असम का सांस्कृतिक त्योहार बिहू, जानिए इसकी परंपरा, क्यों है यह लोकप्रिय...

Webdunia
असम सिर्फ एक प्रदेश का नाम नहीं, प्राकृतिक सौंदर्य, प्रेम, विभिन्न संस्कृतियों इत्यादि की झलक का प्रतीक है। असम की ढेर सारी संस्कृतियों में से 'बिहू' एक ऐसी परंपरा है, जो यहां का गौरव है। असम में मनाए जाने वाले बिहू मुख्यतः 3 प्रकार के होते हैं...
 
असम में माघ महीने की संक्रांति के पहले दिन से माघ बिहू अर्थात भोगाली बिहू मनाया जाता है। इस दौरान खान-पान धूमधाम से होता है, क्योंकि तिल, चावल, नारियल, गन्ना इत्यादि फसल उस समय भरपूर होती है और उसी से तरह-तरह की खाद्य सामग्री बनाई जाती है। 
 
बैसाख बिहू- असमिया कैलेंडर बैसाख महीने से शुरू होता है, जो अंग्रेजी माह के अप्रैल महीने के मध्य में शुरू होता है और यह बिहू 7 दिन तक अलग-अलग रीति-रिवाजों के साथ मनाया जाता है। बैसाख महीने का संक्रांति से बोहाग बिहू शुरू होता है। इसमें प्रथम दिन को गाय बिहू कहा जाता है। इस दिन लोग सुबह अपनी-अपनी गायों को नदी में ले जाकर नहलाते हैं। 
 
गायों को नहलाने के लिए रात में ही भिगोकर रखी गई कलई दाल और कच्ची हल्दी का इस्तेमाल किया जाता है। उसके बाद वहीं पर उन्हें लौकी, बैंगन आदि खिलाया जाता है। माना जाता है कि ऐसा करने से सालभर गायें कुशलपूर्वक रहती हैं। शाम के समय जहां गायें रखी जाती हैं, वहां गाय को नई रस्सी से बांधा जाता है और नाना तरह के औषधि वाले पेड़-पौधे जलाकर मच्छर-मक्खी भगाए जाते हैं। इस दिन लोग दिन में चावल नहीं खाते, केवल दही चिवड़ा ही खाते हैं।

 
पहले बैसाख में आदमी का बिहू शुरू होता है। उस दिन भी सभी लोग कच्ची हल्दी से नहाकर नए कपड़े पहनकर पूजा-पाठ करके दही चिवड़ा एवं नाना तरह के पेठे-लडडू इत्यादि खाते हैं। इसी दिन से असमिया लोगों का नया साल आरंभ माना जाता है। इसी दौरान 7 दिन के अंदर 101 तरह की हरी पत्तियों वाला साग खाने की भी रीति है। 
 
इस बिहू का दूसरा महत्व है कि उसी समय धरती पर बारिश की पहली बूंदें पड़ती हैं और पृथ्वी नए रूप से सजती है। जीव-जंतु एवं पक्षी भी नई जिंदगी शुरू करते हैं। नई फसल आने की हर तरह की तैयारी होती है। इस बिहू के अवसर पर संक्रांति के दिन से बिहू नाच नाचते हैं। इसमें 20-25 की मंडली होती है जिसमें युवक एवं युवतियां साथ-साथ ढोल, पेपा, गगना, ताल, बांसुरी इत्यादि के साथ अपने पारंपरिक परिधान में एकसाथ बिहू करते हैं।

 
बिहू आजकल बहुत दिनों तक जगह-जगह पर मनाया जाता है। बिहू के दौरान ही युवक एवं युवतियां अपने मनपसंद जीवनसाथी को चुनते हैं और अपनी जिंदगी नए सिरे से शुरू करते हैं इसलिए असम में बैसाख महीने में ज्यादातर विवाह संपन्न होते हैं। बिहू के समय में गांव में विभिन्न तरह के खेल-तमाशों का आयोजन किया जाता है। 
 
इसके साथ-साथ खेती में पहली बार के लिए हल भी जोता जाता है। बिहू नाच के लिए जो ढोल व्यवहार किया जाता है उसका भी एक महत्व है। कहा जाता है कि ढोल की आवाज से आकाश में बादल आ जाते हैं और बारिश शुरू हो जाती है जिसके कारण खेती अच्छी होती है। 
 
काति बिहू/कंगाली बिहू- धान असम की प्रधान फसल है इसलिए धान लगाने के बाद जब धान की फसल में अन्न लगना शुरू होता है उस समय नए तरह के कीड़े धान की फसल को नष्ट कर देते हैं। इससे बचाने के लिए कार्तिक महीने की संक्रांति के दिन में शुरू होता है काति बिहू। 
 
इस बिहू को काति इसलिए कहा गया है कि उस समय फसल हरी-भरी नहीं होती है इसलिए इस बिहू को काति बिहू मतलब कंगाली बिहू कहा जाता है। संक्रांति के दिन में आंगन में तुलसी का पौधा लगाया जाता है और इसमें प्रसाद चढ़ाकर दीया जलाया जाता है और भगवान से प्रार्थना की जाती है कि वे खेती ठीक से रखें।

 
भोगाली बिहू- माघ महीने की संक्रांति के पहले दिन से माघ बिहू अर्थात भोगाली बिहू मनाया जाता है। 
 
इस बिहू का नाम भोगाली इसलिए रखा गया है कि इस दौरान खान-पान धूमधाम से होता है, क्योंकि तिल, चावल, नारियल, गन्ना इत्यादि फसल उस समय भरपूर होती है और उसी से तरह-तरह की खाद्य सामग्री बनाई जाती है और खिलाई जाती है।

ALSO READ: पोंगल क्या है, जानें पोंगल के प्रकार एवं पौराणिक इतिहास और कथा
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments

Bhagwat katha benefits: भागवत कथा सुनने से मिलते हैं 10 लाभ

Vaishakha amavasya : वैशाख अमावस्या पर स्नान और पूजा के शुभ मुहूर्त

Dhan yog in Kundali : धन योग क्या है, करोड़पति से कम नहीं होता जातक, किस्मत देती है हर जगह साथ

Akshaya tritiya 2024 : 23 साल बाद अक्षय तृतीया पर इस बार क्यों नहीं होंगे विवाह?

Varuthini ekadashi: वरुथिनी एकादशी का व्रत तोड़ने का समय क्या है?

Guru asta 2024 : गुरु हो रहा है अस्त, 4 राशियों के पर्स में नहीं रहेगा पैसा, कर्ज की आ सकती है नौबत

Nautapa 2024 date: कब से लगने वाला है नौतपा, बारिश अच्‍छी होगी या नहीं?

Akshaya tritiya 2024: अक्षय तृतीया की पौराणिक कथा

कालाष्टमी 2024: कैसे करें वैशाख अष्टमी पर कालभैरव का पूजन, जानें विधि और शुभ समय

Aaj Ka Rashifal: राशिफल 01 मई: 12 राशियों के लिए क्या लेकर आया है माह का पहला दिन

अगला लेख