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Shardiya navratri 2025: शारदीय नवरात्रि का उत्सव कब से मनाया जा रहा है, जानें इतिहास

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हमें फॉलो करें Since when is the festival of Sharadiya Navratri being celebrated

WD Feature Desk

, बुधवार, 17 सितम्बर 2025 (12:22 IST)
History of Sharadiya Navratri Celebration: 2025 में शारदीय नवरात्रि 22 सितंबर से 2 अक्टूबर तक मनाई जाएगी। यह उत्सव आज भी भारत और विश्व भर के हिंदू समुदायों में जीवंत रूप से मनाया जाता है। आश्विन माह की शारदीय नवरात्रि हिंदू धर्म का एक प्रमुख और प्राचीन उत्सव है, जो देवी दुर्गा की पूजा के लिए मनाया जाता है। इसका इतिहास पौराणिक कथाओं से जुड़ा हुआ है और यह अत्यंत पुराना माना जाता है। रामायण काल में माता सीता द्वारा गौरी पूजा का उल्लेख मिलता है। इसी प्रकार महाभारत काल में भी श्रीराधा, कुंति और द्रोपदी द्वारा माता दुर्गा की पूजा का उल्लेख मिलता है। जहां तक सवाल उत्सव मनाने का है तो इसका कोई सटीक इतिहास नहीं मिलता है। यहां जानिए‍ कि शारदीय नवरात्रि का पर्व कब से मनाया जा रहा है, क्या है इस पर्व का इतिहास।
 
नवरात्रि उत्सव उत्पत्ति और इतिहास:-
चैत्र या शारदीय नवरात्रि की शुरुआत का सटीक ऐतिहासिक वर्ष निर्धारित करना कठिन है, क्योंकि यह वैदिक काल या उससे भी पहले की परंपरा से जुड़ा हुआ है। हिंदू ग्रंथों और पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह उत्सव देवी दुर्गा के महिषासुर नामक राक्षस पर विजय प्राप्त करने की घटना से प्रेरित है। पुराणों (जैसे देवी भागवत पुराण और मार्कंडेय पुराण) में वर्णित है कि देवताओं ने मिलकर देवी दुर्गा का सृजन किया, जिन्होंने नौ रात्रियों तक चले युद्ध के बाद महिषासुर का वध किया। यह कथा सदियों पुरानी है और नवरात्रि का उत्सव इसी विजय का प्रतीक है। माता द्वारा महिषासुर का वध करने के बाद से ही असत्‍य पर सत्‍य की जीत का पर्व विजयादशमी मनाया जाने लगा। आश्विन मास में शरद ऋतु का प्रारंभ हो जाता है, इसलिए इसे शारदीय नवरात्रि कहा जाता है। शारदीय नवरात्रि के दसवें दिन को विजयदशमी के रूप में मनाया जाता है।
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वाल्मीकि रामायण के अनुसार भगवान राम ने ऋष्यमूक पर्वत पर आश्‍विन प्रतिपदा से नवमी तक आदिशक्ति की उपासना की थी। आदिशक्ति की उपासना के बाद भगवान श्री राम इसी दिन किष्किंधा से लंका के लिए रवाना हुए थे। जिसमें भगवान राम ने रावण पर विजय के लिए शारदीय नवरात्रि के समय देवी दुर्गा की पूजा की थी। इस तरह, यह उत्सव कम से कम त्रेतायुग (रामायण काल) से मनाया जा रहा है, जो हजारों वर्ष पुराना है। आधुनिक संदर्भों में, इसे "समय अप्रतिम" (अनादि काल से) या प्राचीनतम त्योहारों में से एक माना जाता है, जो वैदिक युग तक जाता है।
 
वर्ष में चार नवरात्र‍ि आती है। चैत्र माह में चैत्र नवरात्र‍ि, आषाढ़ माह में गुप्त नवरात्र, पौष माह में भी गुप्त नवरा‍त्रि और आश्‍विन माह में शारदीय नवरात्र‍ि। हर नवरात्र‍ि की परंपरा और इतिहास अलग अलग है। लेकिन शारदीय नवरात्रि (आश्विन मास में) को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि यह शरद ऋतु (शरद ऋतु) से जुड़ा है।
 
शारदीय नवरात्रि का महत्व:
  • यह अच्छाई पर बुराई की विजय का प्रतीक है।
  • नौ दिनों में देवी के नौ रूपों (नवदुर्गा) की पूजा की जाती है।
  • व्रत, जागरण, गरबा-डांडिया नृत्य और सामूहिक उत्सव इसका हिस्सा हैं।

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