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शख्‍स के इस रवैए से नाराज हुई अदालत, लगाया 10000 रुपए का जुर्माना

वेबदुनिया न्यूज डेस्क
शुक्रवार, 22 अगस्त 2025 (20:08 IST)
Delhi court News : मामूली बातों पर याचिका दायर करने के एक व्यक्ति के शरारती रवैए पर नाराजगी जताते हुए दिल्ली की एक अदालत ने उस पर 10000 रुपए का जुर्माना लगाया और कहा कि न्याय तक सहज पहुंच को अराजकता एवं अनुशासनहीनता का साधन नहीं माना जाना चाहिए। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश भूपिंदर सिंह, मजिस्ट्रेट के अगस्त 2024 के आदेश के खिलाफ एक पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई कर रहे थे। मजिस्ट्रेट अदालत ने चेक बाउंस मामले में याचिकाकर्ता सौम्य रंजन कानूनगो के खिलाफ जारी गैर-जमानती वारंट (NBW) पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।
 
अतिरिक्त सत्र अदालत ने 18 अगस्त को अपने आदेश में कहा कि मजिस्ट्रेट के आदेश से कानूनगो के अधिकार प्रभावित नहीं होते, क्योंकि बलपूर्वक प्रक्रिया केवल शिकायत में उनकी उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए शुरू की गई थी। अतिरिक्त सत्र अदालत ने कहा कि निचली अदालत के अधिकार क्षेत्र में खुद को प्रस्तुत करने के बजाय, पुनरीक्षणकर्ता ने वर्तमान पुनरीक्षण याचिका दायर करके न्याय की प्रक्रिया को बाधित करने का प्रयास किया।
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अतिरिक्त सत्र अदालत ने कहा, न्याय तक सहज पहुंच को किसी को भी अराजकता और अनुशासनहीनता का साधन नहीं समझना चाहिए और ऐसी मामूली याचिकाओं पर भारी जुर्माना लगाया जाना चाहिए। अगर ऐसे प्रयासों से सख्ती से नहीं निपटा गया तो न्यायिक प्रक्रिया की पवित्रता गंभीर रूप से क्षरित होगी।
 
अतिरिक्त सत्र अदालत ने कहा कि यह आदेश ‘पूरी तरह से अंतरिम’ था और कानून ऐसे आदेशों में संशोधन पर रोक लगाता है तथा इसके अलावा कानूनगो का मामला गुण-दोष के आधार पर भी विफल रहा। आदेश में कहा गया है, निचली अदालत ने सही ही कहा है कि पुनरीक्षणकर्ता ने उसे दी गई स्वतंत्रता का अनुचित लाभ उठाया है। उसकी उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए लगातार गैर जमानती वारंट जारी किए गए हैं, क्योंकि उसकी अनुपस्थिति में पांच साल से अधिक समय तक मुकदमा एक इंच भी आगे नहीं बढ़ सका।
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अतिरिक्त सत्र अदालत ने कहा कि वर्तमान मामले में भी कानूनगो ने काफी छूट ली और हर बार उनकी ओर से अलग वकील पेश हुए तथा दलीलों पर सुनवाई के लिए स्थगन की मांग की। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने कहा, मैं यह उचित ही समझता हूं कि तत्काल पुनरीक्षण (याचिका) न केवल खारिज किए जाने योग्य है, बल्कि पुनरीक्षणकर्ता को उसके शरारती दृष्टिकोण के लिए 10,000 रुपए का जुर्माना भी देना चाहिए। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour

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