टाटा संस ने साइरस मिस्‍त्री पर लगाए नए आरोप

Webdunia
गुरुवार, 10 नवंबर 2016 (20:34 IST)
मुंबई। विभिन्न क्षेत्रों में कारोबार करने वाली देश की दिग्गज कंपनी टाटा संस तथा इसके पूर्व अध्यक्ष साइरस मिस्त्री की जंग तेज होती जा रही है और दोनों पक्षों के बीच आरोप-प्रत्यारोपों का दौर जारी है। 

टाटा संस ने गुरुवार को जारी विज्ञप्ति में टाटा समूह के खराब प्रदर्शन, घटते लाभांश और समूह के जनसंपर्क का गलत इस्तेमाल करके मीडिया को दिग्भ्रमित करने का आरोप लगाया है। समूह ने साथ ही मिस्त्री को गत 100 साल में बनाए गए संगठनात्मक ढांचे को खत्म करने का भी दोषी ठहराया है।
 
समूह ने अपनी लंबी-चौड़ी विज्ञप्ति में कहा है कि टाटा संस के निदेशक समूह के नतीजों और शेयरधारकों के प्रति अपनी जिम्मेदारी के प्रति जवाबदेह होते हैं। मिस्त्री 1 साल तक कार्यकारी उपाध्यक्ष और 4 साल की लंबी अवधि के लिए कार्यकारी अध्यक्ष रहे और यह टाटा संस पर उनके प्रभाव और उनके पद पर बने रहने के परिणाम को दिखाने का काफी लंबा समय होता है। यह मिस्त्री की एक अध्यक्ष के रूप में मूल जिम्मेदारी भी थी। 
 
विज्ञप्ति में कहा गया है कि उनके कार्यकाल के परिणाम को पूरी तरह देखने के लिए टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) की आय को समूह के लाभांश से अलग करके देखना उचित होगा, क्योंकि मिस्त्री टीसीएएस प्रबंधन में कोई जिम्मेदारी नहीं निभा रहे थे और न ही टीसीएस को अपने विकास के लिए टाटा संस से किसी फंड की जरूरत थी। टीसीएस को टाटा संस के लाभांश से अलग करने पर हमें अच्छी तरह पता चल पाएगा कि समूह को अपनी अन्य 40 सूचीबद्ध और गैर सूचीबद्ध कंपनियों से क्या मिल पाया।
 
मिस्त्री के कार्यकाल में 2012-13 की अवधि के दौरान के 1,000 करोड़ रुपए से समूह का लाभांश 2015-16 में काफी गिरकर 780 करोड़ रुपए पर आ गया। इन 780 करोड़ रुपए में 100 करोड़ रुपए की वह अंतरिम लाभांश की राशि भी जुड़ी है, जो 2016-17 में मिलने वाली रही है। इससे पता चलता है कि गत 4 साल में उन सभी 40 कंपनियों का कुल मुनाफा घट गया है।
 
टाटा संस के अनुसार मिस्त्री के पद पर रहने के दौरान लाभांश में गिरावट के साथ-साथ खर्च में भी बढ़ोतरी दर्ज की गई। वर्ष 2012-13 में कर्मचारियों के मद में होने वाला खर्च (ऋण के ब्याज के अतिरिक्त) 84 करोड़ रुपए से 2015 में बढ़कर 180 करोड़ रुपए हो गया और अन्य खर्च (अपवादस्वरूप होने वाले खर्च के अतिरिक्त) भी इस अवधि में 220 करोड़ रुपए से बढ़कर 290 करोड़ रुपए हो गया। 
 
टाटा संस के मुताबिक मिस्त्री के कार्यकाल के दौरान निवेशों की बिक्री से भी कोई लाभ नहीं हुआ जबकि इन निवेशों को तरलीकृत करने की पूरी योजनाबद्ध तरीके से समय-समय पर सूची बनाई गई थी।
 
इस दौरान समूह का इम्पेयरमेंट प्रोविजन (बैलेंस शीट पर दर्ज परिसंपत्तियों के मूल भाव में आई काफी गिरावट की स्थिति में इस्तेमाल की जाने वाली राशि) 2012-13 के 200 करोड़ रुपए से कई गुना बढ़कर 2015-16 में 2400 करोड़ रुपए हो गया। इससे पता चलता है कि मिस्त्री परिसंपत्तियों के गिरते भाव को रोकने में नाकाम साबित हुए।
 
टाटा संस ने आगे कहा कि अगर टीसीएस की बात छोड़ दी जाए तो समूह पिछले 3 साल से घाटे को झेल रहा है, जो शेयरधारकों तथा निदेशक मंडल के लिए चिंता की बात थी। (वार्ता)
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