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श्रावण मास की पूर्णिमा पर करते हैं श्रावणी उपाकर्म, जानें महत्व

WD Feature Desk
बुधवार, 30 जुलाई 2025 (10:30 IST)
shraavanee upaakarm kaise karen: श्रावण मास की पूर्णिमा को श्रावणी उपाकर्म का विशेष पर्व मनाया जाता है। यह एक वैदिक परंपरा है जो सदियों से चली आ रही है और इसका गहरा धार्मिक व आध्यात्मिक महत्व है। यह दिन न केवल रक्षाबंधन के लिए खास है, बल्कि यह वैदिक परंपरा में आत्मशुद्धि, ज्ञानार्जन और नए संकल्प लेने का भी एक महत्वपूर्ण अवसर है। इसे रक्षाबंधन और ऋषि पूजन का दिन भी कहा जाता है। इस बार यजुर्वेद उपाकर्म शनिवार, 9 अगस्त 2025 को किया जाएगा।ALSO READ: सावन में शिवजी को कौनसे भोग अर्पित करें, जानें 10 प्रमुख चीजें

आइए यहां जानते हैं श्रावण मास की पूर्णिमा और उपाकर्म का महत्व...
 
श्रावणी उपाकर्म 2025 कब है: इस वर्ष, श्रावणी उपाकर्म 9 अगस्त 2025, शनिवार को किया जाएगा। पूर्णिमा तिथि 8 अगस्त को दोपहर 2:12 बजे से शुरू होकर 9 अगस्त को दोपहर 1:24 बजे तक रहेगी। 
 
श्रावणी उपाकर्म क्या है: 'श्रावणी उपाकर्म' दो शब्दों से मिलकर बना है: 'श्रावणी' (श्रावण मास से संबंधित) और 'उपाकर्म' (निकट आने वाला कर्म या अर्थात् वैदिक अध्ययन का आरंभ)। यह मुख्यतः ब्राह्मण समुदाय और वैदिक अध्ययन करने वाले लोगों द्वारा किया जाने वाला एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है, लेकिन इसके संदेश सभी के लिए प्रासंगिक हैं।
 
श्रावणी उपाकर्म का महत्व:
1. आत्मशुद्धि और प्रायश्चित: श्रावणी उपाकर्म यह पर्व वर्ष भर में जाने-अनजाने में हुए पाप कर्मों के प्रायश्चित का अवसर प्रदान करता है। लोग पवित्र नदियों या तीर्थस्थलों पर स्नान करके और विशेष अनुष्ठान करके अपने शरीर, मन और आत्मा की शुद्धि करते हैं।
 
2. यज्ञोपवीत परिवर्तन: जिन पुरुषों का यज्ञोपवीत संस्कार (जनेऊ) हो चुका होता है, वे इस दिन अपने पुराने जनेऊ को विधि-विधान से उतारकर नया यज्ञोपवीत धारण करते हैं। यह वैदिक ज्ञान और आध्यात्मिक मार्ग पर चलने के नए संकल्प का प्रतीक है।
 
3. वेदों का अध्ययन आरंभ: श्रावणी उपाकर्म के दिन वेदों का अध्ययन पुनः आरंभ करने का संकल्प लिया जाता है। प्राचीन काल में वर्षा ऋतु में अध्ययन का अवकाश होता था, और श्रावणी पूर्णिमा से वेदों के पठन-पाठन की शुरुआत होती थी।
 
4. ऋषि तर्पण: इस दिन ऋषियों का आवाहन और तर्पण किया जाता है। ऋषि परंपरा के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की जाती है, जिन्होंने हमें वेदों और ज्ञान का मार्ग दिखाया।
 
5. ज्ञान और विकास का संदेश: श्रावणी उपाकर्म हमें स्वाध्याय, सुसंस्कारों के विकास और ज्ञान के अवतरण की प्रेरणा देता है। यह पर्व जीवन में भौतिकता और आध्यात्मिकता के समन्वय का संदेश देता है।
 
6. रक्षाबंधन से जुड़ाव: श्रावणी उपाकर्म उसी दिन किया जाता है जिस दिन रक्षाबंधन का पावन पर्व होता है, जहां बहनें अपने भाइयों को राखी बांधती हैं। यह एक ही दिन में शारीरिक, मानसिक और सामाजिक शुद्धि और संबंधों के महत्व को दर्शाता है।ALSO READ: शनि मंगल का समसप्तक और राहु मंगल का षडाष्टक योग, भारत को करेगा अस्थिर, 5 कार्य करें

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