महबूबा की बहन रुबैया ने कहा- यासीन मलिक ने किया था अपहरण, तब छोड़े गए थे 5 आतंकी

Webdunia
शुक्रवार, 15 जुलाई 2022 (20:49 IST)
जम्मू। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद 1989 के अपने अपहरण से जुड़े मामले में शुक्रवार को सीबीआई की विशेष अदालत के समक्ष पेश हुईं। इस दौरान उन्होंने जेकेएलएफ प्रमुख यासीन मलिक और तीन अन्य की पहचान अपने अपहरणकर्ताओं के रूप में की।
 
यह पहली बार था, जब रुबैया को मामले में अदालत में पेश होने के लिए कहा गया था। अपहरणकर्ताओं ने उन्हें 5 आतंकवादियों की रिहाई के बदले अपनी कैद से रिहा किया था। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने तमिलनाडु में रहने वाली रुबैया को अभियोजन पक्ष के गवाह के रूप में सूचीबद्ध किया है। 1990 के दशक की शुरुआत में इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई थी।
 
रुबैया ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अदालत में मौजूद यासीन मलिक की पहचान अपने एक अपहरणकर्ता के रूप में की। उन्होंने न्यायाधीश से कहा कि यही वह व्यक्ति है और इसका नाम यासीन मलिक है। यही वह व्यक्ति है, जिसने मुझे धमकी दी थी कि अगर मैंने उसका आदेश मानने से इनकार किया तो वह मुझे मिनी बस से घसीटकर बाहर निकालेगा।
 
बाद में रुबैया ने अदालत में प्रदर्शित तस्वीरों में भी यासीन मलिक की पहचान अपने एक अपहरणकर्ता के रूप में की। रुबैया के अपहरण का मामला एक तरह से ठंडे बस्ते में चला गया था। हालांकि, 2019 में राष्ट्रीय अन्वेषण एजेंसी (एनआईए) द्वारा आतंकवाद के वित्त पोषण के आरोप में यासीन मलिक की गिरफ्तारी के बाद इसकी सुनवाई फिर से शुरू हो गई।
 
पिछले साल जनवरी में सीबीआई ने विशेष लोक अभियोजक मोनिका कोहली और एसके भट की मदद से रुबैया के अपहरण मामले में यासीन मलिक सहित दस लोगों के खिलाफ आरोप तय किए थे।
 
रुबैया का अपहरण घाटी के अस्थिर इतिहास की एक प्रमुख घटना माना जाता है। उनकी आजादी के बदले जेकेएलएफ के 5 सदस्यों की रिहाई को आतंकी समूहों का मनोबल बढ़ाने वाले कदम के रूप में देखा गया था, जिन्होंने उस समय सिर उठाना शुरू किया था।
 
सुनवाई के दौरान रुबैया ने विशेष न्यायाधीश के सामने अपना बयान दर्ज कराया। उन्होंने यासीन मलिक और तीन अन्य की पहचान अपने अपहरणकर्ताओं के रूप में की। प्रतिबंधित संगठन जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के प्रमुख यासीन मलिक को हाल ही में आतंकवाद के वित्त पोषण से जुड़े एक मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी।
 
रुबैया के बयान दर्ज होने से पहले यासीन मलिक इसी मामले में 13 जुलाई को अदालत के समक्ष पेश हुआ था। जेकेएलएफ प्रमुख ने तब कहा था कि अदालत में भौतिक रूप से उसकी पेशी सुनिश्चित की जाए, ताकि वह गवाहों से सवाल-जवाब कर सके, वरना वह जेल में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठ जाएगा।
 
यासीन मलिक ने अदालत से कहा था कि वह 22 जुलाई तक सरकार के उत्तर की प्रतीक्षा करेगा, जिसके बाद वह अपनी अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू कर देगा।
 
मई में दिल्ली की विशेष एनआईए अदालत द्वारा उम्रकैद की सजा सुनाए जाने के बाद से जेकेएलएफ प्रमुख उच्च सुरक्षा वाली तिहाड़ जेल में बंद है। एनआईए ने 2017 में दर्ज आतंकवाद के वित्त पोषण मामले में यासीन मलिक को 2019 की शुरुआत में गिरफ्तार किया था।
 
1989 में हुआ था अपहरण : रुबैया को 8 दिसंबर 1989 को श्रीनगर के लाल डेड अस्पताल के पास से अगवा कर लिया गया था। 13 दिसंबर 1989 को भाजपा द्वारा समर्थित केंद्र की तत्कालीन वीपी सिंह सरकार द्वारा 5 आतंकियों को रिहा किए जाने के बाद अपहरणकर्ताओं ने उन्हें रिहा कर दिया था।
 
इनके इकबालिया बयान : मामले के अन्य आरोपियों में अली मोहम्मद मीर, मोहम्मद जमान मीर, इकबाल अहमद गंद्रू, जावेद अहमद मीर, मोहम्मद रफीक पहलू, मंजूर अहमद सोफी, वजाहत बशीर, मेहराज-उद-दीन शेख और शौकत अहमद बख्शी शामिल हैं।
 
जांच के दौरान अली मोहम्मद मीर, जमान मीर और इकबाल गंद्रू ने एक मजिस्ट्रेट के सामने रुबैया के अपहरण में अपनी भूमिका स्वीकार कर ली थी। इसके अलावा, चार अन्य ने सीबीआई के पुलिस अधीक्षक के सामने इकबालिया बयान दिए थे।
 
पिछले साल जनवरी में अदालत ने कहा था कि आरोपियों ने अपना गुनाह कबूल करते हुए अन्य आरोपियों, मसलन यासीन मलिक, जावेद अहमद मीर और मेहराज-उद-दीन शेख की भूमिकाओं के बारे में भी बताया है, जिसका इस्तेमाल उनके खिलाफ सबूत के रूप में भी किया जा सकता है।
 
12 आरोपी अब भी फरार : सीबीआई ने अदालत के समक्ष दायर अपने आरोप-पत्र में इन 10 आरोपियों सहित कुल 2 दर्जन लोगों को नामजद किया है, जिनमें से जेकेएलएफ का शीर्ष कमांडर मोहम्मद रफीक डार और मुश्ताक अहमद लोन मारे जा चुके हैं, जबकि 12 फरार हैं। फरार आरोपियों में हलीमा, जावेद इकबाल मीर, मोहम्मद याकूब पंडित, रियाज अहमद भट, खुर्शीद अहमद डार, बशारत रहमान नूरी, तारिक अशरफ, शफात अहमद शांगलू, मंजूर अहमद, गुलाम मोहम्मद टपलू, अब्दुल मजीद भट और निसार अहमद भट शामिल हैं।
 
 

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