में से एक है। यह 54-फुट ऊंचे आधार भवन पर स्थापित है, जिसका नाम 'भद्र वेदी' है।