छठ पूजा 2019 : सूर्य ग्रह पुराण और ज्योतिष के अनुसार क्या है?

अनिरुद्ध जोशी
गुरुवार, 31 अक्टूबर 2019 (15:17 IST)
सूर्य ग्रह एक विशालकाय तारा है, जिसके चारों ओर आठों ग्रह और अनेकों उल्काएं चक्कर लगाते रहते हैं। वैज्ञानिक कहते हैं कि यह जलता हुआ विशाल पिंड है। इसकी गुरुत्वाकर्षण शक्ति के बल पर ही समस्त ग्रह इसकी तरफ खींचे रहते हैं अन्यथा सभी अंधकार में न जाने कहां लीन हो जाए। फिर भी यह ब्रह्मांड की अपेक्षा एक छोटा तारा है। वेदों के अनुसार सूर्य जगत की आत्मा है, यही सूर्य नहीं अनेकों सूर्य भी।
 
 
विज्ञान अनुसार : वैज्ञानिक कहते हैं कि इसका तापमान बाहरी स्तर पर 6000 डिग्री सेंटीग्रेड से लेकर डेढ़ करोड़ डिग्री तक रहता है। इसका आकार, उम्र और तापमान अन्य तारों के लगभग मध्यमान के अनुपात में है। इसकी संरचना अधिकतर हाइड्रोजन एवं हीलीयम नामक तत्वों से हुई है। सूर्य का व्यास 1372400 है। धरती से इसकी औसत दूरी 149000000 किलोमीटर मानी गई है। ये अपनी धुरी पर 30 दिनों मे घुम जाते हैं। इस पर पृथ्वी जितने 13 लाख गोले रखे जा सकते हैं। अनुमान है कि अभी यह गोला तीस अरब वर्ष तक जलते रहने की क्षमता रखता है।
 
पुराणों अनुसार : भूलोक तथा द्युलोक के मध्य में अन्तरिक्ष लोक है। इस द्युलोक में सूर्य भगवान नक्षत्र तारों के मध्य में विराजमान रह कर तीनों लोकों को प्रकाशित करते हैं। पुराणों अनुसार सूर्य देवता के पिता का नाम महर्षि कश्यप व माता का नाम अदिति है। इनकी पत्नी का नाम संज्ञा है जो विश्वकर्मा की पुत्री है।। संज्ञा से यम नामक पुत्र और यमुना नामक पुत्री तथा इनकी दूसरी पत्नी छाया से इनको एक महान प्रतापी पुत्र हुए जिनका नाम शनि है।
 
ज्योतिष अनुसार : 
देवता : विष्णु
गोत्र : कश्यप
दिशा : पूर्व
सारथी : अरुण
वार : रविवार
भाव : पांचवां
स्वभाव : उग्र
धातु : सोना और तांबा
रत्न : माणिक्य
वृक्ष : तेजफल का वृक्ष
विशेषता : बहादुर राजा
शक्ति : आग का भंडार
वर्ण-जाति : लाल, क्षत्रिय
वाहन : सात घोड़ों वाला स्वर्ण रथ
गुण : आग, गुस्सा, विवेक,विद्या
अंग : दिमाग समेत शरीर का दायाँ भाग
पशु : बंदर, पहाड़ी गाय, कपिला गाय
राशि भ्रमण : प्रत्येक राशि में 30 दिन।
नक्षत्र : कृतिका, उत्तरा फाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा
बल : सूर्य के साथ यदि शनि हो तो और शक्तिशाली
 
राशि : सिंह राशि के स्वामी सूर्य के चंद्र, गुरु और मंगल मित्र हैं। शुक्र, राहु और शनि इसके शस्त्रु है। बुध और केतु मध्यम। मेष में उच्च और तुला में नीच के माने गए हैं। सूर्य का बलवान होता सभी तरह के अनिष्टों को नष्ट कर देता है।
 
अन्य नाम : रवि, दिनकर, दिवाकर, भानु, भास्कर, प्रभाकर, सविता, दिनमणि, आदित्य, अनंत, मार्तंड, अर्क, पतंग और विवस्वान।
 
मकान : जिनका मकान पूर्व है। पानी का स्थान मकान के गेट में दाखिल होते ही दाएं हाथ पर। बड़ा सा दरवाजा प्रकाश का रास्ता।
 
लाल किताब के अनुसार मसनुई ग्रह : शुक्र और बुद्ध एक ही जगह है तो वे सूर्य है। सूर्य गुरु के साथ है तो चंद्र है। सूर्य बुध के साथ है तो मंगल नेक है। सूर्य शनि के साथ है तो मंगल बद राहु होगा। ग्रहों में चन्द्र (ठंडक-सर्दी), मंगल (लाली) और बुध (खाली घेरा) सूर्य के आवश्यक अंग है। इन ग्रहों का सूर्य के साथ होना शुभ है। पहले घर को जगाने के लिए मंगल का उपाय और पांचवें के लिए सूर्य का उपाय करना चाहिए। सूर्य के साथ राहु-केतु आ जाने पर ग्रहण माना जाएगा। 
 
सूर्य और मकानः-
मकान का द्वार पूर्व की ओर होगा। मकान के मध्य में आंगन एवं आंगन में रसोई होगी। पानी रखने का स्थान दांये हाथ की ओर आंगन में होगा। जिनका मकान पूर्व में है। पानी का स्थान मकान के गेट में दाखिल होते ही दाएं हाथ पर। बड़ा-सा दरवाजा प्रकाश का रास्ता। हो सकता है कि तेज फल का वृक्ष लगा हो।

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