कविता : मेरे पड़ाव में राहत पाते

रेखा भाटिया

भीतर मेरे कई मुखौटे,
कई पहरे परछाइयां,
कई तहों में छिपे सिमटे,
बंद आंखों में भीतर गुपचुप!
 
एक पर्दा लटके बीच में,
बाहर का शोर भीतर उमड़ा,
मेरी चुप नज़रें खामोशी खड़ी,
मेरी ख़ुद से पहचान कहां!
 
लब फड़फड़ाते दबी ज़बान,
कानों में खग बोलें टांय-टांय,
गुजरे वक्त गुजरे जन-जन,
मैं इंतज़ार में कब कोई आएगा!
 
भोर में कर स्वागत सूरज का,
चंदा तारों से बतियाती हूं,
मन की बोली समझें मेरी,
मूक सबला जोषिता मैं हूं!
 
मैं नारी रिश्तों को बुनती,
उलझ जाती उन्हीं डोरों में,
घर की बगिया महकाती,
कांटों की चुभन सह जाती!
 
आज भोर रश्मियों ने जगाया,
बहे नीर सतरंगी है नज़ारा,
बेबसी कैसी उलझन कहां,
भ्रम से जगी खोली मन की आंखें!
 
जननी नारी जग तुझसे है सारा,
भरो रोशनी खिंच लो भीतर का पर्दा,
तेरे और भीतर के बीच में पहचानो,
सबसे सुंदर तेरा नारी मुखड़ा!
 
बंजारे हैं रिश्ते-नाते,
बंजारा जन जन जग में,
मेरे पड़ाव में राहत पाते,
युगों युगों जहां खड़ी मैं नारी!

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

पापा सिर्फ शब्द नहीं, पूरी जिंदगी का सहारा हैं...फादर्स डे पर इमोशनल स्पीच

वॉकिंग या जॉगिंग करते समय ना करें ये 8 गलतियां, बन सकती हैं आपकी हेल्थ की सबसे बड़ी दुश्मन

मानसून में हार्ट पेशेंट्स की हेल्थ के लिए ये फूड्स हैं बेहद फायदेमंद, डाइट में तुरंत करें शामिल

फादर्स डे पर पापा को स्पेशल फील कराएं इन खूबसूरत विशेज, कोट्स और व्हाट्सएप मैसेज के साथ

क्या आपको भी ट्रैवल के दौरान होती है एंग्जायटी? अपनाएं ये टॉप टिप्स और दूर करें अपना हॉलिडे स्ट्रेस

सभी देखें

नवीनतम

विश्व रक्तदान दिवस 2025: 10 शक्तिशाली शुभकामना संदेश

फादर्स डे 2025: इन 5 सुपरफूड्स को डाइट में जरूर करें शामिल, हर पुरुष की सेहत के लिए हैं बेहद जरूरी

कैंसर से बचाते हैं ये 5 सबसे सस्ते फूड, रोज की डाइट में करें शामिल

बाल गीत: गरम जलेबी

विवाह करने के पहले कर लें ये 10 काम तो सुखी रहेगा वैवाहिक जीवन

अगला लेख