Festival Posters

Chaitra navratri 2021 : चैत्र नवरात्रि की 5 खास बातें

अनिरुद्ध जोशी
एक वर्ष में होती है 4 नवरात्रियां। चैत्र माह में चैत्र नवरात्रि, चौथे माह आषाढ़ में दूसरी नवरात्रि होती है जिसे गुप्त नवरात्रि कहते हैं।  इसके बाद अश्विन मास में तीसरी और प्रमुख नवरात्रि होती है जिसे शारदीय नवरात्रि कहते हैं। इसी प्रकार वर्ष के ग्यारहवें महीने अर्थात माघ में चौथी नवरात्रि होती है जिसे गुप्त नवरात्रि कहते हैं। चैत्र और शारदीय नवरात्रि में खासकर माता के नौ रूपों की पूजा होती है जबकि गुप्त नवरात्रि में दश महाविद्याओं की पूजा भी होती है।
 
 
13 अप्रैल 2021 से चैत्र नवरात्रि का पर्व प्रारंभ हो रहा है। 20 अप्रैल को महाअष्टमी रहेगी। इस नवरात्रि का समापन 22 अप्रैल को होगा। अबकी चैत्र नवरात्रि का आरंभ मंगलवार को हो रहा है। इस बार मां दुर्गा का आगमन अश्व यानि घोड़े पर होगा।
 
1. चैत्र नवरात्रि को बड़ी नवरात्रि भी कहते हैं। तुलजा भवानी बड़ी माता है तो चामुण्डा माता छोटी माता है। बड़ी नवरात्रि को बसंत नवरात्रि और छोटी नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि कहते हैं। दोनों के बीच 6 माह की दूरी है। 
 
2. चैत्र और आश्विन नवरात्रि ही मुख्य माने जाते हैं इनमें भी देवी भक्त आश्विन नवरात्रि का बहुत महत्व है। इनको यथाक्रम वासंती और शारदीय नवरात्र कहते हैं। इनका आरंभ चैत्र और आश्विन शुक्ल प्रतिपदा को होता है। ये प्रतिपदा 'सम्मुखी' शुभ होती है।
 
3. इस नवरात्रि में नौ देवियों में शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री का पूजन विधि विधान से किया जाता है। अष्टभुजाधारी देवी दुर्गा और कात्यायनी सिंह पर सवार हैं तो माता पार्वती, चन्द्रघंटा और कुष्मांडा शेर पर विराजमान हैं। शैलपुत्री और महागौरी वृषभ पर, कालरात्रि गधे पर और सिद्धिदात्री कमल पर विराजमान हैं। इसी तरह सभी देवियों की अलग-अलग सवारी हैं।
 
4. उपरोक्त सभी की पूजा-साधना पद्धतियां अलग-अलग होती है और सभी को अलग-अलग भोग लगता है। जैसे नौ भोग और औषधि- शैलपुत्री कुट्टू और हरड़, ब्रह्मचारिणी दूध-दही और ब्राह्मी, चन्द्रघंटा चौलाई और चन्दुसूर, कूष्मांडा पेठा, स्कंदमाता श्यामक चावल और अलसी, कात्यायनी हरी तरकारी और मोइया, कालरात्रि कालीमिर्च, तुलसी और नागदौन, महागौरी साबूदाना तुलसी, सिद्धिदात्री आंवला और शतावरी।
 
5. हिंदू धर्म में चैत्र नवरात्रि का विशेष महत्व माना गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि इसी दिन से हिंदू नव वर्ष यानि कि नव सम्वत्सर की भी शुरुआत होती है। होली के बाद चैत्र नवरात्रि का प्रारंभ होता है और इस दौरान मां दुर्गा की आराधना की जाती है।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Baba vanga predictions: क्या है बाबा वेंगा की 'कैश तंगी' वाली भविष्यवाणी, क्या क्रेश होने वाली है अर्थव्यवस्था

मासिक धर्म के चौथे दिन पूजा करना उचित है या नहीं?

Money Remedy: घर के धन में होगी बढ़ोतरी, बना लो धन की पोटली और रख दो तिजोरी में

Margashirsha Month Festival 2025: मार्गशीर्ष माह के व्रत त्योहार, जानें अगहन मास के विशेष पर्वों की जानकारी

Baba Vanga Prediction: बाबा वेंगा की भविष्यवाणी: साल खत्म होते-होते इन 4 राशियों पर बरसेगी माता लक्ष्मी की कृपा

सभी देखें

धर्म संसार

12 November Birthday: आपको 12 नवंबर, 2025 के लिए जन्मदिन की बधाई!

Aaj ka panchang: आज का शुभ मुहूर्त: 12 नवंबर, 2025: बुधवार का पंचांग और शुभ समय

Margashirsha month: धर्म कर्म के हिसाब से मार्गशीर्ष महीने का महत्व और मोक्ष मार्ग के उपाय

Kaal Bhairav Jayanti 2025: अष्ट भैरव में से काल भैरव के इस मंत्र से मिलेगा उनका आशीर्वाद

Baba Vanga Prediction: बाबा वेंगा की भविष्यवाणी: साल खत्म होते-होते इन 4 राशियों पर बरसेगी माता लक्ष्मी की कृपा

अगला लेख