Haridwar : विवाद के बाद कावड़ मार्ग पर मस्जिद, मजारों के आगे लगे पर्दे हटाना शुरू

वेबदुनिया न्यूज डेस्क
शुक्रवार, 26 जुलाई 2024 (22:15 IST)
After the controversy the curtains in front of mosques and tombs on the Kavad route started being removed : कावड़ यात्रा मार्ग पर पड़ने वाली मस्जिदों और मजारों को पर्दों से ढंके जाने से शुरू हुए विवाद के बाद हरिद्वार जिला प्रशासन ने कुछ घंटों के बाद ही उन्हें उतारना शुरू कर दिया।
 
हालांकि यात्रा मार्ग पर शराब की दुकानों के आगे लगाए गए पर्दों को नहीं हटाया गया है। शराब की दुकानों के बाहर भी इस बार पहली बार पर्दे लगाए गए हैं। हिंदुओं की सबसे बड़ी धार्मिक यात्रा की इस वर्ष शुरुआत विवादों के साथ हुई जहां उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश सरकारों ने कावड़ यात्रा मार्ग पर होटल और ढाबा संचालकों को अपने नाम और पते वाले ‘साइन बोर्ड’ लगाने का आदेश दिया। इस पर विवाद के बीच मामला उच्चतम न्यायालय पहुंचा जहां इस आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी गई।
 
अभी यह विवाद ठंडा भी नहीं पड़ा था कि हरिद्वार जिला प्रशासन ने यात्रा मार्ग पर पड़ने वाली मस्जिदों और मजारों को पर्दों से ढंक दिया। प्रदेश के पर्यटन और धर्मस्व मंत्री सतपाल महाराज ने इस संबंध में पूछे जाने पर कहा कि कावड़ यात्रा को व्यवस्थित रूप से संपन्न कराने के लिए मस्जिद और मजारों को ढंका गया।
ALSO READ: सुप्रीम कोर्ट का योगी सरकार को झटका, कावड़ यात्रा मार्ग की दुकानों पर नहीं लगेगी नेम प्लेट
उन्होंने कहा, कोई समस्या न हो, इसे देखते हुए ही कुछ बातों पर रोक लगाई जाती है। कावड़ मार्ग पर किसी प्रकार की उत्तेजना न हो, इसलिए मस्जिद और मजारों को ढंका गया है। ज्वालापुर में आर्यनगर के पास इस्लामनगर की मस्जिद और ऊंचे पुल पर बनी मजार और मस्जिद को पर्दे से ढंक दिया गया लेकिन इस कदम पर तीखी प्रतिक्रिया आने के बाद प्रशासन ने कुछ ही घंटों में उन्हें उतारने का कार्य शुरू कर दिया।
 
प्रशासन के निर्देश पर मस्जिदों और मजारों के आगे लगे पर्दे हटाने पहुंचे कावड़ मेले के एसपीओ (पुलिस की सहायता के लिए तैनात स्वयंसेवक) दानिश अली ने बताया कि पुलिस चौकी से उन्हें पर्दे हटाने का आदेश मिला है और इसलिए वह उन्हें हटाने आए हैं। इससे पहले कावड़ यात्रा के दौरान मस्जिदों और मजारों को कभी नहीं ढंका नहीं जाता था।
ALSO READ: अमेरिका तक पहुंचा कावड़ यात्रा में नेमप्लेट का मामला, पाकिस्तानी पत्रकार को मिला जवाब
ज्वालापुर स्थित मजार कें प्रबंधक शकील अहमद ने कहा कि इस संबंध में उनसे कोई बात नहीं की गई। उन्होंने कहा कि कई दशकों से यहां से कावड़िए गुजर रहे हैं, वे मजार के बाहर पेड़ की छाया में आराम करते हैं और चाय वगैरह पीते हैं। अहमद ने कहा कि पता नहीं इस बार ऐसा क्यों किया गया।
ALSO READ: आतिशी का दावा, दिल्ली में बनाया देश का सबसे बड़ा कावड़ शिविर, मिलेंगी यह सुविधाएं...
कांग्रेस नेता नईम कुरैशी ने कहा कि 65 साल की अपनी उम्र के दौरान उन्होंने ऐसा कभी नहीं देखा। उन्होंने कहा कि कावड़ मेला शुरू होने से पहले प्रशासन ने बैठक की थी और हिंदू और मुसलमान दोनों समुदायों से ही एसपीओ बनाए गए थे। उन्होंने कहा कि कावड़ यात्रा में हिंदू और मुसलमान सभी सहयोग करते हैं। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour 

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

CBI का खुलासा, भगोड़ों के खिलाफ 2023 में इंटरपोल ने जारी किए 100 रेड कॉर्नर नोटिस

क्या EV Subsidy खत्म करने वाली है मोदी सरकार, नितिन गडकरी ने दिया जवाब

Maharashtra : क्या शिवाजी की मूर्ति का कॉन्ट्रेक्ट RSS के व्यक्ति को दिया गया था, क्यों PM मोदी ने मांगी माफी, राहुल गांधी ने बताए 3 कारण

iPhone 16 के लॉन्च से पहले हुआ बड़ा खुलासा, Apple के दीवाने भी हैरान

रूस और यूक्रेन के बीच मध्‍यस्थता कर सकते हैं नरेंद्र मोदी

सभी देखें

नवीनतम

केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन बोले- भगोड़ों को अंतरराष्ट्रीय न्याय क्षेत्र में भिन्नता का लाभ नहीं मिलना चाहिए

हरियाणा चुनाव में AAP से गठबंधन को लेकर कांग्रेस में खींचतान जारी, लिस्ट का इंतजार और बढ़ा

MP Weather Update : इस मानसून मप्र में हुई रिकॉर्ड बारिश, IMD ने जारी किए आंकड़े

MP : धर्मनगरी फिर शर्मसार, उज्जैन में फुटपाथ पर सरेराह बलात्कार, महिला को शराब पिलाकर किया दुष्कर्म

टिकट बंटते ही पानी के बुलबुले की तरह फूटी भाजपा, कांग्रेस का भी होगा बुरा हाल : दुष्यंत चौटाला

अगला लेख