मंत्रियों एवं सांसदों के वेतन भत्ते में होगी 30% की कटौती, विधेयकों को राज्यसभा की मिली मंजूरी

Webdunia
शुक्रवार, 18 सितम्बर 2020 (15:40 IST)
नई दिल्ली। राज्यसभा ने मंत्रियों के वेतन एवं भत्तों से संबंधित संशोधन विधेयक और सांसदों के वेतन-भत्ते में 1 वर्ष के लिए 30 प्रतिशत की कटौती करने के प्रावधान वाले विधेयकों को शुक्रवार को मंजूरी दे दी। इस धनराशि का उपयोग कोविड-19 महामारी के कारण उत्पन्न स्थिति से मुकाबले के लिए किया जाएगा।
ALSO READ: राज्यसभा में Covid 19 से लड़ने व दोषारोपण से बचने की उठी मांग
उच्च सदन में संक्षिप्त चर्चा के बाद मंत्रियों के वेतन एवं भत्तों से संबंधित संशोधन विधेयक 2020 और संसद सदस्य वेतन, भत्ता एवं पेशन संशोधन विधेयक 2020 को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी गई। यह विधेयक इससे संबंधित अध्यादेश के स्थान पर लाया गया है।
 
इसके माध्यम से सांसदों के वेतन में 30% की कटौती के लिए संसद सदस्यों के वेतन, भत्ते और पेंशन अधिनियम, 1954 और मंत्रियों के सत्कार भत्ते में कटौती के लिए मंत्रियों का वेतन और भत्ते अधिनियम, 1952 में संशोधन किया गया है।
ALSO READ: कोरोना प्रबंधन को लेकर राज्यसभा में भिड़े भाजपा और आप के सदस्य
राज्यसभा में इन विधेयकों पर हुई चर्चा में भाग लेते हुए अधिकतर विपक्षी सदस्यों ने कहा कि सांसदों के वेतन में कटौती से उन्हें कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन सरकार को सांसद निधि के निलंबन पर पुनर्विचार करना चाहिए। संसदीय मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि कोविड-19 के कारण उत्पन्न अभूतपूर्व स्थिति को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। यह कदम उनमें से एक है।
 
उन्होंने कहा कि परोपकार की शुरुआत घर से होती है, ऐसे में संसद के सदस्य यह योगदान दे रहे हैं और यह छोटी या बड़ी राशि का सवाल नहीं है बल्कि भावना का है। कुछ सदस्यों द्वारा नोटबंदी, जीएसटी जैसे मुद्दे उठाने का जिक्र करते हुए जोशी ने कहा कि 2019 के चुनाव में इसके बारे में कई दलों एवं लोगों ने मिथ्यारोप किया था और कुछ लोग उच्चतम न्यायालय भी गए थे लेकिन देश की जनता ने हमें जबर्दस्त जनादेश दिया।
 
सांसद क्षेत्र विकास निधि (एमपीलैड) के बारे में सदस्यों के सवालों के जवाब में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सांसद निधि को अस्थायी रूप से 2 वर्षो के लिए निलंबित किया गया है। उन्होंने कहा कि लोगों की मदद के लिए कुछ कड़े फैसले लेने की जरूरत थी। उन्होंने कहा कि यह अस्थायी है।
 
दरअसल, कांग्रेस, राकांपा, आम आदमी पार्टी सहित अधिकतकर विपक्षी दलों के सदस्यों ने सांसद निधि को बहाल करने की मांग की थी, वहीं गृह राज्यमंत्री जी. किशन रेड्डी ने कहा कि कोविड-19 के समय में आम लोग, रेहड़ी पटरी वाले व श्रमिक आदि प्रभावित हुए हैं। ऐसे में हम सांसदों एवं मंत्रियों को आदर्श प्रस्तुत करना चाहिए।
 
चर्चा के दौरान कांग्रेस के गुलाम नबी आजाद ने कहा कि यहां 70 प्रतिशत सांसद सिर्फ तनख्वाह पर गुजारा करते हैं लेकिन छोटी-सी तनख्वाह से गरीबों और देश के लिए योगदान करने को वे तत्पर हैं लेकिन सांसद निधि हमारा पैसा नहीं है, यह गरीबों का पैसा है। पहले तो इसे 2 साल के लिए निलंबित नहीं किया जाना चाहिए था, निलंबन 1 साल के लिए करते और इसमें भी आधा पैसा यानी 2.5 करोड़ रूपए की कटौती करते।
 
कांग्रेस सदस्य राजीव सातव ने कहा कि उनकी पार्टी इस प्रस्ताव का समर्थन करती है लेकिन सरकार को विकास कार्य के लिए महत्वपूर्ण अहम 'एमपीलैड' को बंद नहीं करना चाहिए। उन्होंने सरकार से मांग की कि उसे पीएम केयर्स फंड का हिसाब लोगों को देना चाहिए। (भाषा)

सम्बंधित जानकारी

Show comments

Lok Sabha Chunav : रायबरेली में प्रियंका गांधी संभाल रहीं भाई राहुल का चुनावी कैंपेन, PM मोदी को लेकर लगाया यह आरोप

Sandeshkhali Case : बैरकपुर में प्रधानमंत्री मोदी का दावा, बोले- प्रताड़ित महिलाओं को धमका रहे TMC के गुंडे

केजरीवाल ने लोकसभा चुनाव में दी 10 गारंटी, कहा फेल हुआ भाजपा का प्लान

Gold ETF से निवेशकों ने अप्रैल में निकाले 396 करोड़, जानिए क्‍या है कारण...

FPI ने मई में की 17000 करोड़ से ज्‍यादा की निकासी, चुनाव काल में क्‍या है विदेशी निवेशकों का रुख

पाक अधिकृत कश्मीर में चौथे दिन भी हड़ताल जारी, स्थिति तनावपूर्ण

सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की केजरीवाल को सीएम पद से हटाने वाली याचिका

Lok Sabha Elections LIVE: पश्चिम बंगाल में सबसे ज्यादा, जम्मू कश्मीर में सबसे कम मतदान

पीएम मोदी आज शाम वाराणसी में, करेंगे 6 किलोमीटर लंबा रोड शो

CBSE 10th Result 2024 : सीबीएसई 10वीं बोर्ड का परीक्षा परिणाम घोषित, 93.6% विद्यार्थी उत्तीर्ण

अगला लेख