इस कारण मां सीता को दूर रहना पड़ा था श्रीराम जी से

Webdunia
सोमवार, 13 फ़रवरी 2023 (02:48 IST)
एक बार सीताजी अपनी सहेलियों के साथ जनकजी के महल के बगीचे में मनोरंजन के लिए गई। वहां पर एक वृक्ष पर उन्होंने तोते के एक जोड़े को देखा। दोनों आपस में बाते कर रहे थे। एक ने कहा कि अयोध्या में एक सुंदर और प्रतापी कुमार हैं जिनका नाम श्रीराम है। उनसे सीताजी का विवाह होगा।
 
श्रीराम 11 हजार वर्षों तक इस धरती पर राज्य करेंगे। सीता और राम दोनों एक दूसरे के जीवनसाथी की तरह इस धरती पर सुख से जीवन बिताएंगे। सीता ने अपना नाम सुना तो दोनों पक्षी की बात गौर से सुनने लगीं। उन्हें अपने जीवन के बारे में और बातें सुनने की इच्छा हुई। सकी सहेलियों से कहकर उन्होंने दोनों पक्षी पकड़वा लिए।
 
सीता ने उन्हें प्यार से सहलाया और कहा- भय मत करो! तुम बड़ी अच्छी बातें करते हो। यह बताओ ये ज्ञान तुम्हें कहां से मिला? मुझसे डरने होने की जरूरत नहीं। दोनों का डर समाप्त हुआ। वे समझ गए कि यह स्वयं सीता हैं। दोनों ने बताया कि वाल्मिकी नाम के एक महर्षि हैं। वे उनके आश्रम में ही रहते हैं। वाल्मिकी रोज श्रीराम और सीता के जीवन की चर्चा करते हैं। उन्होंने वहीं यह सब सुना जो अब सब कंठस्थ हो गया है।
 
सीता ने और पूछा तो तोते ने कहा- दशरथ पुत्र श्री राम शिव का धनुष भंग करेंगे और सीता उन्हें पति के रूप में स्वीकार करेंगी। तीनों लोकों में यह अद्भुत जोड़ी बनेगी। सीता पूछती जातीं और तोता उसका उत्तर देते जाते। दोनों थक गए। उन्होंने सीता से कहा यह कथा बहुत विस्तृत है। कई माह लगेंगे सुनाने में। दोनों उड़ने को तैयार हुए।
 
यह देख सीता ने कहा- तुमने मेरे भावी पति के बारे में बताया। उनके बारे में बड़ी जिज्ञासा हुई है। जब तक श्रीराम आकर मेरा वरण नहीं करते मेरे महल में तुम आराम से रहकर सुख भोगो।
 
तोती ने कहा- देवी हम वन के प्राणी है। पेड़ों पर रहते सर्वत्र विचरते हैं। मैं गर्भवती हूं। मुझे घोसले में जाकर अपने बच्चों को जन्म देना है। सीताजी नहीं मानी। तोते ने कहा- आप जिद न करें। जब मेरी पत्नी बच्चों को जन्म दे देगी तो मैं स्वयं आकर शेष कथा सुनाऊंगा। अभी तो हमें जाने दें। 
 
सीता ने कहा- ऐसा है तो तुम चले जाओ लेकिन तुम्हारी पत्नी यहीं रहेगी। मैं इसे कष्ट न होने दूंगी। तोते को पत्नी से बड़ा प्रेम था। वह अकेला जाने को तैयार न था। जब तोते को लगा कि वह सीता के चंगुल से मुक्त नहीं हो सकता तो विलाप करने लगा- मुनियों ने सत्य कहा है, मौन रहना चाहिए। यदि हम कथा न कहते तो मुक्त होते।
 
तोती अपने पति से विछोह सहन नहीं कर पा रही थी। उसने सीता को कहा- आप मुझे पति से अलग न करें। मैं आपको शाप दे दूंगी।
 
सीता हंसने लगीं। उन्होंने कहा- शाप देना है तो दे दो। राजकुमारी को पक्षी के शाप से क्या बिगड़ेगा। तोती ने शाप दिया- एक गर्भवती को जिस तरह तुम उसके पति से दूर कर रही हो उसी तरह तुम जब गर्भवती रहोगी तो तुम्हें पति का बिछोह सहना पड़ेगा। शाप देकर तोती ने प्राण त्याग दिए।
 
पत्नी को मरता देख तोता क्रोध में बोला- अपनी पत्नी के वचन सत्य करने के लिए मैं ईश्वर को प्रसन्न कर श्रीराम के नगर में जन्म लूंगा और अपनी पत्नी का शाप सत्य कराने का माध्यम बनूंगा। 
 
वही तोता बाद में अयोध्या का धोबी बना जिसने झूठा लांछन लगाकर श्रीराम को इस बात के लिए विवश किया कि वह सीता को अपने महल से निष्काषित कर दें।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

गुड़ी पड़वा से शुरू हो रही है 8 दिन की चैत्र नवरात्रि, हाथी पर सवार होकर आएंगी माता रानी, जानिए फल

jhulelal jayanti 2025: भगवान झूलेलाल की कहानी

चैत्र नवरात्रि पर घट स्थापना और कलश स्थापना क्यों करते हैं?

जानिए कब शुरू हो रही है केदारनाथ समेत चार धाम की यात्रा

51 शक्तिपीठों में से एक है कोलकाता का कालीघाट मंदिर, सोने से बनी है मां काली की जीभ

सभी देखें

धर्म संसार

Weekly Rashifal 2025: इस सप्ताह किन राशियों का चमकेगा भाग्य, पढ़ें अपना साप्ताहिक राशिफल

Weekly Panchang 2025 : साप्ताहिक कैलेंडर हिन्दी में, जानें मार्च माह के अंतिम सप्ताह के शुभ मुहूर्त

चैत्र नवरात्रि की सप्तमी, अष्टमी और नवमी तिथि का क्या है महत्व?

Aaj Ka Rashifal: 23 मार्च के दिन किन राशियों के चमकेंगे सितारे, जानें अपना दैनिक राशिफल

23 मार्च 2025 : आपका जन्मदिन

अगला लेख