फुलरिया दोज की पूजा विधि और कथा

फुलरिया दोज की पूजा विधि और कथा
Webdunia
आज फुलेरा दोज पर्व है। यह हर साल फाल्‍गुन शुक्ल द्वितीया (Phalguna Dooj) को मनाया जाता है। फुलेरा (Phulera, फुलैरा) दोज पर्व होली के आगमन का प्रतीक माना जाता है। ब्रजभूमि के कृष्ण मंदिरों में इस त्योहार का बहुत अधिक महत्व हैं। आइए जानें सरल पूजा विधि और कथा- 
 
फुलेरा दोज पूजा विधि-Phulera Dooj Vidhi  
 
- फुलेरा दोज के दिन यानी फाल्‍गुन शुक्ल द्वितीया पर प्रात: स्नानादि करके पूजा स्थल की सफाई करें। 
 
- अब मालती, पलाश, कुमुद, गेंदा, गुलाब, हरश्रृंगार आदि फूलों को एकत्रित कर लें। 
 
- राधा जी और श्री कृष्ण की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
 
- रोली, कुमकुम, फूल, अक्षत, चंदन, धूप, दीप, आदि से पूजन करें।
 
- अब सुगंधित पुष्प, द्रव्य और अबीर-गुलाल अर्पित करें।
 
- अब राधा जी और भगवान श्री कृष्ण को फूल अर्पित करें। 
 
- राधा जी और भगवान श्री कृष्ण को सुगंधित फूलों से सजाएं तथा फूलों से होली खेलें।
 
- प्रसाद में मौसमी फल, सफेद मिठाई, पंचामृत और मिश्री अर्पित करें। 
 
- राधा-कृष्ण के मंत्रों का जाप करें।
 
- राधा-कृष्ण के पूजन के लिए शाम का समय भी सबसे उत्तम माना जाता है। 
 
- अत: शाम को पुन: स्नान करके रंगीन वस्त्र धारण करके राधा-रानी का पुन: श्रृंगार करके आनंदपूर्वक पूजन करें। 
- आरती करें, फल, मिठाई और श्रृंगार सामग्री अर्पित करें। 
 
- आज के दिन श्रृंगार की वस्तुओं का दान करें  
 
- पूजा के बाद प्रसाद ग्रहण करें 
 
- सात्विक भोजन करें। 
 
फुलैरा/फुलेरा दूज की पौराणिक कथा (Phulera Dooj Story) के अनुसार, व्यस्तता के कारण भगवान श्री कृष्ण कई दिनों से राधा जी से मिलने वृंदावन नहीं आ रहे थे। राधा के दुखी होने पर गोपियां भी श्री कृष्ण से रूठ गई थीं। राधा के उदास होने के कारण मथुरा के वन सूखने लगे और पुष्प मुरझा गए। 
 
वनों की स्थिति के बारे में जब श्री कृष्ण को पता चला तो वह राधा से मिलने वृंदावन पहुंचे। श्रीकृष्ण के आने से राधा रानी खुश हो गईं और चारों ओर फिर से हरियाली छा गई। कृष्ण ने खिल रहे पुष्प को तोड़ लिया और राधा को छेड़ने के लिए उन पर फेंक दिया।
 
राधा ने भी ऐसा ही श्री कृष्ण के साथ किया। यह देखकर वहां पर मौजूद गोपियों और ग्वालों ने भी एक-दूसरे पर फूल बरसाने शुरू कर दिए। कहते हैं कि तभी से हर साल मथुरा वृंदावन में फूलों की होली खेली जाने लगी। इस दिन मथुरा और वृंदावन में सभी मंदिरों को फूलों से सजाया जाता है तथा फूलों की होली खेली जाती है। 
 
फुलेरा दूज का उत्‍सव उत्तर भारत के गांवों में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस त्योहार को फूलों से रंगोली बना कर श्री राधा-कृष्‍ण का विशेष रूप से फूलों से श्रृंगार करके उनका पूजन किया जाता है। 

radha krishana
ALSO READ: फुलेरा दूज क्यों मनाया जाता है? श्रीकृष्ण और राधारानी के ये शुभ मंत्र करेंगे हर कामना पूरी

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

गुड़ी पड़वा से शुरू हो रही है 8 दिन की चैत्र नवरात्रि, हाथी पर सवार होकर आएंगी माता रानी, जानिए फल

jhulelal jayanti 2025: भगवान झूलेलाल की कहानी

चैत्र नवरात्रि पर घट स्थापना और कलश स्थापना क्यों करते हैं?

जानिए कब शुरू हो रही है केदारनाथ समेत चार धाम की यात्रा

51 शक्तिपीठों में से एक है कोलकाता का कालीघाट मंदिर, सोने से बनी है मां काली की जीभ

सभी देखें

धर्म संसार

चैत्र नवरात्रि पर निबंध, जानिए नवरात्रि के दौरान क्या करें और क्या न करें

22 मार्च 2025 : आपका जन्मदिन

22 मार्च 2025, शनिवार के शुभ मुहूर्त

गुड़ी पड़वा के खास मौके पर अपने दोस्तों और प्रियजनों को भेजें ये सौभाग्य और समृद्धि की कामना वाले संदेश

शीतला सप्तमी-अष्टमी पर बासी खाने का भोग क्यों लगाया जाता है? क्या है इस दिन का आपकी सेहत से कनेक्शन

अगला लेख