कविता : ईद पर गले मिलते हिन्दी-उर्दू

राजीव रत्न पाराशर
चन्द्रमा के दर्शन पर,
इफ्तार के आमंत्रण पर।
 
तज़रीद के आवरण में,
ज़ुहाद के वातावरण में।
 
शोखियां पर्याप्त हों,
जब रोज़े समाप्त हों।
 
नेमतें हों, नाम हो,
प्रत्येक से सलाम हो।
 
परस्पर गलबहियां हों,
शीरो-शकर सिवइयां हों।
 
संज्ञान हो आबिदों का,
सम्मान हो ज़हिदों का।
 
मित्रगणों में दावत हो,
बंधु-बांधव सलामत हो।
 
ज़द्दो ज़िबह से इतर हो,
शुभकर इदुल फितर हो।
 
000
 
तज़रीद = श्रद्धा
ज़ुहाद = धर्म की बात
आबिद = श्रद्धालु
ज़हिद = पुजारी
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

क्या नवजात को पीलिया होने पर धूप में लिटाना है सही, जानिए ये फैक्ट है या मिथ

ऑफिस जाने से पहले इन 5 मिनट की स्ट्रेचिंग से मिलेगी दिन भर के लिए भरपूर एनर्जी, आप भी करके देखिये

2025 में क्या है विमेंस डे की थीम? जानिए 8 मार्च को ही क्यों मनाया जाता है ये दिन?

क्या डायबिटीज के पेशेंट खा सकते हैं केला, ये पढ़े बिना आपकी जानकारी है अधूरी

जान लीजिए बीमार बच्चों को खिलाने-पिलाने से जुड़े मिथक की सच्चाई

सभी देखें

नवीनतम

मोटापे के खिलाफ पीएम नरेन्द्र मोदी

हेल्दी हार्ट के लिए तुरंत फॉलो करना शुरू कर दें ये इंडियन डाइट प्लान, हफ्ते भर में दिखेगा फर्क

होली खेलने से पहले अपनी स्किन पर लगाएं ये प्रोटेक्टिव परत, रंगों से नहीं होगा नुकसान

नारी तू नारायणी... अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2025 पर नारी शक्ति को दें सम्मान, इन खूबसूरत लाइनों के साथ

3 छात्रों का चटपटा चुटकुला : पेपर बहुत आसान था

अगला लेख