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सौभाग्य सुंदरी व्रत का क्या है महत्व, जानिए पौराणिक कथा

WD Feature Desk
मंगलवार, 1 अप्रैल 2025 (11:35 IST)
Vrat Saubhagya Sundari : सौभाग्य सुंदरी व्रत हिंदू धर्म में विवाहित महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण व्रत है। यह व्रत अखंड सौभाग्य, सुखी वैवाहिक जीवन और परिवार की खुशहाली के लिए किया जाता है। सौभाग्य सुंदरी व्रत से सम्बंधित पौराणिक कथा के अनुसार एक बार देवी पार्वती ने भगवान शिव से अखंड सौभाग्यवती होने का वरदान मांगा, तब भगवान शिव ने उन्हें सौभाग्य सुंदरी व्रत करने की सलाह दी थी।ALSO READ: भारत में कहां की है सबसे प्रसिद्ध गणगौर, कहां लगता है गणगौर मेला, जानिए तिथि, परंपराएं और महत्व
 
सौभाग्य सुंदरी व्रत का महत्व: यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है, जिन्हें आदर्श दंपत्ति माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को करने से विवाहित महिलाओं को अखंड सौभाग्य और सुखी वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद मिलता है। साथ ही यह व्रत परिवार में सुख-शांति और समृद्धि लाता है। कुछ महिलाएं इसे मांगलिक दोष को दूर करने के लिए भी करती हैं।
 
इस व्रत को करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति तथा सुखी वैवाहिक जीवन मिलता है। साथ ही परिवार में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है। इस व्रत से मांगलिक दोष से मुक्ति भी मिलती है।
सौभाग्य सुंदरी व्रत की पौराणिक कथा: इस व्रत की कथा के अनुसार एक बार महादेव पार्वती वन में गए चलते-चलते गहरे वन में पहुंच गए तो पार्वती जी ने कहा-भगवान, मुझे प्यास लगी है। महादेव ने कहा, देवी देखो उस तरफ पक्षी उड़ रहे हैं। वहां जरूर पानी होगा। 
 
पार्वती जी वहां गई। वहां एक नदी बह रही थी। पार्वती ने पानी की अंजुली भरी तो दुब का गुच्छा आया, और दूसरी बार अंजुली भरी तो टेसू के फूल, तीसरी बार अंजली भरने पर ढोकला नामक फल आया। इस बात से पार्वती जी के मन में कई तरह के विचार उठे पर उनकी समझ में कुछ नहीं आया। महादेव जी ने बताया कि, आज चैत्र माह की तीज है। सारी महिलाएं अपने सुहाग के लिए गौरी उत्सव करती हैं। गौरी जी को चढ़ाए हुए दूब, फूल और अन्य सामग्री नदी में बहकर आ रहे हैं। 
 
पार्वती जी ने महादेव जी से विनती की, कि हे स्वामी, दो दिन के लिए आप मेरे माता-पिता का नगर बनवा दें, जिससे सारी स्त्रियां यहीं आकर गणगौरी के व्रत उत्सव को करें, और मैं खुद ही उनको सुहाग बढ़ाने वाला आशार्वाद दूं।  
 
महादेव जी ने अपनी शक्ति से ऐसा ही किया। थोड़ी देर में स्त्रियों का झुंड आया तो पार्वती जी को चिंता हुई, और महादेव जी के पास जाकर कहने लगी। प्रभु, मैं तो पहले ही वरदान दे चुकी, अब आप दया करके इन स्त्रियों को अपनी तरफ से सौभाग्य का वरदान दें, पार्वती के कहने से महादेव जी ने उन्हें, सौभाग्य का वरदान दिया। इस तरह देवी पार्वती ने विधिपूर्वक ये व्रत रखा और भगवान शिव से अखंड सौभाग्यवती होने का वरदान प्राप्त किया। इस व्रत के प्रभाव से देवी पार्वती को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति हुई।
 
सौभाग्य सुंदरी व्रत की पूजा विधि:
 
- सौभाग्य सुंदरी व्रत के दिन, विवाहित महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान करती हैं और स्वच्छ वस्त्र धारण करती हैं।
- वे भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्तियों को स्थापित करती हैं और उनकी पूजा करती हैं।
- पूजा में, देवी पार्वती को 16 श्रृंगार की वस्तुएं, फल, फूल और मिठाई अर्पित की जाती हैं।
- भगवान शिव और माता पार्वती के मंत्रों का जाप किया जाता है और उनकी आरती की जाती है।
- कुछ महिलाएं इस दिन उपवास भी रखती हैं।
- इस दिन दान-पुण्य करना भी शुभ माना जाता है।
 
यह व्रत विवाहित महिलाओं के लिए बहुत फलदायी माना जाता है, क्योंकि यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद दिलाता हैं।
 
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