अमरनाथ यात्रा के दौरान बुरहान वानी की बरसी ने बढ़ाई मुश्किल

सुरेश डुग्गर
शनिवार, 6 जुलाई 2019 (22:06 IST)
जम्मू। हिज्बुल मुजाहिदीन का आतंकी कमांडर बुरहान वानी मरने के बाद भी राज्य सरकार के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। परसों उसकी तीसरी बरसी है। बरसी को मनाने की घोषणा अलगाववादियों द्वारा की जा चुकी है।
 
इसके लिए हड़ताली कैलेंडर भी जारी किया जा चुका है और सुरक्षाधिकारियों को इस दौरान कश्मीर में माहौल के हिंसामय होने की पूरी आशंका है और इस सबके बीच अमरनाथ यात्रा चिंता का कारण बनी हुई है। फिलहाल नागरिक प्रशासन इस दुविधा से जूझ रहा है कि क्या वह हड़ताली कैलेंडर के दिनों के लिए अमरनाथ यात्रा को स्थगित कर दे या फिर इसे जारी रखने का खतरा मोल ले ले?
 
8 से 13 जुलाई तक कश्मीर में हड़ताली कैलेंडर के तहत विरोध प्रदर्शनों की तैयारी अगर अलगाववादी खेमे की ओर से की जा रही है तो उससे निपटने को पुलिस व नागरिक प्रशासन भी कमर चुका है। स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में अघोषित अवकाश की सरकारी घोषणाएं हो चुकी हैं।
 
अगर किसी पर फैसला नहीं हो पाया है तो वह अमरनाथ यात्रा है। 30 जून को इसकी शुरुआत हुई थी और यह निर्बाध रूप से जारी है। पर अब आशंका यह है कि 8 से 13 जुलाई के बीच इस पर खतरा भयानक तौर पर टूट सकता है, कारण स्पष्ट है।
 
बुरहान की बरसी को लेकर जो भी प्रदर्शन और अन्य कार्यक्रम अलगाववादी नेताओं द्वारा घोषित किए गए हैं, उन सभी का केंद्र अनंतनाग जिला है और यह भी याद रखने योग्य है कि अमरनाथ यात्रा भी अनंतनाग जिले से होकर गुजरती है और अनंतनाग जिल में ही यह संपन्न होती है।
 
वर्ष 2016 की 8 जुलाई को सुरक्षाबलों ने बुरहान वानी को ढेर कर दिया था, तो अमरनाथ यात्रा ही पत्थरबाजों की सबसे अधिक शिकार हुई थी। हालांकि इस बार अभी तक अमरनाथ यात्रियों पर पथराव की कोई घटना सामने नहीं आई हैं, क्योंकि सईद अली शाह गिलानी अमरनाथ यात्रियों को अपना मेहमान घोषित कर चुके हैं।
 
पर हड़ताली कैलेंडर के दौरान पत्थरबाजों के तेवर कब बदल जाएं, यह कहना मुश्किल है। ऐसे में प्रशासन कोई खतरा मोल लेने के पक्ष में नहीं है। नतीजतन उसने 8 से 13 जुलाई तक अमरनाथ यात्रा के प्रति कोई भी फैसला लेने की जिम्मेदारी अब राज्य सरकार पर डाल दी है।
 
बताया जाता है कि इसके लिए राज्यपाल से भी सलाह-मशविरा किया जा रहा है। वैसे अधिकारी अप्रत्यक्ष तौर यही कहते थे कि अमरनाथ यात्रा को कुछ दिनों के लिए रोका जाना ही बेहतर होगा और कोई खतरा मोल नहीं लिया जाना चाहिए। पर अधिकतर इसके पक्ष में नहीं थे, क्योंकि उनका कहना था कि इसका गलत संदेश जाएगा।

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