...तो यह है चीन की बौखलाहट की असली वजह

सुरेश एस डुग्गर
बुधवार, 27 मई 2020 (19:01 IST)
जम्मू। ऐसे में जबकि लद्दाख फ्रंटियर पर दोनों मुल्कों की सेनाएं आमने-सामने हैं और भारतीय तैयारियों पर चीन बौखला गया है, ऐसे में भारतीय वायुसेना ने चीन की ‘धमकियों’ को दरकिनार करते हुए सीमा से सटे हुए कई नए एयरफील्ड खोलने का फैसला लिया है।
 
पिछले 7 सालों में उसने कई एयरफील्ड को खोलकर चीन को यह संदेश दिया था कि ‘हम किसी से कम नहीं हैं’। इतना जरूर था कि दौलत बेग ओल्डी एयरफील्ड को खोलने के बाद से ही चीन की सीमा पर हाई अलर्ट इसलिए जारी किया गया था क्योंकि चीन इस हवाई पट्टी के खुलने के बाद से ही नाराज चल रहा है और इस इलाके को दुबुर्क से मिलाने वाली सड़क के रास्ते में उसकी ताजा घुसपैठ उसकी नाराजगी को दर्शाती है।
 
लद्दाख सेक्टर में 646 किमी लंबी सीमा पर चीन की ओर से लगातार बढ़ रहे सैन्य दबाव के बीच भारत ने वर्ष 2008 की 31 मई को लद्दाख क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा से महज 23 किलोमीटर दूर अपनी एक और हवाई पट्टी खोली थी। इससे पहले वर्ष 2009 में मई तथा नवंबर महीने में उसने दो अन्य हवाई पट्टियों को खोल कर चीन को चिढ़ाया जरूर था।
 
लद्दाख में वायुसेना ने 2013 में तीसरी हवाई पट्टी चालू की थी। इससे पहले दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) और फुकचे में वायुसेना ने अपनी हवाई पट्टी चालू की थी। डीबीओ की हवाई पट्टी कराकोरम रेंज में चीन सीमा से महज 8 किलोमीटर के भीतर है तथा फुकचे की हवाई पट्टी चुशूल के पास है।
 
वायुसेना ने यह कदम ऐसे समय पर उठाया था, जब लद्दाख में पहले चीनी हेलीकॉप्टर के अतिक्रमण की घटना सामने आई थी और इसके बाद इसी क्षेत्र के चुमर इलाके में चीन के सैनिक डेढ़ किमी भीतर तक घुस आए थे।
 
वायुसेना की नियोमा हवाई पट्टी लेह जिले में है और यहां से दूरदराज की चौकियों तक रसद पहुंचाई जा जा रही है। इसको खोलने के पीछे पर्यटन को भी बढ़ावा देना था। इससे पहले की हवाई पट्टियां कराकोरम दर्रे और मध्य लद्दाख के फुकचे में खोली जा चुकी हैं। वायुसेना के सूत्रों ने कहा कि नियोमा हवाई पट्टी का उपयोग पर्यटन और सैन्य दोनों ही उद्देश्यों के लिए किया जा रहा है।
 
दरअसल 13300 फुट की ऊंचाई पर स्थित नियोमा का एयरफील्ड सामरिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है। यह स्थान मनाली ओर लेह से सड़क मार्ग से जुड़ा है और सुरक्षा तैनाती के हिसाब से भी यह केंद्र में है। दौलत बेग ओल्डी हवाई पट्टी को 44 साल बाद वर्ष 31 मई 2008 को चालू किया गया था। उस समय पश्चिमी कमान के तत्कालीन प्रमुख एयरमार्शल बारबोरा एएन-32 विमान से वहां उतरे थे। तीसरी हवाई पट्टी खोले जाने से ठीक पहले तत्कालीन वायुसेना प्रमुख एयरचीफ मार्शल पीवी नाईक खुद लेह के दौरे पर गए थे। उन्होंने सियाचीन के बेस कैम्प का भी दौरा किया था।
 
इतना जरूर था कि लद्दाख में इस एयरफील्ड को खोले जाने तथा नए एयरफील्ड खोले जाने की घोषणाएं चीन को रास नहीं आ रही हैं। हालांकि पहले इसे खोलने की योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था, लेकिन बाद में चीनी सेना की बढ़ती गतिविधियों के मद्देनजर इसकी जबरदस्त जरूरत महसूस की गई थी।
 
सैन्य सूत्रों के मुताबिक, लद्दाख में चीन सीमा से सटे इलाकों में भारतीय सैन्य तैयारियों से ही चीन चिढ़ा हुआ है और वह भारत पर लगातार दबाव बनाए हुए है कि एलएसी से सटी सभी हवाई पट्टियों को तत्काल बंद कर दे पर चीन के खतरे को भांपते हुए भारत ऐसा करने के पक्ष में नहीं है और गलवान वैली में ताजा चीनी घुसपैठ इसी दबाव का एक हिस्सा बताया जा रहा है।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

Lok Sabha Elections 2024 : मेरी इच्छा है नरेंद्र मोदी फिर से मुख्यमंत्री बनें, नीतीश कुमार की फिर फिसली जुबान

Rajasthan weather : राजस्थान में गर्मी का कहर, फलोदी में तापमान 50 डिग्री के पार

Lok Sabha Elections : राहुल गांधी का दावा, प्रधानमंत्री मोदी गिराना चाहते हैं हिमाचल की सरकार

मोदी, शाह और फडणवीस ने गडकरी की हार के लिए काम किया, संजय राउत का दावा

बेबी केयर सेंटर का मालिक नवीन गिरफ्तार, अस्पताल में आग लगने से हुई थी 7 नवजात की मौत

दक्षिण एशिया में बढ़ती गर्मी से बच्चों के लिए है बहुत बड़ा ख़तरा : UNICEF

अमेरिका में तूफान से 18 लोगों की मौत, 100 से ज्यादा मकान क्षतिग्रस्त

चक्रवाती तूफान रेमल से असम में भारी बारिश के आसार, प्रशासन अलर्ट

टीआरपी गेम जोन हादसे के बाद एक्शन में सरकार, 6 अधिकारियों पर गिरी गाज

राजकोट अग्निकांड के बाद अब बड़ौत के हॉस्पिटल में लगी आग, मरीजों को सुरक्षित बाहर निकाला

अगला लेख