आरक्षण पर संसद में बवाल, सरकार के जवाब से असंतुष्ट विपक्ष का वॉकआउट

Webdunia
सोमवार, 10 फ़रवरी 2020 (17:54 IST)
नई दिल्ली। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने सोमवार को संसद में कहा कि सरकार अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं पिछड़े वर्ग के कल्याण के प्रति समर्पित है और उत्तराखंड में आरक्षण को लेकर उच्चतम न्यायालय में जो निर्णय आया है उस पर उच्च स्तर पर विचार विमर्श कर उचित फैसला किया जाएगा।

गहलोत के इस बयान को विपक्ष ने अस्पष्ट बताते हुए कड़ा विरोध किया और लोकसभा तथा राज्यसभा से वाकआउट किया। गहलोत ने कहा कि उत्तराखंड में पदोन्नति में आरक्षण के मामले में उच्चतम न्यायालय ने 7 फरवरी को फैसला दिया है। उत्तराखंड सरकार ने यह मामला दायर किया था, जिसमें केन्द्र सरकार पक्षकार नहीं थी। उस समय उत्तराखंड में कांग्रेस की सरकार थी। केन्द्र सरकार इस मामले में समुचित कदम उठाएगी।

राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि आजादी के बाद जवाहर लाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल, बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर और कुछ अन्य नेताओं के प्रयास से गरीबों के उत्थान के लिए अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को नौकरियों में आरक्षण की व्यवस्था का प्रावधान कराया था।

उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के सरकारी वकील ने उच्चतम न्यायालय में कहा कि नौकरियों और पदोन्नति में आरक्षण नहीं होना चाहिए। उन्होंने इसे गंभीर मामला बताते हुए कहा कि यह देश की एक चौथाई आबादी का सवाल है। उन्होंने सरकार से इस मामले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में जाने या विधेयक लाने की मांग की।

समाजवादी पार्टी के राम गोपाल यादव और तृणमूल कांग्रेस के सुखेन्दु शेखर राय ने सरकार से उच्चतम न्यायालय जाने या अध्यादेश लाने की मांग की। खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़े वर्गों और ऊंची जाति के गरीब लोगों को नौकरियों में आरक्षण दिया जा रहा है। उन्होंने न्यायाधीशों की नियुक्ति में आरक्षण लागू करने की मांग की। उन्होंने कहा कि कोई सरकार आरक्षण को समाप्त नहीं कर सकती है।

भाजपा के भूपेन्द्र यादव ने कहा कि दो मंत्रियों ने सरकार की प्रतिबद्धता व्यक्त की है। यादव ने बाद में विपक्ष के वाकआउट की निंदा की।

लोकसभा में श्री गहलोत के बयान के बाद कांग्रेस समेत विपक्षी दल लोकसभा से बहिगर्मन कर गए। उन्होंने कहा कि सरकार इस मामले में उच्च स्तरीय विचार विमर्श के बाद आगे पहल करेगी। उन्होंने सदन को बताया कि यह मामला 2012 का है और तब उत्तराखंड में कांग्रेस की सरकार थी। इस पर कांग्रेस की ओर से हंगामा शुरू हो गया।

कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने इस मामले कुछ कहना चाहा, लेकिन अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि मंत्री के बयान के बाद किसी को बात रखने की इजाजत नहीं दी जाती है। उसके बाद कांग्रेस, द्रमुक तथा रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी के सदस्य सदन से बहिर्गमन कर गए।

इससे पहले चौधरी ने शून्यकाल में यह मामला उठाया और कहा कि उत्तराखंड सरकार की तरफ से इन वर्गों के लिए आरक्षण को लेकर उच्चतम न्यायालय में याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा गया कि सरकारी नौकरियों तथा पदोन्नति में आरक्षण मूलभूत अधिकारों में शामिल नहीं है।

उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में भाजपा की सरकार है और राज्य सरकार की तरफ से यह तर्क आरक्षण को लेकर न्यायालय में दिया गया है, जिससे स्पष्ट होता है कि सरकार आरक्षण समाप्त करना चाहती है। उन्होंने कहा कि हजारों साल से दबे-कुचले इन वर्गों के लोगों को सरकार को संरक्षण देना चाहिए, लेकिन भाजपा सरकार न्यायालय में गलत तर्क दे रही है।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

Russia Ukraine War भयानक स्थिति में, ICBM से मचेगी तबाही, पुतिन के दांव से पस्त जेलेंस्की

IAS Saumya Jha कौन हैं, जिन्होंने बताई नरेश मीणा 'थप्पड़कांड' की हकीकत, टीना टाबी से क्यों हो रही है तुलना

जानिए 52 करोड़ में क्यों बिका दीवार पर डक्ट-टेप से चिपका केला, यह है वजह

C वोटर के एग्जिट पोल में महाराष्ट्र में किसने मारी बाजी, क्या फिर महायुति की सरकार

Russia-Ukraine war : ICBM हमले पर चुप रहो, प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रही रूसी प्रवक्ता को आया पुतिन का फोन

सभी देखें

नवीनतम

सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया को बीमा कारोबार के लिए RBI से मिली मंजूरी

Gold Prices : शादी सीजन में सोने ने फिर बढ़ाई टेंशन, 84000 के करीब पहुंचा, चांदी भी चमकी

Canada india Conflict : भारत की फटकार के बाद कैसे बदले कनाडा के सुर, अपनी ही बात से पलटे Trudeau

श्रीनगर में इस मौसम की सबसे ठंडी रात, तापमान शून्य से 1.2 डिग्री सेल्सियस नीचे

LIVE: महाराष्ट्र- झारखंड विधानसभा चुनाव में किसके सिर सजेगा ताज? खरगे ने किया बड़ा दावा

अगला लेख