प्रधानमंत्री मोदी के ‘मन की बात’ किसके मन की बात है?

Webdunia
शुक्रवार, 6 अप्रैल 2018 (15:04 IST)
नई दिल्ली। पूर्व केन्द्रीय मंत्री और प्रसिद्ध पत्रकार अरुण शौरी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बहुचर्चित कार्यक्रम 'मन की बात' को लेकर इशारा किया है कि कथित तौर पर प्रधानमंत्री के मन की बात नहीं किसी और के मन की बात है क्योंकि इस रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात : अ सोशल रिवोल्यूशन ऑन रेडियो’के सार्वजनिक तौर पर लेखक ने उन्हें बताया है कि वे इस किताब के लेखक नहीं हैं। विदित हो कि प्रधानमंत्री के रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' के लेखक के तौर पर नाम राजेश जैन हैं लेकिन शौरी का कहना है कि राजेश जैन उनके दोस्त हैं और उनके जोर देने पर ही वे किताब के लोकार्पण समारोह में भाग लेने गए थे।     
 
जब यह बात सार्वजनिक हो गई है तो इस बात को लेकर चर्चा आम हो गई है कि फिर इस किताब का लेखक कौन है? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘मन की बात’रेडियो कार्यक्रम पर आधारित किताब ‘मन की बात : अ सोशल रिवोल्यूशन ऑन रेडियो’के लेखक को लेकर रहस्य पैदा होना स्वाभाविक है। पहले तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पूर्व सहयोगी राजेश जैन को इस किताब का लेखक बताया जा रहा था। 
 
लेकिन इस मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी का अलग ही दावा है। कहा जाता है कि एक न्यूज चैनल के अनुसार शौरी का कहना है कि खुद राजेश जैन ने उनसे कहा है कि उनका इस किताब से कोई लेना देना नहीं है। शौरी का कहना है कि ‘राजेश जैन का इस किताब से कोई लेना-देना नहीं है। राजेश जैन मेरे दोस्त हैं और उन्होंने मुझे बताया कि उन्हें इस किताब के लोकार्पण कार्यक्रम में जबरन शामिल कर लिया गया था और वहां एक भाषण पढ़ने के लिए दे दिया गया था।’
 
वहीं, राजेश जैन ने भी अरुण शौरी के इन दावों की पुष्टि की है। एनडीटीवी से बातचीत में उन्होंने कहा, ‘मैं मन की बात किताब का लेखक नहीं था और मुझे उस पर बतौर लेखक अपना नाम देखकर हैरानी हुई थी।’राजेश जैन के मुताबिक उन्होंने ‘मन की बात : अ सोशल रिवोल्यूशन ऑन रेडियो’के लोकार्पण कार्यक्रम में ही इसका लेखक न होने की बात स्पष्ट कर दी थी। राजेश जैन ने यह भी कहा था कि उनके मना करने के बावजूद पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) और नरेंद्र मोदी डॉट इन वेबसाइट पर उन्हें इस किताब के लेखक के रूप में दिखाना जारी रखा है। राजेश जैन ने इस किताब के असली लेखक के बारे में जानकारी होने से इनकार किया है।
 
‘मन की बात : अ सोशल रिवोल्यूशन ऑन रेडियो’ का लोकार्पण बीते साल राष्ट्रपति भवन में किया गया था। इस मौके पर पीआईबी ने तीन प्रेस विज्ञप्तियां जारी की थीं, जिनमें राजेश जैन को लेकर अलग-अलग दावे किए गए हैं। 25 मई 2017 की विज्ञप्ति में इस किताब को राजेश जैन ‘के द्वारा’संकलित, जबकि 26 मई की विज्ञप्ति में ‘लेखक’बताया गया है। वहीं, इसी दिन शाम को जारी विज्ञप्ति में राजेश जैन को इस किताब का ‘संकलनकर्ता’ बताया गया है।
 
राजेश जैन का यहां तक कहना था कि उनके मना करने के बावजूद पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) और नरेंद्र मोदी डॉट इन वेबसाइट पर उन्हें इस किताब के लेखक के रूप में दिखाना जारी रखा है। राजेश जैन ने इस किताब के असली लेखक के बारे में जानकारी होने से इनकार किया है। उल्लेखनीय है कि‘मन की बात : अ सोशल रिवोल्यूशन ऑन रेडियो’का लोकार्पण बीते साल राष्ट्रपति भवन में किया गया था। 
 
इस मौके पर पीआईबी ने तीन प्रेस विज्ञप्तियां जारी की थी, जिनमें राजेश जैन को लेकर अलग-अलग दावे किए गए हैं। पीआईबी के प्रवक्ता फ्रेंक नोरोन्हा ने किताब का लेखक या संकलनकर्ता न होने के राजेश जैन के दावे पर कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है। हालांकि उन्होंने यह कहा कि पीआईबी की प्रेस विज्ञप्तियों में राजेश जैन को किताब का ‘लेखक’नहीं, बल्कि 'संकलनकर्ता' बताया गया है। इस तरह की जानकारी सामने आने के बाद लोगों की प्रतिक्रिया है कि कहीं ऐसा तो नहीं कि प्रधानमंत्री के मन की बात किसी और के 'मन की बात' हो। 

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