चंडीगढ़। पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने कहा है कि जेल में बंद डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह पैरोल या फरलो पर अपनी रिहाई के उद्देश्य से कट्टर कैदियों की श्रेणी में नहीं आता है।
न्यायमूर्ति राज मोहन सिंह की अदालत ने पटियाला निवासी एक व्यक्ति द्वारा दायर उस याचिका का निपटारा किया, जिसमें फरवरी में गुरमीत राम रहीम सिंह को दी गई फरलो को चुनौती दी गई थी। अदालत ने बृहस्पतिवार को यह आदेश सुनाया। याचिका को खारिज किया गया क्योंकि गुरमीत राम रहीम सिंह पहले ही जेल लौट चुका है।
डेरा सच्चा सौदा प्रमुख रोहतक की सुनारिया जेल में बंद है। उसे सात फरवरी को गुरुग्राम में अपने परिवार से मिलने के लिए तीन सप्ताह की फरलो दी गई थी, क्योंकि हरियाणा सरकार ने निष्कर्ष निकाला था कि वह कट्टर कैदियों की श्रेणी में नहीं आता है।
फरलो जेल से दोषियों की अल्पकालिक अस्थाई रिहाई है। डेरा प्रमुख के वकीलों में से एक कनिका आहूजा ने शुक्रवार को कहा कि अदालत ने माना है कि राम रहीम कट्टर कैदियों की श्रेणी में नहीं आता है।
याचिकाकर्ता परमजीत सिंह सहोली ने दलील दी थी कि राम रहीम ने एक जघन्य अपराध किया था जिसके लिए उसे दोषी ठहराया गया है और इसलिए उसे फरलो नहीं दी जानी चाहिए। डेरा प्रमुख के वकील ने तर्क दिया कि वह कट्टर कैदियों की श्रेणी में नहीं आता क्योंकि उसे हत्या के दो मामलों में आपराधिक साजिश के आरोप में दोषी ठहराया गया था।
गौरतलब है कि राम रहीम सिरसा में अपने आश्रम में दो महिला शिष्यों के साथ बलात्कार के आरोप में 20 साल की जेल की सजा काट रहा है। उसे अगस्त 2017 में पंचकूला की एक विशेष केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) अदालत ने दोषी ठहराया था।
पिछले साल, डेरा प्रमुख को 2002 में डेरा प्रबंधक रंजीत सिंह की हत्या की साजिश रचने के लिए चार अन्य लोगों के साथ दोषी ठहराया गया था। वर्ष 2019 में राम रहीम और तीन अन्य को 2002 में एक पत्रकार की हत्या के लिए भी दोषी ठहराया गया था। उसे इन हत्याओं के लिए अपने सह अभियुक्तों के साथ आपराधिक साजिश रचने का दोषी ठहराया गया था।(भाषा)