S Jaishankar on emergency : विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को कहा कि श्रीलंका द्वारा भारतीय मछुआरों को गिरफ्तार करने का मुद्दा आपातकाल के दौरान हुए एक समझौते से उपजा है, इसके तहत कुछ विशिष्ट क्षेत्रों में मछली पकड़ने के अधिकार भारत ने छोड़ दिए थे।
जयशंकर ने आपातकाल की 50वीं बरसी पर भाजपा युवा मोर्चा द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि यदि उस समय वास्तविक संसद काम कर रही होती तो श्रीलंका के साथ यह समझौता नहीं होता। उस समय कभी-कभी बिना किसी संसदीय चर्चा के बड़े फैसले ले लिए जाते थे।
विदेश मंत्री ने कहा कि हम श्रीलंका द्वारा हमारे मछुआरों को गिरफ्तार किए जाने के बारे में सुनते रहते हैं। इसका कारण यह है कि आपातकाल के दौरान एक समझौता किया गया था, जिसके तहत श्रीलंका के कुछ समुद्री क्षेत्र में मछली पकड़ने के मछुआरों के अधिकार को छोड़ दिया गया था। अगर उस समय वास्तविक संसद काम कर रही होती तो चर्चा होती और इस फैसले को स्वीकार नहीं किया जाता। इस निर्णय के परिणाम तमिलनाडु में अब भी दिखाई देते हैं।
जयशंकर ने कहा कि दुनिया में सबसे पुराने और सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में भारत की छवि को तब धक्का लगा जब 25 जून 1975 को आपातकाल लगाया गया। उन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्रावासों में पुलिस छापों के अपने अनुभवों और जॉर्ज फर्नांडिस जैसे नेताओं के साथ अपने परिवार के संबंधों को भी याद किया।
विदेश मंत्री ने कहा कि मैंने विदेश सेवा में अपने वरिष्ठों से सुना था कि आपातकाल लगाकर संविधान और लोकतंत्र की हत्या के बाद भारत की रक्षा करना कितना कठिन था।
गांधी परिवार पर निशाना साधते हुए जयशंकर ने कहा कि जब देश से पहले परिवार को रखा जाता है तो आपातकाल की स्थिति पैदा हो जाती है। उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि कुछ लोग संविधान की प्रति अपनी जेब में रखते हैं, लेकिन उनके दिल में कुछ और ही होता है।
राजनाथ का समर्थन : केंद्रीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पाकिस्तान का नाम लिए बिना कहा कि शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के रक्षा मंत्रियों की बैठक के घोषणापत्र में भारत आतंकवाद का उल्लेख चाहता था लेकिन एक सदस्य देश को यह स्वीकार्य नहीं था। उन्होंने कहा कि इस मामले पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का दृष्टिकोण सही था क्योंकि एससीओ का मुख्य उद्देश्य आतंकवाद से लड़ना है और इस संदर्भ (आतंकवाद पर भारत की चिंता) के बिना सिंह ने परिणामी दस्तावेज को स्वीकार करने से इनकार कर दिया।
edited by : Nrapendra Gupta