नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मोदी सरकार को बड़ी राहत देते हुए कहा कि राफेल डील की प्रक्रिया में कोई कमी नहीं रही। अदालत ने कहा कि इस मामले में प्रक्रिया पर सवाल उठाना सही नहीं है। अदालत के इस फैसले से कांग्रेस की राफेल पर मोदी सरकार को घेरने की रणनीति पर बड़ा झटका लगा है। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने इस मामले में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से माफी मांगने की मांग की है।
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने सौदे की प्रक्रिया की वैधता को चुनौती देने वाली सभी छह याचिकाएं यह कहते हुए खारिज कर दी कि उसे सौदे में कोई अनियमितता नजर नहीं आई। शीर्ष अदालत ने राफेल लड़ाकू विमान को देश की जरूरत बताते हुए याचिकाएं ठुकराईं।
न्यायमूर्ति गोगोई ने फैसला सुनते हुए कहा सितंबर 2016 में जब राफेल सौदे को अंतिम रूप दिया गया था, उस वक्त किसी ने खरीद प्रक्रिया पर सवाल नहीं उठाए थे। उन्होंने कहा, 'हमें फ्रांस से 36 राफेल विमानों की खरीद की प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नजर नहीं आता है।' न्यायालय ने कहा के राफेल लड़ाकू विमानों की कीमत पर निर्णय लेना अदालत का काम नहीं है।
शीर्ष अदालत ने माना कि भारतीय वायुसेना में राफेल की तरह के चौथी और पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों को शामिल करने की जरूरत है। पीठ ने कहा, 'देश को चौथी एवं पांचवी पीढ़ी लड़ाकू विमानों की जरूरत है, जो हमारे पास नहीं है और देश लड़ाकू विमानों के बगैर नहीं रह सकता।'
न्यायालय ने कहा कि उसे राफेल खरीद सौदे में निर्णय लेने की प्रक्रिया पर संदेह करने का कोई कारण नजर नहीं आता।
संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के शासन काल में 126 लड़ाकू विमान खरीदे जाने के बजाय मोदी सरकार द्वारा केवल 36 लड़ाकू विमान खरीदे जाने को लेकर उठाए गए सवालों पर न्यायालय ने कहा कि वह सरकार को 126 या 36 विमान खरीदने के लिए बाध्य नहीं कर सकता। (भाषा)