आतंकी हमलों में M-4 अमेरिकी स्नाइपर राइफलों का इस्तेमाल, हथगोलों की बरसात

राजौरी, पुंछ, डोडा, रियासी और मच्छेड़ी के हमलों में एक जैसी रणनीति

सुरेश एस डुग्गर
गुरुवार, 11 जुलाई 2024 (09:43 IST)
Jammu Kashmir : पिछले तीन सालों के अरसे में जम्मू संभाग के लगभग सभी जिलों को सैनिकों के खून से लहूलुहान करने वाले आतंकियों ने इन सभी हमलों में एक जैसी रणनीति अपनाई है। इस रणनीति में पहले उन्होंने हमले वाली जगहों की रेकी करने में स्थानीय गाइडों का सहारा लिया और फिर हथगोलों की बरसात कर एम-4 अमेरिकी स्नाइपर राइफलों से जानें ली। ALSO READ: कठुआ आतंकी हमले में शहीद आदर्श नेगी 3 भाई बहनों में थे सबसे छोटे
 
पिछले तीन सालों में जम्मू संभाग के राजौरी, पुंछ, डोडा, भद्रवाह, किश्तवाड़, रियासी और कठुआ के मच्छेड़ी में सैन्य वाहनों को निशाना बना 51 सैनिकों को मौत के घाट उतारने के मामलों की जांच अब एनआईए के हवाले है। इस जांच में जुटे अधिकारी सकते में हैं कि तीन साल पहले आतंकियों ने जिस रणनीति को अपनाया था, वे अभी भी उसी को अपनाते हुए जानलेवा साबित हो रहे हैं। पर सुरक्षाबल उसका तोड़ नहीं निकाल पा रहे हैं।
 
दरअसल इन जिलों में हुए आतंकी हमलों में आतंकियों ने अधिकतर में सैन्य वाहनों को उन स्थानों पर अपना निशाना बनाया जो सुनसान थे या तीखे मोड़ों पर थे। हालांकि अभी इसके प्रति स्पष्टता नहीं है कि इन हमलों में मदद करने वाले आतंकियों के स्थानीय समर्थकों और गाइडों को भी आतंकियों ने साथ रखा था या नहीं।
 
यह जानकारी अब बाहर आ रही है कि इन हमलों को अंजाम देने के लिए पाकिस्तानी मूल के आतंकियों ने उन स्थानीय आतंकियों की मदद जरूर ली थी जो हाल ही में बरास्ता नेपाल से वापस प्रदेश में लौटे हैं या फिर जो सरेंडर करने के बाद रिहा हो चुके हैं। ALSO READ: अब जम्मू क्यों बन रहा आतंकियों का निशाना, 3 साल में 44 सैनिकों का सर्वोच्च बलिदान
 
अधिकारियों ने माना है कि मच्छेड़ी के ताजा हमले में भी इसी प्रकार की रणनीतियां अपनाई गई और वैसे ही हथियारों का इस्तेमाल किया गया। हालांकि मच्छेड़ी हमले में प्रयुक्त एम-4 अमेरीकी स्नाइपर राइफल अभी तक बरामद नहीं की जा सकी है।
 
जिस वाहन पर हमला हुआ उसके साथ चल रहे दूसरे सैन्य वाहन पर सवार सैनिकों का दावा था कि आतंकियों ने स्नाइपर राइफल से दोनों वाहनों के चालकों को सबसे पहले निशाना बनाने के बाद दोनों पर हथगोले दागे थे। यह बात अलग थी कि दूसरे वाहन पर दागा गया हथगोला फूटा नहीं था और उसमें सवार जवानों ने आतंकियों का मुकाबला किया था जो कुछ देर बाद परिदृश्य से गायब हो गए थे।
 
नतीजतन सुरक्षाधिकारी अब इस रणनीति का तोड़ ढूंढने की कोशिश में तो लगे हुए हैं पर स्थानीय गाइडों द्वारा मिल रहे समर्थन और भौगौलिक परिस्थितियों के कारण वे अधिक कुछ न कर पाने को मजबूर हैं।
Edited by : Nrapendra Gupta 

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