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पीएम मोदी ने इस तरह RSS 100 वर्षों को किया याद, शताब्दी वर्ष कार्यक्रम में क्या बोले?

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हमें फॉलो करें PM Modi on RSS 100 yrs

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

नई दिल्ली , बुधवार, 1 अक्टूबर 2025 (12:21 IST)
PM Modi on RSS : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्‍ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) के शताब्दी वर्ष कार्यक्रम में कहा कि संघ की भाषा में कोई विरोधाभास नहीं है। वह सभी को साथ लेकर आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि संघ के लिए देश ही प्राथमिकता। संघ ने समाज के हर आयाम को छूने का प्रयास किया।
 
पीएम मोदी ने कहा कि विजयादशमी भारतीय संस्कृति के इस विचार और विश्वास का कालजयी उद्घोष है। ऐसे महान पर्व पर 100 वर्ष पूर्व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना ये कोई संयोग नहीं था। ये हजारों वर्षों से चली आ रही उस परंपरा का पुनरुत्थान था। जिसमें राष्ट्र चेतना, समय समय पर उस युग की चुनौतियों का सामना करने के लिए नए-नए अवतारों में प्रकट होती है। इस युग में संघ उसी अनादि राष्ट्र चेतना का पुण्य अवतार है।   
 
उन्होंने कहा कि ये हमारी पीढ़ी के स्वयंसेवकों का सौभाग्य है कि हमें संघ के शताब्दी वर्ष जैसा महान अवसर देखने को मिल रहा है। मैं आज इस अवसर पर राष्ट्र सेवा को समर्पित कोटि-कोटि स्वयंसेवकों को शुभकामनाएं देता हूं, अभिनंदन करता हूं। संघ के संस्थापक, हम सभी के आदर्श परम पूज्य डॉ. हेडगेवार जी के चरणों में श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।
क्या है सिक्के में खास : प्रधानमंत्री ने बताया कि संघ की 100 वर्ष की इस गौरवमयी यात्रा की स्मृति में आज भारत सरकार ने विशेष डाक टिकट और स्मृति सिक्के जारी किए हैं। 100 रुपए के सिक्के पर एक ओर राष्ट्रीय चिन्ह है और दूसरी ओर सिंह के साथ वरद-मुद्रा में भारत माता की भव्य छवि है। भारतीय मुद्रा पर भारत माता की तस्वीर संभवत: स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है। इस सिक्के के ऊपर संघ का बोध वाक्य भी अंकित है- राष्ट्राय स्वाहा, इदं राष्ट्राय इदं न मम।
 
26 जनवरी की परेड में RSS : नरेंद्र मोदी ने कहा कि 1963 में RSS के स्वयंसेवक भी 26 जनवरी की परेड में शामिल हुए थे। उन्होंने बहुत आन-बान-शान से राष्ट्रभक्ति की धुन पर कदमताल किया था। जिस तरह विशाल नदियों के किनारे मानव सभ्यताएं पनपती हैं, उसी तरह संघ के किनारे भी और संघ की धारा में भी सैकड़ों जीवन पुष्पित, पल्लवित हुए हैं। अपने गठन के बाद से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ विराट उद्देश्य लेकर चला। ये उद्देश्य रहा- राष्ट्र निर्माण।
 
प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्र निर्माण का महान उद्देश्य, व्यक्ति निर्माण का स्पष्ट पथ, शाखा जैसी सरल, जीवंत कार्यपद्धति, यही संघ की सौ वर्षों की यात्रा का आधार बने। संघ ने कितने ही बलिदान दिए। लेकिन भाव एक ही रहा -राष्ट्र प्रथम... लक्ष्य एक ही रहा -'एक भारत, श्रेष्ठ भारत'।
 
संघ के खिलाफ साजिशों को भी किया याद : उन्होंने कहा कि राष्ट्र साधना की इस यात्रा में ऐसा नहीं है कि संघ पर हमले नहीं हुए, संघ के खिलाफ साजिशें नहीं हुईं। हमने देखा है कि कैसे आजादी के बाद संघ को कुचलने का प्रयास हुआ। मुख्यधारा में आने से रोकने के अनगिनत षड्यंत्र हुए। परमपूज्य गुरुजी को झूठे केस में फंसाया गया, उन्हें जेल तक भेज दिया गया। लेकिन जब पूज्य गुरुजी जेल से बाहर आए तो उन्होंने सहज रूप से कहा और शायद इतिहास में सहज भाव एक बहुत बड़ी प्रेरणा है। उन्होंने सहजता से कहा था कि कभी-कभी जीभ दांतों के नीचे आकर दब जाती है, कुचल भी जाती है, लेकिन हम दांत नहीं तोड़ देते हैं, क्योंकि दांत भी हमारे हैं और जीभ भी हमारी है।
 
कामों को भी याद किया : पीएम मोदी ने कहा कि हर आपदा के वक्त स्वयंसेवक आगे आए। जब विभाजन की पीड़ा ने लाखों परिवारों को बेघर कर दिया तब स्वयंसेवकों ने शरणार्थियों की सेवा की। संघ के स्वयंसेवक आदिवासियों का जीवन संवारने में लगे। कोरोनाकाल में भी उन्होंने लोगों की मदद की।
edited by : Nrapendra Gupta

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