कश्‍मीर में आंशिक ढील में जुम्‍मे की नमाज, जम्‍मू से धारा 144 हटाई

सुरेश डुग्गर
शुक्रवार, 9 अगस्त 2019 (22:20 IST)
जम्‍मू। जम्मू शहर में लागू की गई धारा 144 पांचवें दिन हटा दी गई जबकि कश्‍मीर में आंशिक ढील के बीच लोगों को अपने घरों के पास स्थित मस्जिदों में नमाज अदा करने की अनुमति दी गई।
 
डीसी जम्मू ने इस संबंध में आदेश जारी करते हुए सभी कल शनिवार, 10 अगस्त से सभी स्कूल-कॉलेज खोलने की अनुमति भी दे दी है। हालांकि जम्‍मू संभाग में फिलहाल इंटरनेट तथा अन्‍य प्रतिबंध जारी हैं जबकि कश्‍मीर में दावों के बावजूद इंटरनेट और फोन नहीं चले।
 
आज शुक्रवार को जुम्मे की नमाज होने की वजह से जम्मू में सुबह अघोषित कर्फ्यू में ढील नहीं दी गई थी। हालांकि कुछ दुकानदारों ने सुबह दुकानें खोलने का प्रयास किया, परंतु सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें बंद करवा दिया। जिला प्रशासन ने नमाज के बाद दोपहर 3 से रात 8 बजे तक ढील देने का पहले से ही ऐलान कर रखा था।
 
आदेश में उन्होंने कल शनिवार से स्कूल-कॉलेज बदस्तूर खुलने की अनुमति भी दे दी। उन्होंने सरकारी कर्मचारियों वे अधिकारियों को भी निर्देश दिए कि कल से वे नियमित रूप से अपने कार्यालयों में उपस्थित रहें।
 
हालांकि डीसी जम्मू द्वारा जारी इस आदेश में मोबाइल इंटरनेट शुरू करने के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है। हालात की समीक्षा के बाद प्रशासन ने जम्मू संभाग के 3 जिलों सांबा, कठुआ और उधमपुर में शुक्रवार से स्कूल खोलने का फैसला किया था।

प्रवासी श्रमिकों से कश्मीर वादी खाली हो गई : बनते-बिगड़ते हालात के बीच कश्मीर प्रवासी श्रमिकों से खाली हो गया है। ऐसा पहली बार हुआ है कि उन्हें कश्मीर खाली करने के लिए आतंकियों या अलगाववादियों ने नहीं कहा है बल्कि सरकारी तौर पर ऐसा करने के लिए कहा गया है।
 
इसका असर जम्मू संभाग में भी दिखने लगा है, जहां से प्रवासी श्रमिकों की वापस लौटने की तैयारी आरंभ हो गई है। नतीजतन प्रवासी श्रमिकों के वापस लौटने से सभी विकास गतिविधियां ठप होने की आशंका है, क्योंकि राज्य में उनकी संख्या 3 से 4 लाख बताई जाती है।
 
घाटी में फंसे बाहरी राज्यों के श्रमिक अब धीरे-धीरे बाहर निकलने लगे हैं। अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी किए जाने के बाद माहौल बेशक 'शांत' हैं, लेकिन वहां रह रहे बाहरी राज्यों के लोग अब स्वयं को सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं। ऐसे हालात में उन्होंने वहां से लौटना ही मुनासिब समझा है।
 
गौरतलब है कि 2 अगस्त को सुरक्षा एजेंसियों ने अमरनाथ श्रद्धालुओं और पर्यटकों व बाहरी राज्य के लोगों को घाटी छोड़ने की सलाह दी थी। इसके बाद यात्रा को स्थगित कर लोगों को विशेष बसों और रेलगाड़ियों के माध्यम से घाटी से निकाला था।
 
मगर कुछ श्रमिक दूरदराज के क्षेत्रों में होने के कारण फंस गए थे और अब वे भी धीरे-धीरे वहां से बाहर निकलने लगे हैं। शुक्रवार को घाटी के विभिन्न हिस्सों में काम कर रहे करीब 10,000 श्रमिक घाटी को छोड़कर जम्मू और उधमपुर पहुंचे। पिछले 24 घंटों में विभिन्न राज्यों के 7,000 से अधिक श्रमिक जम्मू-कश्मीर से अपने-अपने घरों को रवाना हो गए हैं।
 
बुधवार को करीब 4,000 श्रमिकों को उधमपुर और जम्मू रेलवे स्टेशन से 20 जनरल कोच वाली 2 विशेष ट्रेनों के जरिये दरभंगा रवाना किया गया। दोनों ट्रेनें अंबाला, लखनऊ, गोरखपुर, समस्तीपुर से होते हुए दरभंगा में पहुंचेंगी। इसके अलावा भी पिछले 24 घंटे में विभिन्न रेलगाड़ियों के माध्यम से 3,000 श्रमिक और यात्री विभिन्न राज्यों के लिए रवाना हुए हैं।
 
अन्य फंसे श्रमिकों के लिए गुरुवार को विशेष ट्रेन के जरिये जम्मू-कश्मीर से बाहर भेजा जाएगा। बुधवार सुबह ही हजारों श्रमिक परिवार जम्मू रेलवे स्टेशन में पहुंचना शुरू हो गए। पूछने पर उन्होंने बताया कि कश्मीर में वे खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे थे। इस कारण रात के अंधेरे में घाटी छोड़कर आ गए हैं। वहां रहना अब सुरक्षित नहीं है।
 
अब सीताराम येचुरी लौटाए गए श्रीनगर एयरपोर्ट से : माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी और भाकपा के महासचिव डी. राजा को शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर जाने की अनुमति नहीं दी गई और कुछ देर हिरासत में रखे जाने के बाद उन्हें श्रीनगर हवाई अड्डे से वापस भेज दिया गया।
 
दरअसल, येचुरी अपनी पार्टी के लोगों से मिलने के लिए जम्मू-कश्मीर जा रहे थे, हालांकि एनएसए डोभाल जरूर टीवी चैनलों पर श्रीनगर डाउन टाउन में घूमते नजर आए थे। गुरुवार को कांग्रेस सांसद और राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद को दिल्ली वापस भेज दिया गया था। जम्मू-कश्मीर कांग्रेस के प्रमुख गुलाम अहमद मीर और उन्हें श्रीनगर हवाई अड्डे पर ही रोक दिया गया था।
 
अजीत डोभाल अभी घाटी में ही मौजूद : राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल अभी घाटी में मौजूद हैं। आज (शुक्रवार को) उन्होंने श्रीनगर शहर का दौरा किया और क्षेत्र में 2 घंटे से अधिक समय बिताया। उन्होंने सैनिकों और स्थानीय लोगों के साथ बातचीत की और सीआरपीएफ कर्मियों के साथ दोपहर का भोजन भी किया।

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