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Shardiya navratri 2025: शारदीय नवरात्रि पर नवमी की देवी सिद्धिदात्री की कथा, मंत्र और पूजा विधि

WD Feature Desk
बुधवार, 1 अक्टूबर 2025 (09:04 IST)
Maa Siddhidatri Puja 2025 : शारदीय नवरात्रि या नवदुर्गा में नौवें दिन नवमी की देवी मां सिद्धिदात्री का पूजन किया जाता है। वर्ष 2025 में नवरात्रि पूजन की अंतिम देवी मां सिद्धिदात्री का पूजन 01 अक्टूबर 2025, दिन बुधवार को किया जा रहा है। इस दिन माता रानी के पूजन के पश्चात उनकी पौराणिक कथा पढ़ी या सुनी जाती है।ALSO READ: Dussehra 2025: दशहरा और विजयादशमी में क्या है अंतर?
 
यहां जानते हैं माता सिद्धिदात्री की पूजन विधि, कथा, भोग, मंत्र, सहित संपूर्ण जानकारी...
 
माता दुर्गा जी की नौवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री हैं। ये सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली हैं। मां सिद्धिदात्री चार भुजाओं वाली हैं। इनका वाहन सिंह है। ये कमल पुष्प पर भी आसीन होती हैं। इनकी दाहिनी तरफ के नीचे वाले हाथ में कमलपुष्प है। इन्हें कमलारानी भी कहते हैं। मां सिद्धिदात्री भक्तों और साधकों को ये सभी सिद्धियां प्रदान करने में समर्थ हैं। देवीपुराण के अनुसार भगवान शिव ने इनकी कृपा से ही इन सिद्धियों को प्राप्त किया था। इनकी अनुकम्पा से ही भगवान शिव का आधा शरीर देवी का हुआ था। इसी कारण वे लोक में 'अर्द्धनारीश्वर' नाम से प्रसिद्ध हुए।
 
कथा :
पौराणिक मान्यताओं अनुसार एक बार पूरे ब्रह्मांड में अंधकार छा गया था। उस अंधकार में एक छोटी सी किरण प्रकट हुई। धीरे-धीरे यह किरण बड़ी होती गई और फिर इसने एक दिव्य नारी का रूप धारण कर लिया। मां सिद्धिदात्री ने प्रकट होकर त्रिदेव अर्थात ब्रह्मा, विष्णु, और महेश को जन्म दिया। 
 
इन्हीं देवी मां की शिव जी ने आराधना की। देवी ने उन्हें सिद्धियां प्रदान की। इसी कारण देवी मां भगवती का नौवां स्वरूप मां सिद्धिदात्री कहलाया। सिद्धिदात्री देवी की ही कृपा से शिव जी का आधा शरीर देवी का हुआ जिसके कारण उनका एक नाम अर्धनारिश्वर पड़ा।
 
एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार जब सभी देवी देवता महिषासुर के अत्याचार से परेशान हो गए थे तब सभी देवताओं ने त्रिदेवों की शरण ली और फिर तीनों देवों (ब्रह्मा, विष्णु और महेश) ने अपने तेज से मां सिद्धिदात्री को जन्म दिया था। इसके बाद सभी देवताओं ने इन्हें अपने शस्त्र प्रदान किए और माता ने महिषासुर से युद्धकर उसका अंत कर दिया।ALSO READ: Shardiya navratri 2025: शारदीय नवरात्रि की तिथियों की लिस्ट, अष्टमी और नवमी कब जानें
 
देवी सिद्धिदात्री की पूजा विधि:
 
- नवरात्रि के आखिरी दिन घी का दीपक जलाने के साथ-साथ मां सिद्धिदात्री को कमल का फूल अर्पित करना शुभ माना जाता है।
 
- पूजन-अर्चन के पश्चात हवन, कुमारी पूजन, अर्चन, भोजन, ब्राह्मण भोजन करवाकर पूर्ण होता है।
 
- इसके अलावा जो भी फल या भोजन मां को अर्पित करें वो लाल वस्त्र में लपेट कर दें।
 
- निर्धनों को भोजन कराने के बाद ही खुद खाएं।ALSO READ: क्या है बंगाल में महानवमी पर होने वाले धुनुची नृत्य का धार्मिक और पौराणिक महत्व
 
मंत्र: ॐ सिद्धिदात्र्यै नम:।
 
प्रार्थना:
सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥
 
स्तुति
या देवी सर्वभू‍तेषु मां सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
 
सिद्धिदात्री देवी का भोग : नवरात्रि की नवमी के दिन तिल का भोग लगाकर ब्राह्मण को दान दें। इससे मृत्यु भय से राहत मिलेगी। साथ ही अनहोनी होने की घटनाओं से बचाव भी होता है। इसके अलावा तिल से बनी मिठाई, खीर, संतरा का नैवेद्य भी चढ़ाया जाता है।
 
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