आतंकियों के ताबड़तोड़ हमलों से नेताओं में दहशत, 1 सप्ताह में 3 पंचायत प्रतिनिधि मार डाले, 32 साल पुराना है यह सिलसिला

सुरेश एस डुग्गर
शनिवार, 12 मार्च 2022 (11:23 IST)
जम्मू। आतंकियों के ताबड़तोड़ हमलों में 1 सप्ताह में 3 पंचायत प्रतिनिधियों की मौत के बाद कश्मीर के राजनीतिज्ञों में दहशत का माहौल है। हालांकि यह सच है कि राजनीति से जुड़े लोगों पर आतंकियों के हमले कोई नए नहीं है बल्कि पिछले 32 सालों से वे आतंकियों के प्रमुख निशाने पर हैं।

ALSO READ: जम्मू-कश्मीर में सुरक्षाबलों को बड़ी सफलता, 3 एनकाउंटरों में 4 आतंकी ढेर
 
कुलगाम जिले के अडूरा गांव में शुक्रवार की शाम आतंकियों ने एक सरपंच के घर पर हमला कर उनकी हत्या कर दी। आतंकियों ने पास से गोली मारी जिसमें वे गंभीर रूप से घायल हो गए। तत्काल उन्हें अस्पताल पहुंचाया गया, लेकिन उन्होंने रास्ते में दम तोड़ दिया। शब्बीर की पत्नी भी अडूरा के वार्ड 3 से पंच हैं। घटना के बाद पूरे इलाके में सुरक्षा बलों ने तलाशी अभियान चलाया, लेकिन आतंकियों का कोई सुराग हाथ नहीं लगा। आतंकी इस महीने अब तक 3 पंचायत प्रतिनिधियों की हत्या कर चुके हैं।
 
यह सच है कि आतंकवाद की शुरुआत से ही राजनेता आतंकियों की हिट लिस्ट पर हैं। यह इसी से स्पष्ट होता है कि पिछले 32 सालों के आतंकवाद के दौर के दौरान सरकारी तौर पर आतंकियों ने 1,200 के करीब राजनीति से सीधे जुड़े हुए नेताओें को मौत के घाट उतारा है। इनमें ब्लॉक स्तर से लेकर मंत्री और विधायक स्तर तक के नेता शामिल रहे हैं। हालांकि वे मुख्यमंत्री या उपमुख्यमंत्री तक नहीं पहुंच पाए लेकिन ऐसी बहुतेरी कोशिशें उनके द्वारा जरूर की गई हैं।

ALSO READ: कराची में मारा गया कंधार विमान अपहरण में शामिल आतंकी
 
तत्कालीन राज्य में विधानसभा चुनावों के दौरान सबसे ज्यादा राजनीतिज्ञों को निशाना बनाया गया है। इसे आंकड़े भी स्पष्ट करते हैं। वर्ष 1996 के विधानसभा चुनावों में अगर आतंकी 75 से अधिक राजनीतिज्ञों और पार्टी कार्यकर्ताओं को मौत के घाट उतारने में कामयाब रहे थे तो वर्ष 2002 के विधानसभा चुनाव उससे अधिक खूनी साबित हुए थे, जब 87 राजनीतिज्ञ मारे गए थे।
 
प्रदेश में जब-जब पंचायत चुनाव करवाए जाने की चर्चा होती रही है, तब-तब आतंकी भी अपनी मांद से बाहर निकलकर नेताओं को निशाना बनाते रहे हैं। इसके लिए उन्हें सीमापार से दहशत मचाने के निर्देश दिए जाते रहे हैं। हालांकि बड़े स्तर के नेताओं को तो जबर्दस्त सिक्युरिटी दी जाती रही है, पर निचले और मझौले स्तर के नेताओं को चुनाव प्रचार के लिए बाहर निकलने में हमेशा खतरा महसूस होता रहा है, ऐसी चिंताएं प्रकट की जाती रही हैं।
 
ऐसा भी नहीं था कि बीच के वर्षों में आतंकी खामोश रहे हों बल्कि जब भी उन्हें मौका मिलता, वे लोगों में दहशत फैलाने के इरादों से राजनीतिज्ञों को जरूर निशाना बनाते रहे थे। अगर वर्ष 1989 से लेकर वर्ष 2005 तक के आंकड़ें लें तो 1989 और 1993 में आतंकियों ने किसी भी राजनीतिज्ञ की हत्या नहीं की और बाकी के वर्षों में यह आंकड़ा 8 से लेकर 87 तक गया है। इस प्रकार इन सालों में आतंकियों ने कुल 1200 राजनीतिज्ञों को मौत के घाट उतार दिया।
 
अगर वर्ष 2008 का रिकॉर्ड देखें तो आतंकियों ने 16 के करीब कोशिशें राजनीतिज्ञों को निशाना बनाने की अंजाम दी थीं। इनमें से वे कइयों में कामयाब भी रहे थे। चौंकाने वाली बात वर्ष 2008 की इन कोशिशों की यह थी कि यह लोकतांत्रिक सरकार के सत्ता में रहते हुए अंजाम दी गईं थी जिस कारण जनता में जो दहशत फैली वह अभी तक कायम है।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

Russia Ukraine War भयानक स्थिति में, ICBM से मचेगी तबाही, पुतिन के दांव से पस्त जेलेंस्की

IAS Saumya Jha कौन हैं, जिन्होंने बताई नरेश मीणा 'थप्पड़कांड' की हकीकत, टीना टाबी से क्यों हो रही है तुलना

जानिए 52 करोड़ में क्यों बिका दीवार पर डक्ट-टेप से चिपका केला, यह है वजह

C वोटर के एग्जिट पोल में महाराष्ट्र में किसने मारी बाजी, क्या फिर महायुति की सरकार

Russia-Ukraine war : ICBM हमले पर चुप रहो, प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रही रूसी प्रवक्ता को आया पुतिन का फोन

सभी देखें

नवीनतम

LIVE: कैश फॉर वोट का मामला में विनोद तावड़े ने राहुल गांधी, खरगे और सुप्रिया सुले को लीगल नोटिस भेजा

PM मोदी गुयाना क्यों गए? जानिए भारत को कैसे होगा फायदा

आसाराम केस में गुजरात सरकार को नोटिस, सुप्रीम कोर्ट ने मांगा जवाब

चुनाव रिजल्‍ट के एक दिन पहले सीएम हेमंत सोरेन के सिर में पत्‍नी कल्‍पना ने की चंपी, तस्‍वीरें हुईं वायरल

राहुल गांधी बोले, वायु प्रदूषण नेशनल इमरजेंसी, बर्बाद कर रही है जिंदगी

अगला लेख