भौम प्रदोष व्रत आज, जानें महत्व, शुभ मुहूर्त, कथा और पूजा विधि

WD Feature Desk
मंगलवार, 25 फ़रवरी 2025 (10:05 IST)
2025 Bhaum Pradosh Vrat : इस बार महाशिवरात्रि के पहले दिन 25 फरवरी 2025, दिन मंगलवार को भौम प्रदोष व्रत मनाया जा रहा है। यह व्रत फाल्गुन कृष्ण त्रयोदशी तिथि पर पड़ा है। भौम प्रदोष व्रत भगवान शिव और मंगल देव को समर्पित एक महत्वपूर्ण व्रत है। यह व्रत त्रयोदशी तिथि को सूर्यास्त के समय रखा जाता है। इस दिन भगवान शिव और हनुमान जी की कृपा भी प्राप्त होती है। भौम प्रदोष व्रत का महत्व और पूजा विधि इस प्रकार है...ALSO READ: शिवजी की आरती करने का सही तरीका जानें
 
भौम प्रदोष व्रत का महत्व: भौम प्रदोष व्रत मंगल दोष से मुक्ति पाने के लिए बहुत लाभकारी माना जाता है। साथ ही यह व्रत कर्ज से मुक्ति दिलाने में भी सहायक होता है। मान्यतानुसार यह व्रत मानसिक शांति और स्थिरता प्रदान करने तथा शारीरिक कष्टों से मुक्ति दिलाने में भी मददगार है।

सुख-समृद्धि और सौभाग्य में वृद्धि हेतु भी भौम प्रदोष व्रत महत्वपूर्ण माना गया है। इस व्रत को करने से भगवान शिव और हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है। हिन्दू धर्म की मान्यता के मुताबिक भौम प्रदोष व्रत भगवान शिव और हनुमान जी को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने का एक उत्तम अवसर होता है।
 
भौम/मंगल प्रदोष व्रत : फरवरी 25, 2025, मंगलवार के शुभ मुहूर्त 
 
फाल्गुन कृष्ण त्रयोदशी का प्रारम्भ- फरवरी 25 12 बजकर 47 पी एम से,
त्रयोदशी का समापन- फरवरी 26, 11 बजकर 08 ए एम पर। 
 
भौम प्रदोष व्रत पूजन का शुभ समय : 
सायंकाल 06 बजकर 18 मिनट से 08 बजकर 48 मिनट तक। 
त्रयोदशी पूजन पर शुभ समय की कुल अवधि : 02 घंटे 30 मिनट्स तक।
 
भौम प्रदोष व्रत की पूजा विधि:ALSO READ: फाल्गुन माह की अमावस्या का महत्व और 5 अचूक उपाय जरूर जानें
1. भौम प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।
2. सुबह तथा प्रदोष काल में शिवलिंग का गंगाजल, दूध, दही, शहद और घी से अभिषेक करें।
3. भगवान शिव की पूजा करें, उन्हें सफेद पुष्प, बेलपत्र, धतूरा और भांग चढ़ाएं।
4. हनुमान जी की पूजा करके उन्हें सिंदूर, चमेली का तेल और बूंदी चढ़ाएं।
5. भौम यानि मंगल देव का पूजन करें तथा भौम प्रदोष व्रत कथा का पाठ करें या सुनें।
6. भगवान शिव और हनुमान जी की आरती करें।
7. आज के दिन अपने सामर्थ्य के अनुसार दान करें।
8. व्रत के दौरान केवल फलाहार करें।
9. आज के दिन व्रत के दौरान- 'ॐ नमः शिवाय', 'ॐ हनुमते नमः' तथा 'ॐ भौमाय नमः' इन मंत्रों का जाप करें।
 
भौम प्रदोष व्रत के दिन क्या न करें:
• तामसिक भोजन और मदिरा से दूर रहें।
• किसी भी प्रकार के बुरे विचारों से बचें।
 
भौम प्रदोष व्रत के दिन क्या करें:
• व्रत के दिन गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करें।
• खाने-पीने की चीजों का दान करें।
 
भौम प्रदोष व्रत कथा: इस व्रत की कथा के अनुसार एक नगर में एक वृद्धा रहती थी। उसका एक ही पुत्र था। वृद्धा की हनुमान जी पर गहरी आस्था थी। वह प्रत्येक मंगलवार को नियमपूर्वक व्रत रखकर हनुमान जी की आराधना करती थी। 
 
एक बार हनुमान जी ने उसकी श्रद्धा की परीक्षा लेने की सोची। हनुमान जी साधु का वेश धारण कर वृद्धा के घर गए और पुकारने लगे- है कोई हनुमान भक्त, जो हमारी इच्छा पूर्ण करे? पुकार सुन वृद्धा बाहर आई और बोली- आज्ञा महाराज। हनुमान (वेशधारी साधु) बोले- मैं भूखा हूं, भोजन करूंगा, तू थोड़ी जमीन लीप दे। वृद्धा दुविधा में पड़ गई। अंतत: हाथ जोड़कर बोली- महाराज। लीपने और मिट्टी खोदने के अतिरिक्त आप कोई दूसरी आज्ञा दें, मैं अवश्य पूर्ण करूंगी। 
 
साधु ने तीन बार प्रतिज्ञा कराने के बाद कहा- तू अपने बेटे को बुला। मैं उसकी पीठ पर आग जलाकर भोजन बनाऊंगा। यह सुनकर वृद्धा घबरा गई, परंतु वह प्रतिज्ञाबद्ध थी। उसने अपने पुत्र को बुलाकर साधु के सुपुर्द कर दिया। वेशधारी साधु हनुमान जी ने वृद्धा के हाथों से ही उसके पुत्र को पेट के बल लिटवाया और उसकी पीठ पर आग जलवाई। आग जलाकर दु:खी मन से वृद्धा अपने घर में चली गई। 
 
इधर भोजन बनाकर साधु ने वृद्धा को बुलाकर कहा- तुम अपने पुत्र को पुकारो ताकि वह भी आकर भोग लगा ले। इस पर वृद्धा बोली- उसका नाम लेकर मुझे और कष्ट न पहुंचाओ। लेकिन जब साधु महाराज नहीं माने तो वृद्धा ने अपने पुत्र को आवाज लगाई। 
 
अपने पुत्र को जीवित देख वृद्धा को बहुत आश्चर्य हुआ और वह साधु के चरणों में गिर पड़ी। हनुमान जी अपने वास्तविक रूप में प्रकट हुए और वृद्धा को भक्ति का आशीर्वाद दिया। इस तरह भौम प्रदोष व्रत के दिन इसे पै़ने और सुनने का बहुत महत्व धार्मिक ग्रंथों में कहा गया है।
 
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