चैत्र प्रतिपदा से नवरात्रि होगी आरंभ, किस कन्या के पूजन से क्या मिलेगा फल

पं. अशोक पँवार 'मयंक'
चैत्र मास की प्रतिपदा के दिन से शुरू हुए नवरात्र नवमी के दिन सिद्धिदात्री के पूजन के साथ सफल होता है। इस बार महानवमी 8 अप्रैल, मंगलवार को है। नवमी के दिन माता सिद्धिदात्री की पूजा होती है। मां दुर्गा अपने 9वें स्वरूप में सिद्धिदात्री के नाम से जानी जाती हैं। आदिशक्ति भगवती का नवम् रूप सिद्धिदात्री है जिनकी 4 भुजाएं हैं। उनका आसन कमल है। दाहिनी ओर नीचे वाले हाथ में चक्र, ऊपर वाले हाथ में गदा, बाईं ओर से नीचे वाले हाथ में शंख और ऊपर वाले हाथ में कमल पुष्प है।
 
पूजन की विधि
यूं तो सिद्धिदात्री की पूजा पूरे विधि-विधान से करनी चाहिए लेकिन अगर ऐसा संभव न हो सके तो आप कुछ आसान तरीकों से मां को प्रसन्न कर सकते हैं। सिद्धिदात्री की पूजा करने के लिए नवान्न का प्रसाद, नवरसयुक्त भोजन तथा नाना प्रकार के फल-फूल आदि का अर्पण करना चाहिए। इस प्रकार नवरात्र का समापन करने से इस संसार में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
 
मंत्र देवी की स्तुति मंत्र करते हुए कहा गया है-
 
या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेणसंस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
 
आज के दिन कन्या पूजन का विशेष विधान है। आज के दिन 9 कन्याओं को विधिवत तरीके से भोजन कराया जाता है और उन्हें दक्षिणा देकर आशीर्वाद मांगा जाता है। इसके पूजन से दु:ख और दरिद्रता समाप्त हो जाती है।
 
3 वर्ष की कन्या त्रिमूर्ति मानी जाती है। त्रिमूर्ति के पूजन से धन-धान्य का आगमन और संपूर्ण परिवार का कल्याण होता है। 4 वर्ष की कन्या कल्याणी के नाम से संबोधित की जाती है। कल्याणी की पूजा से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
 
5 वर्ष की कन्या रोहिणी कही जाती है। रोहिणी के पूजन से व्यक्ति रोगमुक्त होता है। 6 वर्ष की कन्या कालिका की अर्चना से विद्या, विजय, राजयोग की प्राप्ति होती है।
 
7 वर्ष की कन्या चंडिका के पूजन से ऐश्वर्य मिलता है। 8 वर्ष की कन्या शाम्भवी की पूजा से वाद-विवाद में विजय तथा लोकप्रियता प्राप्त होती है।
 
9 वर्ष की कन्या दुर्गा की अर्चना से शत्रु का संहार होता है तथा असाध्य कार्य सिद्ध होते हैं। 10 वर्ष की कन्या सुभद्रा कही जाती है। सुभद्रा के पूजन से मनोरथ पूर्ण होता है तथा लोक-परलोक में सब सुख प्राप्त होते हैं
 
सर्व सिद्धियां प्रदान करती हैं सिद्धिदात्री
 
मां दुर्गा के देवी सिद्धिदात्री रूप की पूजा 9वें दिन की जाती है। ये सर्व सिद्धियां प्रदान करने वाली देवी हैं। मां की कृपा से उनके भक्त कठिन से कठिन कार्य भी चुटकी में संभव कर डालते हैं। हिमाचल के नंदा पर्वत पर इनका प्रसिद्ध तीर्थ है। देवी मां दाहिनी तरफ नीचे वाले हाथ में चक्र तथा ऊपर वाले हाथ में गदा धारण किए हुई हैं। माता के बाईं तरफ के नीचे वाले हाथ में शंख और ऊपर वाले हाथ में कमल का पुष्प है।
 
देवी सिद्धिदात्री का वाहन सिंह है। वे कमल पुष्प पर भी आसीन होती हैं। विधि-विधान से 9वें दिन इस देवी की उपासना करने से सिद्धियां प्राप्त होती हैं। यह अंतिम देवी हैं। इनकी साधना करने से लौकिक और पारलौकिक सभी प्रकार की कामनाओं की पूर्ति हो जाती है।
 
भगवान शिव ने भी सिद्धिदात्री देवी की कृपा से तमाम सिद्धियां प्राप्त की थीं। इस देवी की कृपा से ही शिवजी का आधा शरीर देवी का हुआ था। इसी कारण शिव 'अर्द्धनारीश्वर' नाम से प्रसिद्ध हुए।
 
मां के चरणों में शरणागत होकर हमें निरंतर नियमनिष्ठ रहकर उपासना करनी चाहिए। इस देवी का स्मरण, ध्यान व पूजन हमें इस संसार की असारता का बोध कराते हैं और अमृत पद की ओर ले जाते हैं।
 
देवी पुराण में ऐसा उल्लेख मिलता है कि भगवान शंकर ने भी इन्हीं की कृपा से सिद्धियों को प्राप्त किया था। ये कमल पर आसीन हैं और केवल मानव ही नहीं बल्कि सिद्ध, गंधर्व, यक्ष, देवता और असुर सभी इनकी आराधना करते हैं। संसार में सभी वस्तुओं को सहज और सुलभता से प्राप्त करने के लिए नवरात्र के 9वें दिन इनकी पूजा की जाती है। इनका स्वरूप मां सरस्वती का भी स्वरूप माना जाता है।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

Chanakya niti : यदि सफलता चाहिए तो दूसरों से छुपाकर रखें ये 6 बातें

Guru Gochar : बृहस्पति के वृषभ में होने से 3 राशियों को मिलेंगे अशुभ फल, रहें सतर्क

Adi shankaracharya jayanti : क्या आदि शंकराचार्य के कारण भारत में बौद्ध धर्म नहीं पनप पाया?

Lakshmi prapti ke upay: लक्ष्मी प्राप्ति के लिए क्या करना चाहिए, जानिए 5 अचूक उपाय, 5 सावधानियां

Swastik chinh: घर में हल्दी का स्वास्तिक बनाने से मिलते है 11 चमत्कारिक फायदे

Aaj Ka Rashifal: किसे मिलेगा आज भाग्य का साथ, पढ़ें अपना राशिफल (14 मई 2024)

14 मई 2024 : आपका जन्मदिन

14 मई 2024, मंगलवार के शुभ मुहूर्त

Ganga Saptami 2024: गंगा सप्तमी के दिन क्या करना चाहिए?

Budh in mesh : बुध का मेष राशि में गोचर 5 राशियों का सोने जैसा चमकेगा भाग्य

अगला लेख