यदि लक्ष्मण का यह तप पूर्ण नहीं होता तो मेघनाद नहीं मारा जाता और राम युद्ध हार जाते

Webdunia
बुधवार, 15 अप्रैल 2020 (14:37 IST)
यह कथा हमें रामायण से इतर मिलती है। एक बार की बात है कि अगस्त्य मुनि अयोध्या आए और लंका युद्ध पर चर्चा करने लगे। भगवान श्रीराम ने बताया कि कैसे लक्ष्मण ने इंद्रजीत और अतिकाय जैसे शक्तिशाली असुरों का वध किया और मैंने किस तरह रावण और कुंभकर्ण को मारा।
 
 
यह सुनकर अगस्त्य मुनि ने कहा, भगवान यह सही है कि रावण और कुंभकर्ण प्रचंड वीर थे, लेकिन सबसे बड़ा वीर तो मेघनाद ही था जिसका वध लक्ष्मण ने दिया। मेघनाद ने पूर्व समय में अंतरिक्ष में स्थित होकर इंद्र से युद्ध किया था और उसे बांधकर वह लंका ले आया था। तब ब्रह्माजी ने मेघनाद से दान के रूप में इंद्र को मांगकर उसे मुक्त कराया था। ऐसे महारथी का लक्ष्मण ने वध किया तो यह तो बड़ी बात है।
 
 
यह सुनकर राम ने आश्चर्य से पूछा, कैसे इंद्रजीत का वध कुंभकर्ण और  रावण से ज्यादा मुश्किल था। अगस्त्य मुनि ने कहा- प्रभु इंद्रजीत को वरदान था कि उसका वध वही कर सकता था जो चौदह वर्षों तक न सोया हो, जिसने चौदह साल तक किसी स्त्री का मुख न देखा हो और जिसने चौदह साल तक भोजन न किया हो।

 
यह सुनकर प्रभु श्रीराम बोले- परंतु वनवास काल में लक्ष्मण हरदम मेरे ही साथ थे। मैं उनके हिस्से का फल-फूल देता रहा। मैं सीता के साथ एक कुटी में रहता था, बगल की कुटी में लक्ष्मण थे, फिर सीता का मुख भी न देखा हो, और चौदह वर्षों तक सोए न हों, ऐसा कैसे संभव हो सकता है?

 
अगस्त्य मुनि समझ रहे थे कि प्रभु श्रीराम सब जानते हैं लेकिन फिर भी मुझसे पूछ रहे हैं। दरअसल, सभी लोग सिर्फ श्रीराम का गुणगान करते थे, लेकिन प्रभु चाहते थे कि लक्ष्मण के तप और उनकी वीरता के भी गुणगान होना चाहिए।

 
तब अगस्त्य मुनि ने कहा कि क्यों न इसका राज लक्ष्मणजी से पूछा जाए। लक्ष्मणजी को बुलाया गया और जब वे प्रभु श्रीराम के समक्ष आए तो प्रभु ने लक्ष्मणजी से कहा कि आपसे जो पूछा जाए उसे सच-सच कहिएगा। प्रभु ने पूछा- हम तीनों चौदह वर्षों तक साथ रहे फिर तुमने सीता का मुख कैसे नहीं देखा?, फल दिए गए फिर भी अनाहारी कैसे रहे? और 14 साल तक सोए नहीं? यह कैसे संभव हुआ?

 
तब लक्ष्मणजी ने बताया- भैया जब हम भाभी को तलाशते ऋष्यमूक पर्वत गए तो सुग्रीव ने हमें उनके आभूषण दिखाकर पहचानने को कहा। आपको स्मरण होगा मैं तो सिवाए उनके पैरों के नुपूर के कोई आभूषण नहीं पहचान पाया था क्योंकि मैंने कभी भी उनके चरणों के ऊपर देखा ही नहीं।

