Uttarakhand Tunnel Collapse : टनल में फंसे 40 मजदूरों के सिर पर मौत का साया, Air force के विशेष विमान से पहुंचे अत्याधुनिक संयंत्र

हिमा अग्रवाल
बुधवार, 15 नवंबर 2023 (19:29 IST)
Uttarakhand Tunnel Collapse : उत्तरकाशी में रविवार को निर्माणाधीन सिलक्यारा टनल में भूस्खलन के चलते 40 मजदूर मौत की गुफा बन गई टनल में फंसे छटपटा रहे हैं। इन श्रमिकों को टनल में फंसे 4 दिन हो गए हैं और रेस्क्यू के लिए आपदा प्रबंधन, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, स्थानीय पुलिस-प्रशासन और डॉक्टर्स की टीम लगी हुई है।

मजदूरों को बाहर निकालने के लिए देहरादून से ऑगर ड्रिलिंग मशीन और हरिद्वार 900 एमएम के स्टील पाइप मंगाए गए हैं, लेकिन 2 घंटे बाद मशीन खराब होने के चलते रेस्क्यू कार्य शिथिल पड़ गया है।

लिहाजा अब अत्याधुनिक हैवी ऑगर ड्रिलिंग मशीन दिल्ली से एयरफोर्स के विशेष हरकुलिस विमान से मंगाई गई है। विशेष विमान 25 टन भारी मशीन को लेकर उत्तरकाशी पहुंच चुका है।

अब सुरंग के निकट इस अत्याधुनिक मशीन को जोड़ दिया जाएगा। इसके बाद जमीन के मलबे को भेदकर स्टील की पाइप डाली जाएगी, जिससे सभी मजदूर पाइप के रास्ते बाहर निकल आएंगे। 
 
माना जा रहा है कि हैवी ड्रिलिंग मशीन देर शाम तक टनल के नजदीक अपना ऑपरेशन शुरू कर पाएगी। अत्याधुनिक ऑगर मशीन संचालन के बाद 1 घंटे में 5 मीटर मलबा बाहर निकालने की क्षमता रखती है। सिलक्यारा टनल में 40 श्रमिकों को फंसे हुए 80 घंटे से अधिक का समय बीत चुके है।

टनल में कैद श्रमिकों की बेचैनी बढ़ गई है। सरकार और प्रशासन द्वारा मजदूरों को दवा, खाना-पानी और आक्सीजन लगातार भेजा जा रहा है, वहीं समय-समय पर वॉकी-टॉकी से बातचीत करते हुए श्रमिकों को ढांढस दी जा रही है कि वह जल्दी ही टनल से बाहर आकर अपने परिजनों से मिल सकेंगे।
 
रेस्क्यू टीम लगातार कोशिश कर रही है कि मजदूरों को जल्दी बाहर निकालें, लेकिन अभी तक सफलता नही मिल पाई है। जहां टनल में फंसे मजदूरों के दिलों की धड़कन बढ़ गई है, बढ़ते समय के साथ उत्तराखंड सरकार और प्रशासन के माथे पर चिंता की लकीरें उभरना शुरू हो गई है।

इसके चलते रेस्क्यू टीम के पदाधिकारियों ने नॉर्वे और थाईलैंड देश की विशेष टीमों से मदद के लिए बातचीत शुरू की है। उत्तरकाशी में लगी रेस्क्यू टीम ने थाईलैंड की उस रेस्क्यू कंपनी से संपर्क साधा है जिसने कुछ समय पहले थाईलैंड की एक गुफा में फंसे बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाला था।

नॉर्वे की NGI एजेंसी से भी संपर्क साधते हुए सुरंग के भीतर ऑपरेशन को किस तरह ऑपरेट किया जाएं, कैसे रेस्क्यू ऑपरेशन को आगे बढ़ाया जाए जैसी जानकारियां हासिल की जा रही हैं। इस मुहिम में भारतीय रेल, RVNL, राइट्स एवं इरकॉन के विशेषज्ञों से भी सुरंग के भीतर ऑपरेशन से संबंधित मार्गदर्शन रेस्क्यू टीम ले रही है। 
 
4 दिन से इस सुरंग के अंदर 40 व्यक्तियों के सिर पर मौत का साया मंडरा रहा है, इनका धीरज जबाव देने लगा है। इसके चलते, सिर दर्द, चक्कर और बेचैनी जैसी सूचना श्रमिक रेस्क्यू टीम को दे रहे है। यदि रेस्क्यू की अवधि लंबी खींच जाती है तो अंदेशा है कि कोई अप्रिय समाचार न मिल जाए।

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