मध्यप्रदेश चुनाव परिणाम: 13 साल 13 दिन बाद गद्दी से उतरे शिवराज, क्या 2019 में मोदी को देंगे चुनौती...

नृपेंद्र गुप्ता
13 साल 13 दिन मध्यप्रदेश की कमान संभालने वाले लोकप्रिय नेता शिवराजसिंह चौहान भले ही चौथी बार मुख्यमंत्री बनने में नाकाम रहे हों लेकिन उनकी लोकप्रियता अभी भी बरकरार है। इस जननेता के चाहने वाले अभी भी इस बात को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं कि प्रदेश में विकास की गंगा बहाने वाले शिवराज अब प्रदेश के मुख्‍यमंत्री नहीं रहे।
 
सोशल मीडिया पर उनके आधिकारिक अकाउंट्स पर किए गए इमोशनल ट्विट्स के जवाब में जिस तरह लोगों की भावनाओं का ज्वार उमड़ा, उसने यह बता दिया कि शिवराज ने लोगों का दिल जीत लिया है और सीएम नहीं रहने के बाद भी उनका कद कम होने के बजाय बढ़ गया है।
 
सत्ता गंवाने के बाद शिवराज ने जिस तरह आगे बढ़कर हार स्वीकार की और सरकार नहीं बनाने का फैसला किया, उसने उनके कद को और बढ़ा दिया। ऐसा लग रहा है कि शिवराज ने अभी से लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी शुरू कर दी है।
 
अगर शिवराज इस मुश्किल समय में भी लोकसभा चुनाव के लिए सोच रहे हैं तो वे पार्टी में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के एकछत्र राज को चुनौती देने के साथ ही उनके समकक्ष खड़े हो सकते हैं। फिलहाल भाजपा में मोदी के कद का एक भी नेता नहीं है। योगी के यूपी के सीएम बनने के बाद मोदी को पार्टी में जो आंशिक चुनौती मिली थी, इसी तरह का नजारा शिवराज की सक्रियता से दिखाई दे सकता है।
 
शिवराज हमेशा से ही एक दूरदर्शी नेता के रूप में जाने जाते रहे हैं। चाहते तो वे भी जोड़-तोड़ की राजनीति कर कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। असल में उनका होमवर्क लोकसभा चुनाव के लिए शुरू हो चुका है।
 
यदि मध्यप्रदेश में भाजपा को 109 सीटें भी मिली भी हैं तो यह अकेले शिवराज की मेहनत के कारण ही आई हैं और 3 राज्यों में भाजपा की जो हार हुई है, वो अप्रत्यक्ष रूप से मोदी की हार ही मानी जाएगी। कहना उचित होगा कि मोदी का तिलिस्म हिन्दीभाषी राज्यों में खत्म होता-सा नजर आ रहा है।
 
तीन राज्यों में हार के बाद प्रधानमंत्री मोदी के लिए भी आने वाले चुनाव आसान नहीं रहेंगे और भाजपा का थिंक टैंक भी इस पर मनन करेगा कि क्या मोदी लहर खत्म हो रही है? ऐसे में मोदी के सामने शिवराज की लोकप्रियता को अनदेखा करना आसान भी नहीं रहेगा और उन्हें तवज्जो देना भी प्रधानमंत्री को शायद ही गंवारा होगा।
 
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि एकध्रुवीय राजनीति को पसंद करने वाले मोदी किस तरह लोकप्रियता के मामले में शिवराज का सामना करते हैं? 

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