कृषि कानून बंधन नहीं विकल्प हैं, विपक्ष फैला रहा है झूठ : मोदी

Webdunia
बुधवार, 10 फ़रवरी 2021 (20:32 IST)
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 3 नए कृषि कानूनों को लेकर कांग्रेस सहित कुछ विपक्षी दलों पर झूठ एवं अफवाह फैलाने का आरोप लगाते हुए बुधवार को कहा कि ये कानून किसी के लिए बंधन नहीं हैं, बल्कि एक विकल्प है, ऐसे में विरोध का कोई कारण नहीं है।

प्रधानमंत्री ने प्रदर्शन कर रहे किसानों से अपील की, आइए, टेबल पर बैठकर चर्चा करें और समाधान निकालें।उन्होंने यह भी कहा कि किसान आंदोलन पवित्र है, लेकिन किसानों के पवित्र आंदोलन को बर्बाद करने का काम आंदोलनकारियों ने नहीं, आंदोलनजीवियों ने किया है। हमें आंदोलकारियों एवं आंदोलनजीवियों में फर्क करने की जरूरत है।

राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा का लोकसभा में जवाब देते हुए मोदी ने कहा, पहली बार इस सदन में ये  नया तर्क आया कि ये हमने मांगा तो दिया क्यों? आपने लेना नहीं हो तो किसी पर कोई दबाव नहीं है। प्रधानमंत्री के भाषण के बीच में कांग्रेस के सदस्य विरोध जताते हुए सदन से बर्हिगमन कर गए।

मोदी ने कहा कि इस देश में दहेज के खिलाफ कानून बने, इसकी किसी ने मांग नहीं की, लेकिन प्रगतिशील देश के लिए जरूरी था, इसलिए कानून बना। मोदी ने कहा कि इस देश के छोटे किसान को कुछ पैसे मिलें, इसकी किसी भी किसान संगठन ने मांग नहीं की थी, लेकिन प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत उनको हमने धन देना शुरू किया।

उन्होंने कहा कि तीन तलाक कानून, शिक्षा का अधिकार कानून, बाल विवाह रोकने के कानून की किसी ने मांग नहीं की थी, लेकिन समाज के लिए जरूरी था इसलिए कानून बना। प्रधानमंत्री ने कहा, मांगने के लिए मजबूर करने वाली सोच लोकतंत्र की सोच नहीं हो सकती है।

गौरतलब है कि कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस सहित कुछ विपक्षी दलों के सदस्यों ने चर्चा के दौरान कहा था कि जब किसानों ने इन कानूनों की मांग नहीं की, तब इसे क्यों लाया गया। विपक्षी दलों ने सरकार से तीन विवादित कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग की है।

इस मुद्दे पर पिछले दो महीने से अधिक समय से दिल्ली की सीमा पर पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश के कुछ क्षेत्रों के काफी संख्या में किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। बहरहाल, प्रधानमंत्री ने निचले सदन में कहा, कानून बनने के बाद किसी भी किसान से मैं पूछना चाहता हूं कि पहले जो हक और व्यवस्थाएं उनके पास थीं, उनमें से कुछ भी इस नए कानून ने छीन लिया है क्या? इसका जवाब कोई देता नहीं है, क्योंकि सबकुछ वैसा का वैसा ही है।

उन्होंने कहा, किसानों के पवित्र आंदोलन को बर्बाद करने का काम आंदोलनकारियों ने नहीं, आंदोलनजीवियों ने किया है। इसलिए देश को आंदोलनकारियों और आंदोलनजीवियों के बारे में फर्क करना बहुत जरूरी है।  प्रधानमंत्री ने सवाल किया कि दंगा करने वालों, सम्प्रदायवादी, आतंकवादियों जो जेल में हैं, उनकी फोटो लेकर उनकी मुक्ति की मांग करना, यह किसानों के आंदोलन को अपवित्र करना है।
 
उन्होंने कहा, किसान आंदोलन को मैं पवित्र मानता हूं। भारत के लोकतंत्र में आंदोलन का महत्व है, लेकिन जब आंदोलनजीवी पवित्र आंदोलन को अपने लाभ के लिए अपवित्र करने निकल पड़ते हैं तो क्या होता है? सदन में कांग्रेस सदस्यों की टोकाटोकी के संदर्भ में मोदी ने कहा कि संसद में ये जो हो-हल्ला, ये आवाज हो रही है, ये रुकावटें डालने का प्रयास हो रहा है, एक सोची-समझी रणनीति के तहत हो रहा है।

उन्होंने कहा, रणनीति ये है कि जो झूठ, अफवाहें फैलाई गई हैं, उसका पर्दाफाश हो जाएगा। इसलिए हो-हल्ला मचाने का खेल चल रहा है।मोदी ने कहा, कानून लागू होने के बाद न देश में कोई मंडी बंद हुई, न एमएसपी बंद हुआ। ये सच्चाई है। इतना ही नहीं ये कानून बनने के बाद एमएसपी की खरीद भी बढ़ी है।

उन्होंने दोहराया, ये नए कानून किसी के लिए बंधन नहीं हैं, सभी के लिए विकल्प हैं, अगर विकल्प हैं तो विरोध का कारण ही नहीं होता। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश का सामर्थ्य बढ़ाने में सभी का सामूहिक योगदान है और जब सभी देशवासियों का पसीना लगता है, तभी देश आगे बढ़ता है।

उन्होंने कहा, देश के लिए सार्वजनिक क्षेत्र जरूरी है तो निजी क्षेत्र का योगदान भी जरूरी है।उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री की इस टिप्पणी को कांग्रेस एवं कुछ विपक्षी दलों द्वारा चुनिंदा कॉर्पोरेट घरानों पर टीका-टिप्पणी करने के संदर्भ में देखा जा रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा, आज मानवता के काम देश आ रहा है तो इसमें प्राइवेट सेक्टर का भी बहुत बड़ा योगदान है।मोदी ने कहा कि हिंदुस्तान इतना बड़ा देश है, कोई भी निर्णय शत-प्रतिशत सबको स्वीकार्य हो ऐसा संभव ही नहीं हो सकता।

उन्होंने कहा, कृषि के अंदर जितना निवेश बढ़ेगा, उतने ही रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। दुनिया में हमें एक नया बाजार उपलब्ध होगा।मोदी ने कहा, हमारा किसान आत्मनिर्भर बने, उसे अपनी उपज बेचने की आजादी मिले, उस दिशा में काम करने की आवश्यकता है। हमारा किसान सिर्फ गेहूं-चावल तक सीमित न रहकर, दुनिया में जो आवश्यक है, उसका उत्पादन करके बेचे।(भाषा)

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