MUDA मामले में फंसे CM सिद्धारमैया का बड़ा फैसला, सरकार के भीतरी मामलों की जांच नहीं कर पाएगी CBI

वेबदुनिया न्यूज डेस्क
गुरुवार, 26 सितम्बर 2024 (18:11 IST)
Karnataka withdraws general consent to CBI : कर्नाटक सरकार ने राज्य के भीतर मामलों की जांच के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को पहले दी गई आम सहमति (general consent) को वापस लेने का फैसला किया है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक के बाद कानून और संसदीय मामलों के मंत्री एचके पाटिल ने इस निर्णय को सार्वजनिक किया।मुख्यमंत्री सिद्धारमैया MUDA मामले में जांच का सामना कर रहे हैं।
 
हालांकि राज्य के गृह मंत्री ने सफाई दी है कि MUDA लैंड स्कैम के कारण यह फैसला नहीं किया गया है। इस कदम से यह आवश्यक हो गया है कि सीबीआई को अब कर्नाटक में जांच करने के लिए प्रत्येक मामले में राज्य सरकार से विशिष्ट सहमति की आवश्यकता होगी, जबकि दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम 1946 के तहत सामान्य सहमति थी। 
 
विपक्ष ने की सीबीआई जांच की मांग
MUDA मामले में कोर्ट के आदेश के बाद CM सिद्धारमैया लोकायुक्त पुलिस जांच का सामना कर रहे हैं। विपक्षी दल BJP और JDS साथ ही सिद्धारमैया के खिलाफ कोर्ट जाने वाले याचिकाकर्ताओं का कहना है कि अगर सिद्धारमैया CM पद पर बने रहे तो जांच प्रभावित हो सकती है, ऐसे में इस मामले की जांच CBI को करनी चाहिए।
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क्या मुख्यमंत्री को बचाने के लिए उठाया गया कदम 
एचके पाटिल ने सरकार के कदम को लेकर बताया कि 'ऐसा इसलिए किया गया है, क्योंकि यह स्पष्ट है कि CBI या केंद्र सरकार अपने साधनों का उपयोग करते समय उनका विवेकपूर्ण उपयोग नहीं कर रही है। इसलिए, स-दर-केस हम सत्यापन करेंगे और (CBI जांच के लिए सहमति) देंगे, सामान्य सहमति वापस ले ली गई है।' 
 
यह पूछे जाने पर कि क्या यह मुख्यमंत्री को ‘बचाने’ के लिए किया जा रहा है, जो मैसूरु शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) प्लॉट आवंटन मामले में जांच का सामना कर रहे हैं, पाटिल ने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री पर लोकायुक्त जांच के लिए अदालत का आदेश है, इसलिए ऐसा प्रश्न ही नहीं उठता।’’
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खनन मामलों की जांच से इंकार 
उन्होंने कहा कि ‘‘दिन-प्रतिदिन’’ यह चिंता व्यक्त की जा रही है कि कई मामलों में सीबीआई का दुरुपयोग किया जा रहा है। पाटिल ने कहा कि यहां तक ​​कि जो मामले राज्य सरकार ने सीबीआई को दिए थे या एजेंसी ने अपने हाथ में लिए थे, उनमें से कई में आरोपपत्र दाखिल नहीं किए गए। उन्होंने कहा, ‘‘उन्होंने (सीबीआई ने) आरोपपत्र दायर करने से इनकार कर दिया, उन्होंने कई खनन मामलों की जांच करने से इनकार कर दिया।’’
 
यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार ने ऐसा भाजपा द्वारा कर्नाटक महर्षि वाल्मीकि अनुसूचित जनजाति विकास निगम कोष में हेराफेरी मामले की सीबीआई जांच की मांग को ध्यान में रखते हुए किया है, मंत्री ने कहा, “इसका इससे कोई लेना-देना नहीं है क्योंकि मामला अदालत में है। इनपुट एजेंसियां

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