अब प्रवासी श्रमिकों को निशाना बना रहे हैं कश्मीरी आतंकवादी

सुरेश एस डुग्गर
श्रीनगर। आतंकियों की बंदूकें अब राज्य के बाहर से आने वाले प्रवासी श्रमिकों की ओर मुड़ने लगी हैं। एक की हत्या भी की जा चुकी है तो बाकी को डराया-धमकाया जाने लगा है। उन पर यह कहर चोटी कटवा के शक में बरपाया जा रहा है। नतीजा सामने है। प्रवासी श्रमिक कश्मीर से अपने घरों को लौटने लगे हैं जिस कारण कश्मीर में श्रमिकों की कमी होने से विकास के कार्य ठप होने लगे हैं।
 
यह सच है कि दक्षिण कश्मीर में आतंकवादियों द्वारा एक बाहरी राज्य के श्रमिक की निर्मम हत्या किए जाने के बाद कश्मीर में रह रहे श्रमिकों में डर पैदा हो गया है। रविवार को अनंतनाग के अरवनी क्षेत्र में आतंकियों ने एक श्रमिक को गोली मार दी। इससे बाकी श्रमिकों में डर बैठ गया है। घाटी में रोजी-रोटी कमाने के लिए आए मजदूर अब अपना बोरिया-बिस्तर समेटने लगे हैं। कुछ श्रमिकों ने जहां श्रीनगर जैसे मुख्य कस्बों का रुख कर लिया है तो वहीं कई श्रमिक अपने घरों को लौटने की तैयारियां कर रहे हैं।
 
बताया जा रहा है कि जिस श्रमिक को गोली मारी गई है वह वर्षों से वहीं पर काम रहा था। अरवनी के बाछी इलाके में सोमवार को कई श्रमिक अपने घरों की तैयारियां करते दिखे। कश्मीर में आतंकियों के कई ऐसे पोस्टर मिले हैं जिसमें बाहरी राज्य के श्रमिकों को घाटी छोड़ने के लिए कहा गया है।
 
एक श्रमिक ने बताया कि उसके कई साथी घाटी छोड़कर चले गए हैं। वह भी दो-तीन दिन में चला जाएगा। गुलफाम नामक श्रमिक के अनुसार, वह 10 वर्ष से घाटी में है पर उसे ऐसा डर पहली बार महसूस हो रहा है। उसके कई साथी घर वापस चले गए हैं। उसके अनुसार, उसे कुछ पैसे लेने हैं और वह लेकर वो भी घर चला जाएगा। श्रमिकों को डर है कि अरवनी में रविवार को जो हुआ है वो उनके साथ भी हो सकता है। फिलहाल बाहरी राज्य के श्रमिक कश्मीर में नहीं ठहरना चाहते हैं।
 
आतंकियों ने रविवार शाम जिला अनंतनाग के अरवनी में एक बाहरी श्रमिक की गोली मारकर हत्या कर दी थी। वह वर्षों से वहीं पर रह रहा था। अरवनी और वाची इलाके में बहुत से बाहरी श्रमिक सोमवार को बोरिया-बिस्तर समेट अपने घरों के लिए रवाना हो गए। इस इलाके में बाहरी श्रमिकों को कश्मीर छोड़ने के लिए आतंकियों द्वारा जारी धमकीभरे पोस्टर भी मिले हैं।
 
फिरोज अहमद नामक श्रमिक ने कहा कि मेरे अधिकांश साथी यहां से चले गए हैं। मैं भी दो-तीन दिनों में यहां से चला जाऊंगा। उसने कहा कि मैं बीते नौ साल से यहां आ रहा हूं। यहां बहुत से लोगों के मकानों में मैंने राज मिस्त्री का काम किया है, लेकिन पहली बार यहां डर महसूस कर रहा हूं। वाची कस्बे के बाजार में हलवाई की दुकान चलाने वाले शमसदीन ने कहा कि हम यहां पांच साल पहले बिजनौर से आए थे, लेकिन अब जान पर बन आई है। छह कारीगर थे, चार सोमवार सुबह चले गए हैं। मैं भी यहां से जाने की सोच रहा हूं।
 
रविवार शाम को अरवनी में जो हुआ, वह हमारे साथ भी हो सकता है। श्रमिक उपलब्ध कराने वाले बिलासपुर के मंसूर अहमद ठेकेदार ने कहा कि हालात ठीक नहीं हैं। यहां कोई नहीं रुकना चाहता। मैं इस साल 60 श्रमिकों को लेकर आया था। सोमवार दोपहर तक मेरे लाए हुए 40 मजदूर, जो शोपियां में काम कर रहे थे, काम छोड़कर आ गए। सब घर जाना चाहते हैं। वहीं पुलिस महानिरीक्षक (आइजी), कश्मीर मुनीर अहमद खान ने अरवनी में रविवार शाम हुई हत्या को मजदूरों के पलायन का कारण मानने से इनकार करते हुए कहा कि अधिकांश मजदूर दिवाली मनाने अपने घर चले गए हैं।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

कांवड़ यात्रा को बदनाम करने की कोशिश, CM योगी ने उपद्रवियों को दी चेतावनी

समुद्र में आग का गोला बना जहाज, 300 से ज्यादा यात्री थे सवार, रोंगटे खड़े कर देगा VIDEO

महंगा पड़ा कोल्डप्ले कॉन्सर्ट में HR मैनेजर को गले लगाना, एस्ट्रोनॉमर के CEO का इस्तीफा

संसद के मानसून सत्र से पहले सर्वदलीय बैठक, बिहार में SIR पर विपक्ष ने उठाए सवाल

24 कंपनियों ने जुटाए 45,000 करोड़, IPO बाजार के लिए कैसे रहे 2025 के पहले 6 माह?

सभी देखें

नवीनतम

उपराष्ट्रपति धनखड़ चाहते थे सरकार और विपक्ष मिलकर काम करें : कपिल सिब्बल

Voter List को लेकर राहुल गांधी ने कांग्रेस नेताओं को किया आगाह, बोले- महाराष्ट्र की तरह मप्र में भी हो सकती है मतदाता सूची में छेड़छाड़

Jagdeep Dhankhar Resigns : जगदीप धनखड़ ने उपराष्ट्रपति पद से अचानक क्‍यों दिया इस्‍तीफा, सिर्फ खराब स्वास्थ्य या वजह कुछ और

मानसून की तबाही, जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में भूस्खलन से 4 लोगों की मौत, स्कूल बंद

mumbai train blasts : 2006 मुंबई ट्रेन सीरियल ब्लास्ट केस में सभी 12 आरोपी बरी, पीड़ितों ने कहा- न्याय की हत्या कर दी गई

अगला लेख