Turkey earthquake: ये तस्‍वीर दिल तोड़ देगी, अगर आपके पास इस श्‍वान की तरह दिल होगा

नवीन रांगियाल
फोटो: सोशल मीडिया
तुर्की में कई इमारतें टूट गईं, कई सड़कें तबाह हो गई और हजारों मौतें हो गईं। विकास की इबारत लिखते नजर आते भरे-पूरे शहर तबाह होकर मलबे में तब्‍दील हो गए। ये इमारतें शायद फिर से खड़ी हो जाएगीं, फिर से शहर बस जाएंगे। सड़कें और मॉल्‍स फिर से आकार ले लेंगे। लेकिन शायद टूटे हुए दिल फिर कभी न जुड़ सकें।

ये जो तस्‍वीर हम आपको दिखा रहे हैं ये आपका दिल तोड़ देगी, लेकिन शर्त एक ही है कि आपके पास भी इसके लिए दिल होना चाहिए। क्‍योंकि इस श्‍वान के पास तो दिल है। बस, हम एक बार अपना- अपना दिल टटोलकर देख लें। हमारे पास है कि नहीं।

विकास की अंधी दौड़ में हमने देखना और सोचना तो दूर है शायद सुनना और महसूस करना भी बंद कर दिया है। बढ़ती हीट वेव्‍स, कड़कड़ाती ठंड, भारी बारिश और तमाम तरह के वायरस। इंसान पूरी तरह से अंधा हो चुका है अपने साथ भी और अपनों के साथ भी। कुल मिलाकर हमने अपने शहरों और गांवों का कबाड़ा कर दिया है। यहां तक कि इस तबाही के बारे में सोचना भी बंद कर दिया है।

लेकिन, जिन्‍हें हम जानवर और जंगल में विचरने वाले जीव कहते हैं, वे आज भी अपने सैंस को बनाए हुए हैं। वे आज भी महसूस करते हैं। उनके पास दिल है। देखने और आंसू बहाने के लिए आंखें हैं।

तुर्की से आई एक श्‍वान के विलाप की यह तस्‍वीर कुछ यही कहानी बयां कर रही है। मलबे में तब्‍दील हो चुके शहर और इमारत के नीचे श्‍वान की मालकिन का हाथ पत्‍थरों के ढेर से बाहर नजर आ रहा है। ठीक पास में उस महिला का श्‍वान बैठा विलाप कर रहा है और शायद अपने आंसुओं से वो राहतकर्मियों को पुकार रहा है। वो गुहार लगा रहा है कि कोई उसकी मालकिन को बचा ले।

ये फोटो पूरे सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है। हर कोई उसे शेयर कर रहा है। कोई उस पर आंसू बहा रहा है तो कोई उस पर टूटा हुआ दिल पोस्‍ट कर रहा है। कोई लिख रहा है इट्स हार्टब्रेकिंग...

सबसे अहम बात है कि मौत से पहले तो कुत्तों का रुदन सुना होगा, लेकिन मौत के बाद कुत्ते की आंखों में आंसू, वाकई दिल तोड़ने वाली ही घटना है। इन सब के बीच लेकिन शायद हम भूल चुके हैं कि हमारे पास दिल है भी कि नहीं।

इतना ही नहीं, बताया जा रहा है कि तुर्की में भूकंप आने के ठीक कुछ मिनटों पहले आकाश में कई पक्षियों का कलरव सुना गया। जहां आकाश में कई तरह के पक्षी चहचहाते हुए तुर्की पर आने वाली तबाही का संकेत दे रहे थे तो वहीं नीचे श्‍वान भी बेचैन होकर भोंक रहे थे। लेकिन हम संकेतों को कहां समझते हैं, हम तो अपनी अपनी भाषाओं में सबसे दक्ष लोग हैं। हम विकास की अंधी दौड़ में वो सबकुछ भूल चुके हैं जो हमारी तरफ तबाही बनकर आ रहा है। चाहे वो तुफान हो, भूकंप हो, सर्दी-गर्मी, क्‍लाइमेट चेंज, ग्‍लेशियर का पिघलना हो या कोरोना की तरह कोई वायरस ही क्‍यों न हो।

इस पूरे वाकये से जान एलिया के एक शेर के साथ छेड़छाड़ करने का मन कर रहा है।
कितने हसीन थे शहर, कितने अनजान हैं हम
क्‍या सितम है कि दुनिया खत्‍म हो जाएगी
असल शेर :
कितनी दिलकश हो तुम... और कितना दिलजूँ हूँ मैं
क्या सितम है कि.. हम लोग मर जाएँगे.

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