रक्षा बंधन 2021 : राखी पर भाई के माथे पर लगेगा मंगल तिलक, जानिए 10 चमत्कारिक लाभ

अनिरुद्ध जोशी
हिन्दू धर्म में हर मांगलिक कार्य में तिलक लगाने की परंपरा रही है। ललाट पर तिलक चंदन, कुमकुम, मिट्टी, हल्दी, भस्म आदि कई पदार्थों से लगाया जाता है। तिलक लगाने के कई आध्यात्मिक, मानसिक और दैहिक फायदे हैं। तिलक लगाने के 12 स्थान हैं। सिर, ललाट, कंठ, हृदय, दोनों बाहुं, बाहुमूल, नाभि, पीठ, दोनों बगल में, इस प्रकार बारह स्थानों पर तिलक करने का विधान है। आओ जानते हैं कि जानते हैं माथे पर तिलक लगाने के 10 चमत्कारिक लाभ।
 
 
1. अनामिका अंगुली से तिलक करने से मन और मस्तिष्क को शांति मिलती है, मध्यमा से आयु बढ़ाती है, अंगूठे से तिलक करना पुष्टिदायक कहा गया है और तर्जनी से तिलक करने पर मोक्ष मिलता है। विष्णु संहिता के अनुसार देव कार्य में अनामिका, पितृ कार्य में मध्यमा, ऋषि कार्य में कनिष्ठिका तथा तांत्रिक कार्यों में प्रथमा अंगुली का प्रयोग होता है। अत: राखी के दिन अनामिका अंगुली से तिलक लगाएं।
 
2. वि‍भिन्न द्रव्यों से बने तिलक की उपयोगिता और महत्व अलग-अलग हैं। कुमकुम का तिलक तेजस्विता प्रदान करता है। केसर का तिलक लगाने से सात्विक गुणों और सदाचार की भावना बढ़ती है। इससे बृहस्पति ग्रह का बल भी बढ़ जाता है और भाग्यवृद्धि होती है। हल्दी से युक्त तिलक लगाने से त्वचा शुद्ध होती है। चंदन का तिलक लगाने से पापों का नाश होता है। इत्र का तिलक लगाने से शुक्र बल बढ़ता हैं और व्यक्ति के मन-मस्तिष्क में शांति और प्रसन्नता रहती है। गोरोचन का तिलक लगाने से आध्यात्मिक उन्नती होती है। अष्टगंध का तिलक लगाने से ग्रह दोष दूर होते हैं और माता लक्ष्मी प्रसन्न होती है। राखी के दिन कुमकुम में हल्दी या केसर मिलाकर तिलक लगाना चाहिए। उल्लेखनीय है कि विशुद्ध मिट्टी के तिलक से बुद्धि-वृद्धि और पुण्य फल की प्राप्ति होती है। दही या जल का तिलक लगाने से चंद्र बल बढ़ता है और मन-मस्तिष्क में शीतलता प्रदान होती है। 
 
3. ललाट पर तिलक धारण करने से मस्तिष्क को शांति और शीतलता मिलती है तथा बीटाएंडोरफिन और सेराटोनिन नामक रसायनों का स्राव संतुलित मात्रा में होने लगता है। इन रसायनों की कमी से उदासीनता और निराशा के भाव पनपने लगते हैं अत: तिलक उदासीनता और निराशा से मुक्ति प्रदान करने में सहायक है। साथ ही सिरदर्द की समस्या में कमी आती है।
 
4. मस्तक पर तिलक जहां लगाया जाता है वहां आत्मा अर्थात हम स्वयं स्थित होते हैं। यह हमारे आत्म सम्मान का प्रतीक है। माथे पर आप दोनों भौहों के बीच जहां आप तिलक लगाते हैं वो अग्नि चक्र कहलाता है। यहीं से पूरे शरीर में शक्ति का संचार होता है। यहां तिलक करने से ऊर्जा का संचार होता है 
 
5. तिलक मस्तक पर दोनों भौंहों के बीच नासिका के ऊपर प्रारंभिक स्थल पर लगाए जाते हैं जो हमारे चिंतन-मनन का भी स्थान है। इससे चिंतन-मनन बढ़ता है। इससे स्मरण शक्ति, निर्णय लेने की क्षमता, बौद्धिकता, तार्किकता, साहस और बल में वृद्धि होती है।
 
6. ललाट का यह स्थान चेतन-अवचेतन अवस्था में भी जागृत एवं सक्रिय रहता है, इसे आज्ञा-चक्र भी कहते हैं। इन दोनों के संगम बिंदु पर स्थित चक्र को निर्मल, विवेकशील, ऊर्जावान, जागृत रखने के साथ ही तनावमुक्त रहने हेतु ही तिलक लगाया जाता है। 
 
7. इस बिंदु पर यदि सौभाग्यसूचक द्रव्य जैसे चंदन, केशर, कुमकुम आदि का तिलक लगाने से सात्विक एवं तेजपूर्ण होकर आत्मविश्वास में अभूतपूर्ण वृद्धि होती है, मन में निर्मलता, शांति एवं संयम में वृद्धि होती है।
 
8. लाट पर नियमित रूप से तिलक लगाने से मस्तिष्क शांति रहता है और सुकून का अनुभव करता है। साथ ही कई मानसिक बीमारियां भी इससे ठीक हो सकती है।
 
9. शास्त्रों में श्वेत चंदन, लाल चंदन, कुमकुम, भस्म आदि से तिलक लगाना शुभ माना गया है पर रक्षाबंधन के दिन कुमकुम से ही तिलक किया जाता है। कुमकुम के तिलक के साथ चावल का प्रयोग भी किया जाता है।
 
10. तिलक विजय, पराक्रम, सम्मान, श्रेष्ठता और वर्चस्व का प्रतीक है। बहन द्वारा लगाने गए तिलक से बहन की समाज में रक्षा के लिए इन सभी गुणों का विकास होता है।

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