PM Modi in Ayodhya : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में धर्म ध्वजारोहण महोत्सव को संबोधित करते हुए कहा कि भविष्य की अयोध्या में पौराणिकता और नूतनता का संगम होगा। सरयू जी की अमृतधारा और विकास की धारा एक साथ बहेगी। यहां आध्यात्म और AI दोनों का तालमेल दिखेगा।
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प्रधानमंत्री ने कहा कि आज अयोध्या फिर से वह नगरी बन रही है, जो दुनिया के लिए उदाहरण बनेगी। त्रेता युग की अयोध्या ने मानवता को नीति दी। 21वीं सदी की अयोध्या मानवता को विकास का नया मॉडल दे रही है। तब अयोध्या मर्यादा का केंद्र थी। अब अयोध्या विकसित भारत का मेरुदंड बनकर उभर रही है।
पीएम मोदी ने कहा कि सदियों के घाव भर रहे हैं। सदियों की वेदना आज विराम पा रही है। सदियों का संकल्प आज सिद्धि को प्राप्त हो रहा है। आज उस यज्ञ की पूर्णाहुति है, जिसकी अग्नि 500 वर्ष तक प्रज्वलित रही। जो यज्ञ एक पल भी आस्था से डिगा नहीं, एक पल भी विश्वास से टूटा नहीं।
उन्होंने कहा कि ये धर्मध्वजा केवल एक ध्वजा नहीं, ये भारतीय सभ्यता के पुनर्जागरण का ध्वज है। इसका भगवा रंग, इसपर रचित सूर्यवंश की ख्याति, वर्णित ॐ शब्द और अंकित कोविदार वृक्ष रामराज्य की कीर्ति को प्रतिरूपित करता है। ये ध्वज...संकल्प है, सफलता है! ये ध्वज...संघर्ष से सृजन की गाथा है, सदियों से चले आ रहे स्वप्नों का साकार स्वरूप है। ये ध्वज...संतों की साधना और समाज की सहभागिता की सार्थक परिणीति है।
पीएम मोदी ने कहा कि ये धर्मध्वज प्रेरणा बनेगा कि प्राण जाए, पर वचन न जाए अर्थात जो कहा जाए, वही किया जाए। ये धर्मध्वज संदेश देगा - कर्मप्रधान विश्व रचि राखा अर्थात विश्व में कर्म और कर्तव्य की प्रधानता हो। ये धर्मध्वज कामना करेगा - बैर न बिग्रह आस न त्रासा, सुखमय ताहि सदा सब आसा यानी भेदभाव, पीड़ा, परेशानी से मुक्ति और समाज में शांति एवं सुख हो।
उन्होंने कहा कि मुझे बहुत खुशी है कि राम मंदिर का ये दिव्य प्रांगण भारत के सामुहिक सामर्थ्य की भी चेतना स्थली बन रहा है। यहां सप्त मंदिर बने हैं। यहां माता शबरी का मंदिर बना है, जो जनजातीय समाज के प्रेमभाव और आतिथ्य की प्रतिमूर्ति है। यहां निषादराज का मंदिर बना है, ये उस मित्रता का साक्षी है, जो साधन नहीं, साध्य को और उसकी भावना को पुजती है।
यहां एक ही स्थान पर माता अहिल्या है, महर्षि वाल्मीकि हैं, महर्षि वशिष्ठ हैं, महर्षि विश्वामित्र हैं, महर्षि अगस्त्य हैं और संत तुलसीदास हैं। रामलला के साथ-साथ इन सभी ऋषियों के दर्शन भी यहीं पर होते हैं। यहां जटायु जी और गिलहरी की मूर्तियां भी हैं। जो बड़े संकल्पों की सिद्धि के लिए हर छोटे से छोटे प्रयास के महत्व को दिखाती हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हम सब जानते हैं कि हमारे राम भेद से नहीं भाव से जुड़ते हैं। उनके लिए व्यक्ति का कुल नहीं, उसकी भक्ति महत्वपूर्ण है। उन्हें वंश नहीं, मूल्य प्रिय है। उन्हें शक्ति नहीं, सहयोग महान लगता है। आज हम भी उसी भावना से आगे बढ़ रहे हैं।
edited by : Nrapendra Gupta