एकनाथ शिंदे : प्रोफाइल

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महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री एकनाथ संभाजी शिंदे का नाम उस लिस्ट में जुड़ गया है, जिन्होंने महाराष्ट्र के सबसे बड़े राजनीतिक घराने से बगावत की। वे शिवसेना के खिलाफ बगावत करने वाले सबसे बड़ा चेहरा बने। कभी ऑटो रिक्शा चलाने वाले शिंदे महाराष्ट्र की सत्ता संभाल रहे हैं। पढ़िए उनकी निजी और राजनीतिक जीवन की प्रोफाइल।
 
जन्म और शिक्षा : एकनाथ शिंदे का जन्म 9 फरवरी 1964 को हुआ था। सतारा उनका गृह जिला है। पढ़ाई के लिए शिंदे ठाणे आए। उन्होंने सिर्फ 11वीं तक पढ़ाई की। इसके बाद वागले एस्टेट इलाके में रहकर ऑटो रिक्शा चलाने लगे। इस बीच उनकी मुलाकात शिवसेना नेता आनंद दिघे से हुई। वे उनके राजनीतिक गुरु बने। दिघे से प्रेरित होकर सिर्फ 18 साल की उम्र में शिंदे ने एक आम शिवसेना कार्यकर्ता के रूप में राजनीति में प्रवेश किया।
 
राजनीतिक करियर : शिंदे ने एक कार्यकर्ता के रूप समर्पण और निष्ठा के साथ शिवसेना के लिए काम किया। 1997 के ठाणे नगर निगम चुनाव में आनंद दिघे ने शिंदे को पार्षद का टिकट दिया। अपने पहले ही चुनाव में शिंदे को जीत मिली। 2001 में नगर निगम सदन में विपक्ष के नेता बने। इसके बाद दोबारा 2002 में दूसरी बार निगम पार्षद बने। 2001 के बाद शिंदे का कद शिवसेना में बढ़ा जब आनंद दिघे का निधन हो गया।

ठाणे की राजनीति में शिंदे की राजनीतिक जमीन मजबूत होने लगी। 2005 में नारायण राणे के पार्टी छोड़ने के बाद शिंदे का कद शिवसेना में और बढ़ा गया। जब ठाकरे परिवार में दरार आई और राज ठाकरे ने शिवसेना छोड़ दी तो शिंदे ठाकरे परिवार के करीब आ गए।

2004 के विधानसभा चुनाव में शिवसेना ने शिंदे को ठाणे विधानसभा सीट से टिकट दिया। यहां भी शिंदे को जीत मिली। उन्होंने कांग्रेस के मनोज शिंदे को 37 हजार से अधिक वोट हराया। 2009, 2014 और 2019 में शिंदे ठाणे जिले की कोपरी पछपाखडी सीट से जीतकर विधानसभा पहुंचे। देवेंद्र फडणवीस सराकर में शिंदे राज्य के लोक निर्माण मंत्री रहे।
 
राजनीति से कर लिया था किनारा : एक हादसे के बाद शिंदे राजनीति को अलविदा कह दिया था। जब शिंदे पार्षद हुआ करते थे। सतारा में हुए एक हादसे में उन्होंने अपने 11 साल के बेटे दीपेश और 7 साल की बेटी शुभदा को खो दिया था। बोटिंग करते हुए एक्सीडेंट हुआ और शिंदे के दोनों बच्चे उनकी आंखों के सामने डूब गए थे। उस समय शिंदे के दूसरे बेटे श्रीकांत की उम्र सिर्फ 13 साल थी। इस घटना से आहत हुए शिंदे ने राजनीति तक से किनारा कर लिया था। इस दौरान उनके राजनी‍तिक गुरु आनंद दिघे ने उन्हें संबल दिया और सार्वजनिक जीवन में फिर से लेकर आए।
 
संपत्ति और परिवार : 2019 के विधानसभा चुनाव में दिए गए हलफनामे के मुताबिक शिंदे के पास कुल 11 करोड़ 56 लाख से ज्यादा की संपत्ति है। इसमें 2.10 करोड़ से ज्यादा की चल और 9.45 करोड़ से ज्यादा की अचल संपत्ति घोषित की गई थी। उनके बेटे बड़े श्रीकांत भी राजनीति में हैं।

चुनावी हलफनामे में शिंदे ने खुद को कॉन्ट्रैक्टर और बिजनेसमैन बताया है। उनकी पत्नी भी कंस्ट्रक्शन का काम करती हैं। शिंदे ने विधायक के तौर पर मिलने वाली सैलरी, घरों से आने वाले किराए और ब्याज से होने वाली कमाई को अपनी आय का स्त्रोत बताया है। उसके अनुसार उनके ऊपर कुल 18 आपराधिक मामले चल रहे हैं। इनमें आग या विस्फोटक पदार्थ से नुकसान पहुंचाने, गैरकानून तरीके से इकट्ठा हुई भीड़ का हिस्सा होना, सरकारी कर्मचारी के आदेशों की अवहेलना करने जैसे आरोप हैं।

चुनावी हलफनामे के मुताबिक शिंदे के पास कुल 6 कारें हैं। इनमें से तीन शिंदे के नाम और तीन उनकी पत्नी के नाम पर हैं। शिंदे की पत्नी के नाम पर एक टैम्पो भी है। शिंदे की 6  कार के जखीरे में दो इनोवा, दो स्कॉर्पियो, एक बोलेरो और एक महिंद्र अर्मडा है। हथियारों में शिंदे के पास एक पिस्टल और एक रिवॉल्वर भी है।

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