हास्य-कविता : कारवां गुजर गया

Webdunia
Poem Lekhan
- हरनारायण शुक्ला

अरसा हुआ कुछ लिखा नहीं, 
लिखने बैठा कुछ सूझा नहीं,
जेहन में जैसे जंग लग रहा,
क्या उम्र का असर है जो हो रहा?
 
विषय अनेक लिखने को,
शब्दों की तो बात नहीं,
पर लिखते कैसे हैं कविता,
कुछ भी मुझको याद नहीं।
 
अलंकार, छंद क्या होते हैं,
बतलाए मुझको कोई,
तुकबंदी कैसे करते हैं,
समझा दे मुझको कोई। 
 
पंत निराला बच्चन जी सा, 
कविता मैं भी लिख डालूं,
हाला प्याला की गाथा,
मधुशाला ही लिख डालूं।
 
युवा दिलों को छूने वाले, 
कवि नीरज तो नहीं रहे,
पर याद रहेगी उनकी पंक्ति,
'कारवां गुजर गया गुबार देखते रहे'।

(वेबदुनिया पर दिए किसी भी कंटेट के प्रकाशन के लिए लेखक/वेबदुनिया की अनुमति/स्वीकृति आवश्यक है, इसके बिना रचनाओं/लेखों का उपयोग वर्जित है...)

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

ये 10 फूड्स खाकर बढ़ जाता है आपका स्ट्रेस, भूलकर भी ना करें इन्हें खाने की गलती

खाली पेट पेनकिलर लेने से क्या होता है?

बेटी को दीजिए ‘इ’ से शुरू होने वाले ये मनभावन नाम, अर्थ भी मोह लेंगे मन

खाने में सफेद नमक की जगह डालें ये 5 चीजें, मिलेगा परफेक्ट और हेल्दी टेस्ट

Hustle Culture अब पुरानी बात! जानिए कैसे बदल रही है Work की Definition नई पीढ़ी के साथ

सभी देखें

नवीनतम

विश्व जनसंख्या दिवस 2025: जानिए इतिहास, महत्व और इस वर्ष की थीम

वर्ल्ड पॉपुलेशन डे पर पढ़ें जनसंख्या के प्रति जागरूकता के लिए 25 प्रेरक नारे, कोट्स और अनमोल वचन

सावन में हुआ है बेटे का जन्म तो लाड़ले को दीजिए शिव से प्रभावित नाम, जीवन पर बना रहेगा बाबा का आशीर्वाद

बारिश के मौसम में साधारण दूध की चाय नहीं, बबल टी करें ट्राई, मानसून के लिए परफेक्ट हैं ये 7 बबल टी ऑप्शन्स

इस मानसून में काढ़ा क्यों है सबसे असरदार इम्युनिटी बूस्टर ड्रिंक? जानिए बॉडी में कैसे करता है ये काम

अगला लेख