SIR news in Hindi : बिहार के बाद देश के 12 राज्यों में स्पेशल इंटेंसिव रिविजन (SIR) की प्रक्रिया चल रही है। इनमें एसआईआर को लेकर बीएलओ काफी तनाव में दिखाई दे रहे हैं। काम के दबाव के साथ ही उन्हें नोटिस और सस्पेंशन का भी डर सता रहा है। कई राज्यों से बूथ लेवल ऑफिसर्स (BLO) की मौतें की खबरें भी आ रही है।
दावा किया जा रहा है कि 19 दिन में 6 राज्यों में 16 बीएलओ की मौत हो चुकी है। कहा जा रहा है कि गुजरात और मध्यप्रदेश में 4-4, बंगाल में 3, राजस्थान में 2, तमिलनाडु और केरल से 1-1 बीएलओ की मौत की खबरें मिली है।
पूरा हुआ फॉर्म बांटने का काम : दावा किया जा रहा है कि सभी 12 राज्यों में फॉर्म बांटने का काम लगभग पूरा हो चुका है। सर्वे को लेकर बीएलओ तनाव में है। काम के बोझ की वजह से वे ना तो ठीक से खाना खा पा रहे हैं और ना ही उन्हें ठीक से नींद आ रही है। बीएलओ को रोज 12 से 15 घंटे काम करना पड़ रहा हैं।
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Nearly 99% (over 50.45 Crore) Electors receive the Enumeration Forms of SIR Phase II in 12 States/ UTs
— Election Commission of India (@ECISVEEP) November 22, 2025
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केवल 12 दिन का समय शेष : एसआईआर प्रक्रिया के तहत, बीएलओ के पास फॉर्म भरवाने के लिए केवल 12 दिन बचे हैं। समय बहुत कम है और सभी फॉर्मों का डिजिटली भरना है। काम में लापरवाही करने पर तुरंत नोटिस मिल जाता है। समय सीमा के भीतर फॉर्म जमा करना अनिवार्य है ताकि सभी योग्य नागरिक एसआईआर प्रक्रिया में भाग ले सकें। हालांकि मतदाता ऑनलाइन गणना प्रपत्र भी भर सकते हैं।
कांग्रेस ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर अपनी पोस्ट में कहा कि देश के 12 राज्यों में SIR के ऐलान के बीच BLOs की मौत की ख़बरें पीड़ादायक हैं। अब मध्य प्रदेश में दो और तमिलनाडु में एक BLO की जान चली गई। उन पर SIR का काम जल्दी पूरा करने का भारी दबाव था।
सियासत भी गर्म : बंगाल की मुख्यमंत्री ने मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार को पत्र लिखकर मतदाता सूची में चल रही विशेष गहन समीक्षा प्रक्रिया को रोकने का आग्रह किया है। सीएम ममता ने बूथ स्तर के अधिकारियों पर 'अमानवीय' कार्य दबाव का हवाला दिया है, जो राज्यभर में घर-घर जाकर यह प्रक्रिया संचालित कर रहे हैं। हालांकि चुनाव आयोग के सूत्रों ने कहा है कि बीएलओ को पूरी ट्रेनिंग दी गई है।
इधर भाजपा ने आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के खिलाफ शिकायत कर रही हैं क्योंकि उनका राजनीतिक वजूद धोखेबाजी के जरिए बनाए गए जनाधार को बचाने पर टिका हुआ है।