jhulelal jayanti 2025: भगवान झूलेलाल की कहानी

WD Feature Desk
शनिवार, 29 मार्च 2025 (12:55 IST)
cheti chand festival 2025: सिंधी समाज के हिन्दुओं में झूलेलाल को वरुणदेव का अवतार माना जाता है। सिंध प्रांत के हिन्दुओं को सिंधी कहा जाता है। सिंध प्रांत के हिन्दुओं को मुस्लिम अत्याचार से बचाने के लिए ही इनका अवतार हुआ था। यह एक चमत्कारिक संत थे। झूलेलाल की जयंती चैत्र शुक्ल माह की द्वितीया को आती है। इनका प्रकटोत्सव चैत्र प्रतिपदा से ही प्रारंभ हो जाता है। झुलेलालजी को जिन्दपीर, लालशाह, पल्लेवारो, ज्योतिनवारो, अमरलाल, उदेरोलाल, घोड़ेवारो भी कहते हैं। इन्हें मुसलमान ख्वाजा खिज्र जिन्दह पीर के नाम से पूजते हैं। पाकिस्तानी सिंधी लोग इन्हें 'प्रभु लाल साईं' कहते हैं।
 
चैत्र शुक्ल पक्ष द्वितीया संवत 1007 को उनका जन्म नसरपुर के ठाकुर रतनराय के यहां हुआ था। उनकी माता का नाम देवकी था। उनके माता पिता ने उनका नाम 'लाल उदयराज' रखा था। लोग उन्हें उदयचंद भी कहते थे।
 
सिंध प्रांत में मिरक शाह नामक एक क्रूर मुस्लिम राजा के अत्याचार और हिन्दू जनता को समाप्त करने के कुचक्र के चलते झूलेलाल का 10वीं सदी में अवतार हुआ और उन्होंने हिन्दू-मुस्लिम एकता का पाठ पढ़ाया। जन्म से ही चमत्कारिक बालक होने की प्रसिद्धि के चलते मिरक शाह को लगा कि यह बालक संभवत: मेरी मौत का करण बन सकता है। अत: शाह ने उदयराज को समाप्त करवाने की योजना बनाई। शाह दल-बल सहित उदयराज को मारने के लिए निकले ही थे लेकिन उदयराज ने अपनी दिव्य शक्ति से शाह के महल में आग का कहर बरपा दिया और शाह की सेना बेबस हो गई। सेना‍पतियों ने देखा कि सिंहासन पर 'लाल उदयराज' बैठे हैं। जब महल भयानक आग से जलने लगा तो बादशाह भागकर 'लाल उदयराज' के चरणों में गिर पड़ा।
 
'लाल उदयराज' की शक्ति से प्रभावित होकर ही मिरक शाह ने शां‍ति का रास्ता अपनाकर सर्वधर्म समभाव की भावना से कार्य किया और बादशाह ने बाद में उनके लिए एक भव्य मंदिर भी बनाकर दिया था।
चेटीचंड पर्व: सिंध प्रांत के हिन्दुओं जिन्हें सिंधी कहा जाता है, उनके लिए चेटीचंड सबसे बड़ा पर्व है। भगवान झूलेलाल का अवतरण इसी दिन हुआ था। जो भी 4 दिन तक विधि- विधान से भगवान झूलेलाल की पूजा-अर्चना करता है, वह सभी दुःखों से दूर हो जाता है। कुछ लोग झूलेलाल चालीहा उत्सव मनाते हैं। अर्थात 40 दिन तक व्रत उपवास रखते हैं।
 
झूलेलाल का समाधी स्थल: पाकिस्तान के नसरपुर में झूलेलाल का प्रसिद्ध समाधी मंदिर है। हालांकि यह मंदिर अब दरगाह के रूप में परिवर्तित कर दिया गया है। यहां दुनियाभर से लोग आकर माथा टेकते हैं और अपनी मनोकामनाएं मांगते हैं। इन्हें मुस्लिम लोग 'जिन्दह पीर' और हिन्दू लोग 'प्रभु लाल साईं' कहते हैं।
 
झूले झूले झूले झूलुलाल...
आयो लाल झुलेलाल.
लाल उदेरो रत्नाणी
करी भलायूं भाल....
आयो लाल झुलेलाल.
असीं निमाणा ऐब न आणा
दूला तूहेंजे दर तें वेकाणा
करीं भलायूं भाल...
आयो लाल झुलेलाल.
झूले झूले झूले झुलेलाल...

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

हिन्दू नववर्ष को किस राज्य में क्या कहते हैं, जानिए इसे मनाने के भिन्न भिन्न तरीके

कब मनेगी ईद 31 मार्च या 1 अप्रैल, जानिए सही तारीख

नवरात्रि की प्रथम देवी मां शैलपुत्री की कथा

चैत्र नवरात्रि 2025 पर अपनों को शेयर करें ये विशेस और कोट्स, मां दुर्गा के आशीर्वाद से जीवन होगा मंगलमय

गुड़ी पड़वा विशेष: गुड़ी पर क्यों चढ़ाते हैं गाठी/पतासे का हार, जानिए इसका धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व

सभी देखें

धर्म संसार

चैत्र नवरात्रि 30 मार्च से, कैसे करें देवी आराधना, जानें घट स्थापना के मुहूर्त

शनि का मीन राशि में परिवर्तन, जानें 12 राशियों पर प्रभाव, करें ये उपाय

हिंदू नववर्ष गुड़ी पड़वा पर बन रहे हैं कई शुभ योग, जानिए कौन होगा वर्ष का राजा

solar eclipse story: सूर्य ग्रहण क्या है? पढ़ें प्राचीन कथा

हिंदू नववर्ष गुड़ी पड़वा पर्व किस तरह मनाते हैं?

अगला लेख