 
अब चौदह वर्ष नहीं सोने के बारे में सुनिए- आप और माता एक कुटिया में सोते थे। मैं रातभर बाहर धनुष पर बाण चढ़ाए पहरेदारी में खड़ा रहता था। निद्रा ने मेरी आंखों पर कब्जा करने की कोशिश की तो मैंने निद्रा को अपने बाणों से बेध दिया था। (कहते हैं कि लक्ष्मण के बदले उनकी पत्नी 14 वर्ष तक सोती रही थी)

 
निद्रा ने हारकर स्वीकार किया कि वह चौदह साल तक मुझे स्पर्श नहीं करेगी लेकिन जब श्रीराम का अयोध्या में राज्याभिषेक हो रहा होगा और मैं उनके पीछे सेवक की तरह छत्र लिए खड़ा रहूंगा तब वह मुझे घेरेगी। आपको याद होगा राज्याभिषेक के समय मेरे हाथ से छत्र गिर गया था।

 
अब सुनिए कि मैं 14 साल तक अनाहारी कैसे रहा। मैं जो फल-फूल लाता था आप उसके तीन भाग करते थे। एक भाग देकर आप मुझसे कहते थे लक्ष्मण फल रख लो। आपने कभी फल खाने को नहीं कहा- फिर बिना आपकी आज्ञा के मैं उसे खाता कैसे?

 
मैंने उन्हें संभाल कर रख दिया। सभी फल उसी कुटिया में अभी भी रखे होंगे। प्रभु के आदेश पर लक्ष्मणजी चित्रकूट की कुटिया में से वे सारे फलों की टोकरी लेकर आए और दरबार में रख दिया। फलों की गिनती हुई, सात दिन के हिस्से के फल नहीं थे।
 
प्रभु ने कहा- इसका अर्थ है कि तुमने सात दिन तो आहार लिया था?
 
लक्ष्मणजी ने सात फल कम होने के बारे बताया- उन सात दिनों में फल आए ही नहीं। जिस दिन हमें पिताश्री के स्वर्गवासी होने की सूचना मिली, हम निराहारी रहे। जिस दिन रावण ने माता का हरण किया उस दिन फल लाने कौन जाता। जिस दिन समुद्र की साधना कर आप उससे राह मांग रहे थे।

 
जिस दिन आप इंद्रजीत के नागपाश में बंधकर दिनभर अचेत रहे। जिस दिन इंद्रजीत ने मायावी सीता को काटा था और हम शोक में रहे। जिस दिन रावण ने मुझे शक्ति मारी। और अंत में जिस दिन आपने रावण-वध किया। उक्त सभी दिन फल आए ही नहीं।

 
फिर लक्ष्मण ने कहा कि विश्वामित्र मुनि से मैंने एक अतिरिक्त विद्या का ज्ञान लिया था। बिना आहार किए जीने की विद्या। उसके प्रयोग से मैं चौदह साल तक अपनी भूख को नियंत्रित कर सका जिससे इंद्रजीत मारा गया।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Weekly Horoscope: 12 राशियों के लिए कैसा रहेगा सप्ताह, पढ़ें साप्ताहिक राशिफल (18 से 24 नवंबर)

Mokshada ekadashi 2024: मोक्षदा एकादशी कब है, क्या है श्रीकृष्‍ण पूजा का शुभ मुहूर्त?

Shani Margi: शनि का कुंभ राशि में मार्गी भ्रमण, 3 राशियां हो जाएं सतर्क

विवाह पंचमी कब है? क्या है इस दिन का महत्व और कथा

उत्पन्ना एकादशी का व्रत कब रखा जाएगा?

सभी देखें

धर्म संसार

Singh Rashi Varshik rashifal 2025 in hindi: सिंह राशि 2025 राशिफल: कैसा रहेगा नया साल, जानिए भविष्‍यफल और अचूक उपाय

पढ़ाई में सफलता के दरवाजे खोल देगा ये रत्न, पहनने से पहले जानें ये जरूरी नियम

Yearly Horoscope 2025: नए वर्ष 2025 की सबसे शक्तिशाली राशि कौन सी है?

Aaj Ka Rashifal: आज किसके बनेंगे सारे बिगड़े काम, जानें 21 नवंबर 2024 का राशिफल

21 नवंबर 2024 : आपका जन्मदिन

अगला लेख